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Champions Trophy 2025: ये 2 टीम ग्रुप "बी" से सेमीफाइनल की सबसे प्रबल दावेदार, जानें क्या हैं प्लस, माइनस, मौका और खतरा

Champions Trophy: चैंपियंस ट्रॉफी में ग्रुप "बी" खास मजबूत है. और इसमें कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है

Champions Trophy 2025: ये 2 टीम ग्रुप "बी" से सेमीफाइनल की सबसे प्रबल दावेदार, जानें क्या हैं प्लस, माइनस, मौका और खतरा
Champions Trophy 2025: चैंपियंस ट्रॉफी की प्रतिकात्मक तस्वीर
बेंगलुरु:

ऑस्ट्रेलिया अपने प्रमुख तेज गेंदबाजों के बिना 19 फरवरी से शुरू होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी में उतरेगा, लेकिन आईसीसी (ICC) की प्रतियोगिताओं में उसका शानदार रिकॉर्ड उसे दक्षिण अफ्रीका के साथ ग्रुप "बी" से सेमीफाइनल में पहुंचने का प्रबल दावेदार बनाता है. इन दोनों टीमों को हालांकि इंग्लैंड और अफगानिस्तान से कड़ी चुनौती मिलेगी. चैंपियंस ट्रॉफी के ग्रुप बी में शामिल टीमों का आकलन इस प्रकार है:

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ऑस्ट्रेलिया:

मजबूत पक्ष:

ऑस्ट्रेलिया बड़ी प्रतियोगिताओं के दबाव से निपटना अच्छी तरह जानता है और यही कारण है कि उसके नाम पर वनडे विश्व कप में छह, टी20 विश्व कप में एक और चैंपियंस ट्रॉफी में दो खिताब दर्ज हैं. यही वजह है कि उसे सीमित ओवरों की क्रिकेट की सबसे खतरनाक टीम माना जाता है. ऑस्ट्रेलिया की बल्लेबाजी बेहद मजबूत है. स्टीव स्मिथ, ट्रैविस हेड, जोश इंग्लिस, जेक-फ्रेजर मैकगर्क, मार्नस लाबुशैन, ग्लेन मैक्सवेल जैसे बल्लेबाज किसी भी परिस्थिति में मैच का पासा पलटने में सक्षम हैं.

कमजोर पक्ष:

ऑस्ट्रेलिया अपने तीन प्रमुख तेज गेंदबाजों पैट कमिंस, जोश हेज़लवुड और मिशेल स्टार्क के बिना खेलेगा जिससे उसका आक्रमण कमजोर हो गया है. ऐसी स्थिति में उसके बल्लेबाजों को अतिरिक्त जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी.

अवसर:

ऑस्ट्रेलिया के पास 50 ओवर के प्रारूप में अपना दबदबा बनाए रखने का मौका है और वह इसमें कोई कसर नहीं छोड़ेगा. उसके खिलाड़ी खेल की परिस्थितियों के अनुसार खेलने में माहिर हैं और टीम का पिछला रिकॉर्ड उनके लिए प्रेरणा का काम करेगा.

खतरा:

ऑस्ट्रेलिया को हाल में श्रीलंका से दो वनडे मैच की श्रृंखला में 0–2 से हार सामना करना पड़ा था. लाबुशैन और मैकगर्क की खराब फॉर्म उसके लिए चिंता का विषय होगी.

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इंग्लैंड:

मजबूत पक्ष:

इंग्लैंड के पास कई धुरंधर बल्लेबाज हैं. अगर जोस बटलर, फिल सॉल्ट, हैरी ब्रूक, जो रूट और लियाम लिविंगस्टोन जैसे बल्लेबाज एकजुट होकर प्रदर्शन करते हैं, तो यह गेंदबाजों के लिए बुरे सपने की तरह हो सकता है. लेग स्पिनर आदिल रशीद ने हाल में भारत के खिलाफ वनडे श्रृंखला में अच्छा प्रदर्शन किया था. चैंपियंस ट्रॉफी में भी धीमी गति के गेंदबाजों को मदद मिलने की संभावना है और ऐसे में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है.

कमजोर पक्ष:

इंग्लैंड के बल्लेबाज हाल में भारत के खिलाफ स्पिनरों के सामने जूझते हुए नजर आए. इंग्लैंड ने तीन मैच की श्रृंखला में सभी मैच गंवाए. रूट और बटलर को छोड़कर उसका कोई भी बल्लेबाज स्पिन गेंदबाजों के सामने सहज नजर नहीं आया.

