नई दिल्ली:
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को डीडीसीए अध्यक्ष एसपी बंसल और उनके वकील गौतम दत्ता से पूछा कि अपने पत्र में न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल पर जानबूझकर न्यायिक आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाने का बयान देने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाए.
अदालत हैरान थी कि डीडीसीए अध्यक्ष बंसल और कानूनी सलाह देने वाले वकील दत्ता पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश मुद्गल के खिलाफ डीडीसीए का प्रशासन देख कथित तौर पर अदालत के आदेश का उल्लंघन करने पर अवमानना की याचिका लाने पर विचार कर रहे हैं.
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट और दीपा शर्मा ने न्यायमूर्ति मुद्गल के वकील के जवाब पर गौर किया कि बंसल और दत्ता ने जानबूझकर पूर्व न्यायाधीश से जुड़े आदेश की गलत व्याख्या करते हुए दर्शाया कि उन्हें सिर्फ फिरोजशाह कोटला मैदान पर मैचों के आयोजन को देखने को कहा गया है और उन्हें कभी डीडीसीए के अन्य मामलों में हस्तक्षेप को नहीं कहा गया.
पीठ ने कहा, ‘‘प्रथमदृष्टया यह अदालत के आदेश की अवमानना है. इसका लक्ष्य अदालत की कार्यवाही में बाधा डालना है. वकील गौतम दत्ता और एसपी बंसल को यह जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया जाता है कि अदालत के आदेश की व्याख्या करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाए.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अदालत हैरान थी कि डीडीसीए अध्यक्ष बंसल और कानूनी सलाह देने वाले वकील दत्ता पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश मुद्गल के खिलाफ डीडीसीए का प्रशासन देख कथित तौर पर अदालत के आदेश का उल्लंघन करने पर अवमानना की याचिका लाने पर विचार कर रहे हैं.
न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट और दीपा शर्मा ने न्यायमूर्ति मुद्गल के वकील के जवाब पर गौर किया कि बंसल और दत्ता ने जानबूझकर पूर्व न्यायाधीश से जुड़े आदेश की गलत व्याख्या करते हुए दर्शाया कि उन्हें सिर्फ फिरोजशाह कोटला मैदान पर मैचों के आयोजन को देखने को कहा गया है और उन्हें कभी डीडीसीए के अन्य मामलों में हस्तक्षेप को नहीं कहा गया.
पीठ ने कहा, ‘‘प्रथमदृष्टया यह अदालत के आदेश की अवमानना है. इसका लक्ष्य अदालत की कार्यवाही में बाधा डालना है. वकील गौतम दत्ता और एसपी बंसल को यह जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया जाता है कि अदालत के आदेश की व्याख्या करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जाए.’’
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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