बीसीसीआई की मुंबई में आज अहम बैठक है। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर चर्चा करने के लिए स्पेशल जनरल मीटिंग बुलाई गई है। 11 बजे वर्किंग कमेटी की बैठक होने के बाद यह स्पेशल बैठक शुरू होगी, जिसमें इस बात पर चर्चा की जाएगी कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर बोर्ड का रुख कोर्ट में क्या हो।
गौरतलब है कि लोढ़ा कमेटी ने कई संबंधित लोगों से बात करके सुप्रीम कोर्ट और बीसीसीआई को अपनी सिफारिशें सौंपी हैं जो अगर जस की तस लागू कर दी जाएं, तो बोर्ड की तस्वीर हमेशा के लिए बदल जाएगी। मगर कई अधिकारियों और स्टेट एसोसिएशंस को इस पर आपत्ति है। सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड को यह बताने के लिए कि 3 मार्च तक का समय दिया है कि इन सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने में उसको क्या परेशानी है। ऐसे में बोर्ड के सामने आगे का रास्ता मुश्किल ही नजर आता है। 5 ऐसी सिफारिशें हैं जिन पर बीसीसीआई कोर्ट से नरमी बरतने की अपील कर सकता है।
प्रॉक्सी वोटिंग जारी रहे
लोढ़ा पैनल की कई सिफ़ारिशों में से एक है स्टेट एसोसिशन में प्रॉक्सी वोटिंग को खत्म करना, लेकिन DDCA यानी दिल्ली और डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिशन इसके लिए राज़ी नहीं है। DDCA का पक्ष है कि कंपनी एक्ट के तहत बनी एसोसिएशन में प्रॉक्सी वोटिंग जरूरी है, भले ही पारदर्शिता के लिए इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि रिटायर्ड जज से करवा ली जाए।
प्रशासनिक बदलाव गैरजरूरी
लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआई को प्रारदर्शी तरीके से चलाने और जिम्मेदारी तय करने के लिए पूरे प्रशासनिक ढांचे को बदलने की सिफारिश की है। कमेटी के मुताबिक बोर्ड के रोजमर्रा का काम CEO देखे ना कि अध्यक्ष और सचिव। वहीं यह CEO एक 9 सदस्यीय अपेक्स कमेटी के प्रति जवाबदेह हो, लेकिन बोर्ड में कई अधिकारी इसके खिलाफ हैं।
एक व्यक्ति, एक पद
एक व्यक्ति, एक पद के फॉर्मूले पर भी बोर्ड को आपत्ति है। इस फॉर्मूले को मामने का सीधा मतलब यह है कि बोर्ड में पद के लिए अधिकारी को स्टेट एसोसिएशन में अपना पद छोड़ना होगा। बोर्ड में हर कोई यह मानता है कि ऐसा करना संभव नहीं है, क्योंकि स्टेट एसोसिएशन में पद पर बने रहने से ही कोई व्यक्तित बोर्ड में चुनाव के लिए खड़ा होता है और जीतता है।
उम्र और कार्यकाल अवधि
बीसीसीआई के कई बड़े अधिकारी इस सिफारिश के खिलाफ हैं। हालांकि खुलकर कोई नहीं बोल रहा। इस सिफारिश का मतलब है कि 70 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति बोर्ड में किसी भी पद के योग्य नहीं होगा। साथ ही एक अधिकारी अधिकतम तीन टर्म के लिए ही पद पर बना रह सकता है, जिसमें गैप भी जरूरी होगा। अगर ये सिफारिश लागू हो गई तो निरंजन शाह, शरद पवार और फारुख अब्दुल्ला बीसीसीआई में अयोग्य हो जाएंगे।
एक स्टेट, एक वोट
