चेतन चौहान (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष चेतन चौहान ने कहा कि डीडीसीए पूरी तरह से पाक साफ है और यदि आप सरकार को केंद्र सरकार से मंजूरी मिल जाती है तो राज्य संघ जांच के लिए तैयार है। कीर्ति आजाद की अगुवाई वाले असंतुष्ट गुट के डीडीसीए में कथित वित्तीय अनियमितताओं के खुलासे के बाद अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने इस राज्य संघ की कार्यप्रणाली की जांच के आदेश दिए हैं।
पूर्व क्रिकेटर चौहान ने कहा कि डीडीसीए अपनी कार्यप्रणाली में हमेशा पारदर्शी रहा है। चौहान ने कहा, ‘‘हमें सबसे पहले देखना होगा कि उन्हें केंद्र सरकार से मंजूरी मिलती है या नहीं। हम रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज के तहत पंजीकृत हैं लेकिन तब भी उन्हें मंजूरी मिल जाती है तो ठीक है। हम सीबीआई, आरओसी से जांच का सामना कर रहे हैं, इसलिए वे हमेशा जो भी जानकारी चाहेंगे हम उसे उपलब्ध कराएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सहयोग का मसला नहीं है, जब मैं कहूंगा कि मैं जांच का सामना करूंगा तो फिर मैं जांच का सामना करूंगा और जो भी दस्तावेज वे हमसे मांगेंगे हम उन्हें देंगे।’’
डीडीसीए पर पिछले कुछ समय से धोखाधड़ी और पैसों के गबन के आरोप लगते रहे हैं और अब चौहान ने कहा कि वे किसी चीज से नहीं डरते। उन्होंने कहा, ‘‘हमने सब कुछ व्यवस्थित कर रखा है। सीबीआई ने हमसे जो भी जानकारी मांगी हमने उन्होंने उसे मुहैया करायी। इसी तरह से हमने आरओसी को भी जानकारी दी।’’
डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली को भी बिशन सिंह बेदी सहित कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने इस मामले में घसीटा जिससे यह मामला राजनीतिक बन गया लेकिन चौहान ने वित्तमंत्री का पक्ष लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार की शिकायत जनवरी 2014 में आई और तब तक जेटली पद छोड़ चुके थे। जिन लोगों (वर्तमान अध्यक्ष स्नेह प्रकाश बंसल) पर आरोप लगाए गए थे उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की गई। इससे पहले हमने एसएफआईओ (गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय) की जांच कराई और उसमें पैसे के दुरुपयोग या गबन का जिक्र नहीं था।’’
हालांकि इससे पहले डीडीसीए कोषाध्यक्ष रविंदर मनचंदा ने कहा था कि वे राज्य सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। मनचंदा ने कहा, ‘‘हम जांच बोर्ड को खारिज करते हैं। उनके पास अधिकार नहीं हैं तो फिर उन्होंने कैसे आयोग गठित कर दिया। गृह मंत्रालय ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली सरकार जांच समिति गठित नहीं कर सकती है। यही नहीं डीडीसीए से जुड़े विषय राज्य सरकार के अंतर्गत नहीं आते हैं।’’
पूर्व क्रिकेटर चौहान ने कहा कि डीडीसीए अपनी कार्यप्रणाली में हमेशा पारदर्शी रहा है। चौहान ने कहा, ‘‘हमें सबसे पहले देखना होगा कि उन्हें केंद्र सरकार से मंजूरी मिलती है या नहीं। हम रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज के तहत पंजीकृत हैं लेकिन तब भी उन्हें मंजूरी मिल जाती है तो ठीक है। हम सीबीआई, आरओसी से जांच का सामना कर रहे हैं, इसलिए वे हमेशा जो भी जानकारी चाहेंगे हम उसे उपलब्ध कराएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह सहयोग का मसला नहीं है, जब मैं कहूंगा कि मैं जांच का सामना करूंगा तो फिर मैं जांच का सामना करूंगा और जो भी दस्तावेज वे हमसे मांगेंगे हम उन्हें देंगे।’’
डीडीसीए पर पिछले कुछ समय से धोखाधड़ी और पैसों के गबन के आरोप लगते रहे हैं और अब चौहान ने कहा कि वे किसी चीज से नहीं डरते। उन्होंने कहा, ‘‘हमने सब कुछ व्यवस्थित कर रखा है। सीबीआई ने हमसे जो भी जानकारी मांगी हमने उन्होंने उसे मुहैया करायी। इसी तरह से हमने आरओसी को भी जानकारी दी।’’
डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष अरुण जेटली को भी बिशन सिंह बेदी सहित कुछ पूर्व क्रिकेटरों ने इस मामले में घसीटा जिससे यह मामला राजनीतिक बन गया लेकिन चौहान ने वित्तमंत्री का पक्ष लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार की शिकायत जनवरी 2014 में आई और तब तक जेटली पद छोड़ चुके थे। जिन लोगों (वर्तमान अध्यक्ष स्नेह प्रकाश बंसल) पर आरोप लगाए गए थे उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की गई। इससे पहले हमने एसएफआईओ (गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय) की जांच कराई और उसमें पैसे के दुरुपयोग या गबन का जिक्र नहीं था।’’
हालांकि इससे पहले डीडीसीए कोषाध्यक्ष रविंदर मनचंदा ने कहा था कि वे राज्य सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं हैं। मनचंदा ने कहा, ‘‘हम जांच बोर्ड को खारिज करते हैं। उनके पास अधिकार नहीं हैं तो फिर उन्होंने कैसे आयोग गठित कर दिया। गृह मंत्रालय ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली सरकार जांच समिति गठित नहीं कर सकती है। यही नहीं डीडीसीए से जुड़े विषय राज्य सरकार के अंतर्गत नहीं आते हैं।’’
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