
- किंग्स इलेवन पंजाब ने की थी करार तोड़ने की मांग
- चेन्नई सुपर किंग्स का भी चीनियों से दूर रहने का मन
- फ्रेंचाइजी टीमों को अपनी राय देने का अधिकार-बीसीसीआई
इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) कुछ टीमों ने भले ही यह कहना शुरू कर दिया हो कि आईपीएल को चीन की कंपनियों से करार तोड़ देना चाहिए, लेकिन बीसीसीआई के सूत्रों की मानें, तो बोर्ड और क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ हितों को ही ध्यान में रखते हुए कोई फैसला लेगा. सूत्र ने यह भी साफ किया इस मुद्दे पर समीक्षा बैठक के लिए अभी कोई भी तारीख तय नहीं हुई है.
सूत्र ने कहा कि अभी तक आईपीएल समीक्षा मीटिंग के लिए कोई तारीख तय नहीं हुई हैं. उन्होंने कहा कि फ्रेंचाइजी टीमें अपनी सलाह देने के लिए स्वतंत्र हैं. फिलहाल यहां और भी कई मुद्दे हैं, जिन पर बीसीसीआई काम कर रहा है. सूत्र ने कहा कि हम कोई भी फैसला देश और क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ हितों को ध्यान में रखते हुए लेंगे. जब एक बार हम आईपीएल से जुड़े बाकी अन्य मुद्दों को सुलझा लेंगे, तो हम इस मुद्दे पर मीटिंग बुलाएंगे.
ध्यान दिला दें देश भर में चीनी उत्पादों और कंपनियों के विरोध के बाद सरकार ने मंगलवार को 59 चीन की एप्प पर प्रतिबंध लगा दिया था. और इसी के बाद किंग्स इलेवन पंजाब के को-ऑनर नेस वाडिया ने यह बयान दिया था कि आईपीएल को देश की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए आईपीएल गवर्निंग काउंसिल को चीन की कंपनियों से करार तोड़ देना चाहिए. आईपीएल की मुख्य प्रायोजक चीन के प्रसिद्ध मोबाइल कंपनी विवो है, जिसका बीसीसीआई के साथ 2200 करोड़ रुपये का करार है. इसका अलावा बोर्ड के और भी प्रायोजक हैं, जो चीनी कंपनियों के साझीदार हैं.
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