खामोश हो गया हेमंत कानिटकर का बल्ला

नई दिल्ली:

पूर्व टेस्ट क्रिकेटर हेमन्त कानिटकर नहीं रहे। 72 साल के पुणे के विकेटकीपर बल्लेबाज़ हेमंत कानिटकर का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को निधन हो गया।
 
हेमंत कानिटकर पूर्व भारतीय क्रिकेटर हृषिकेश कानिटकर के पिता के तौर पर भी जाने जाते हैं। हालांकि हेमंत कानिटकर सिर्फ़ दो टेस्ट मैच ही खेल पाए लेकिन, घरेलू क्रिकेट में उन्होंने अपने वक्त में अच्छी धूम मचाई।

महाराष्ट्र के लिए खेलते हुए हेमंत कानिटकर ने अपने पहले ही रणजी मैच में शतक लगाकर खूब नाम कमाया। रणजी में दो बार सर्वाधिक स्कोर बनाने वाले हेमंत को 1974 में वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ बैंगलोर में पहली बार टेस्ट खेलने का मौक़ा मिला।

मंसूर अली ख़ान पटौदी की कप्तानी में हेमंत ने अपनी पहली ही पारी में एंडी रॉबर्ट्स और वी होल्डर जैसे गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ 65 रनों की पारी खेली। उस टेस्ट की पहली पारी में किसी भारतीय बल्लेबाज़ का ये सर्वाधिक स्कोर था। दूसरी पारी में सुनील गावस्कर के साथ ओपनिंग करते हुए उन्होंने 18 रन जोड़े, लेकिन भारत को उस मैच में विंडीज़ टीम के हाथों 267 रनों से शिकस्त का सामना करना पड़ा।
 
लेकिन दूसरे टेस्ट में दिल्ली में उनका बल्ला खामोश रहा। दिल्ली की दोनों पारियों में वो 8 और 20 रन जोड़ सके। उन्हें फिर टीम इंडिया के लिए खेलने का मौक़ा नहीं मिल पाया।

जानकारों के मुताबिक कानिटकर अपने लेट कट और एक्स्ट्रा कवर के ऊपर से छक्का लगाने की कला की वजह से खूब पहचाने गए।

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हेमंत के बेटे ऋषिकेश कानिटकर को भी सिर्फ़ दो टेस्ट मैच खेलने का मौका मिल पाया। हालांकि उन्हें 34 वनडे खेलने का भी मौक़ा मिल पाया। हेमंत कानिटकर की पत्नी और उनके दो बच्चों के साथ भारतीय क्रिकेट की दुनिया ने भी एक क़ीमती सितारा खो दिया।