सबसे बड़ी परेशानी एक स्टेट को एक वोटिंग अधिकारी देने को लेकर है। जिसके लागू होने से मुंबई जैसे शहर और सर्विसेज जैसे सरकारी संस्थानों का वोटिंग अधिकार छिन जाएगा। वेस्ट जोन के अधिकारी इसके खिलाफ हैं, क्योंकि इससे उनके वोट 7 से 2 रह जाएंगे, जबकि ईस्ट जोन के 6 से 12 हो जाएंगे।
गौरतलब है कि लोढ़ा कमेटी ने कई संबंधित लोगों से बात करके सुप्रीम कोर्ट और बीसीसीआई को अपनी सिफारिशें सौंपी हैं जो अगर जस की तस लागू कर दी जाएं, तो बोर्ड की तस्वीर हमेशा के लिए बदल जाएगी। मगर कई अधिकारियों और स्टेट एसोसिएशंस को इस पर आपत्ति है। सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड को यह बताने के लिए कि 3 मार्च तक का समय दिया है कि इन सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने में उसको क्या परेशानी है। ऐसे में बोर्ड के सामने आगे का रास्ता मुश्किल ही नजर आता है। 5 ऐसी सिफारिशें हैं जिन पर बीसीसीआई कोर्ट से नरमी बरतने की अपील कर सकता है।
प्रॉक्सी वोटिंग जारी रहे
लोढ़ा पैनल की कई सिफ़ारिशों में से एक है स्टेट एसोसिशन में प्रॉक्सी वोटिंग को खत्म करना, लेकिन DDCA यानी दिल्ली और डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिशन इसके लिए राज़ी नहीं है। DDCA का पक्ष है कि कंपनी एक्ट के तहत बनी एसोसिएशन में प्रॉक्सी वोटिंग जरूरी है, भले ही पारदर्शिता के लिए इसकी प्रमाणिकता की पुष्टि रिटायर्ड जज से करवा ली जाए।
प्रशासनिक बदलाव गैरजरूरी
लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआई को प्रारदर्शी तरीके से चलाने और जिम्मेदारी तय करने के लिए पूरे प्रशासनिक ढांचे को बदलने की सिफारिश की है। कमेटी के मुताबिक बोर्ड के रोजमर्रा का काम CEO देखे ना कि अध्यक्ष और सचिव। वहीं यह CEO एक 9 सदस्यीय अपेक्स कमेटी के प्रति जवाबदेह हो, लेकिन बोर्ड में कई अधिकारी इसके खिलाफ हैं।
एक व्यक्ति, एक पद
एक व्यक्ति, एक पद के फॉर्मूले पर भी बोर्ड को आपत्ति है। इस फॉर्मूले को मामने का सीधा मतलब यह है कि बोर्ड में पद के लिए अधिकारी को स्टेट एसोसिएशन में अपना पद छोड़ना होगा। बोर्ड में हर कोई यह मानता है कि ऐसा करना संभव नहीं है, क्योंकि स्टेट एसोसिएशन में पद पर बने रहने से ही कोई व्यक्तित बोर्ड में चुनाव के लिए खड़ा होता है और जीतता है।
उम्र और कार्यकाल अवधि
बीसीसीआई के कई बड़े अधिकारी इस सिफारिश के खिलाफ हैं। हालांकि खुलकर कोई नहीं बोल रहा। इस सिफारिश का मतलब है कि 70 साल से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति बोर्ड में किसी भी पद के योग्य नहीं होगा। साथ ही एक अधिकारी अधिकतम तीन टर्म के लिए ही पद पर बना रह सकता है, जिसमें गैप भी जरूरी होगा। अगर ये सिफारिश लागू हो गई तो निरंजन शाह, शरद पवार और फारुख अब्दुल्ला बीसीसीआई में अयोग्य हो जाएंगे।
एक स्टेट, एक वोट
सबसे बड़ी परेशानी एक स्टेट को एक वोटिंग अधिकारी देने को लेकर है। जिसके लागू होने से मुंबई जैसे शहर और सर्विसेज जैसे सरकारी संस्थानों का वोटिंग अधिकार छिन जाएगा। वेस्ट जोन के अधिकारी इसके खिलाफ हैं, क्योंकि इससे उनके वोट 7 से 2 रह जाएंगे, जबकि ईस्ट जोन के 6 से 12 हो जाएंगे।
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