अवसर:

इंग्लैंड की टीम ने कुछ समय पहले ही पाकिस्तान का दौरा किया था और वह परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ है. रूट और बटलर की शानदार फॉर्म भी उसके लिए अच्छा संकेत है.

खतरा:

इंग्लैंड के लिए अफगानिस्तान खतरा हो सकता है जिसके पास कई अच्छे स्पिनर हैं. यही नहीं इंग्लैंड के पास रशीद के रूप में केवल एक विशेषज्ञ स्पिनर है.

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दक्षिण अफ्रीका:

मजबूत पक्ष:

भारत की तरह दक्षिण अफ्रीका के पास भी विविधता पूर्ण खिलाड़ी हैं. उसके पास टेम्बा बावुमा और एडेन मार्करम जैसे पारी संवारने वाले तथा हेनरिच क्लासेन और डेविड मिलर जैसे आक्रामक बल्लेबाज हैं. उसके पास तेज गेंदबाज कैगिसो रबाडा और स्पिनर केशव महाराज के नेतृत्व में एक संतुलित गेंदबाजी इकाई है. उन्हें परिस्थितियों से निपटने में सक्षम होना चाहिए.

कमजोर पक्ष:

दक्षिण अफ्रीका मजबूत टीम होने के बावजूद हाल में पाकिस्तान से महत्वपूर्ण मैच में हारने के कारण त्रिकोणीय श्रृंखला के फाइनल में जगह नहीं बना पाया था. वह पहले भी कई अवसरों पर महत्वपूर्ण मैच जीतने में नाकाम रहा है. इसके अलावा उसे तेज गेंदबाज एनरिच नॉर्किया की कमी भी खलेगी जो चोटिल होने के कारण टूर्नामेंट से बाहर हो गए हैं.

अवसर:

दक्षिण अफ्रीका का महत्वपूर्ण मैच में खराब प्रदर्शन करने का रिकॉर्ड रहा है. उसके पास इससे निजात पाने का -बहुत अच्छा मौका है.

खतरा:

ऑस्ट्रेलिया और अफगानिस्तान उसकी राह में बाधा डाल सकते हैं. इससे बचने के लिए दक्षिण अफ्रीका को अपने गेंदबाजों से बेहतर प्रदर्शन की जरूरत होगी, जो हाल ही में पाकिस्तान के खिलाफ 350 से अधिक के लक्ष्य का बचाव करने में विफल रहे थे.

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अफगानिस्तान:

मजबूत पक्ष :

अफगानिस्तान के कई क्रिकेटर जैसे राशिद खान, हशमतुल्लाह शाहिदी, गुलबदीन नायब और रहमत शाह लंबे समय से एक साथ खेल रहे हैं और उनके बीच आपसी तालमेल बहुत अच्छा है. इसके अलावा अफगानिस्तान को अनुकूल परिस्थितियों में खेलने का मौका मिलेगा, जिसका वह पूरा फायदा उठाना चाहेगा. उसने पिछले साल टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह बनाई थी जो उसके लिए प्रेरणा का काम करेगा.

कमजोर पक्ष:

अफगानिस्तान की टीम वनडे में पर्याप्त मैच अभ्यास के बिना चैंपियंस ट्रॉफी में उतर रही है. उसने अपना आखिरी वनडे मैच दिसंबर 2024 में जिंबॉब्वे के खिलाफ खेला था.

अवसर:

अफगानिस्तान ग्रुप चरण के अपने सभी मैच कराची और लाहौर में खेलेगा जहां स्पिनर की भूमिका अहम होगी. उसके पास राशिद, मोहम्मद नबी,नूर अहमद और नांगेयालिया खारोटे जैसे स्पिनर है जो परिस्थितियों का पूरा फायदा उठाना चाहेंगे.

खतरा:

पिछले कुछ समय से अफगानिस्तान की मध्यक्रम की बल्लेबाज़ी लड़खड़ा रही है, जिससे सलामी बल्लेबाज रहमनुल्लाह गुरबाज़ और इब्राहिम जादरान पर लगातार रन बनाने का काफी दबाव है. वे पिछले एक साल से ऐसा कर रहे हैं. वे निश्चित रूप से शाहिदी, नायब और अज़मतुल्लाह उमरज़ई से सहयोग की उम्मीद करेंगे.

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