
चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष संदीप पाटिल ने टीम में सचिन के चयन पर बयान दिया था (फाइल फोटो)
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संदीप पाटिल हाल ही में मुख्य चयनकर्ता के पद से रिटायर हुए हैं
उन्होंने सचिन तेंदुलकर और धोनी के बारे में कई खुलासे किए हैं
ठाकुर ने मुख्य चयनकर्ता के रूप में प्रसाद के चयन का भी बचाव किया
गौरतलब है कि पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर पाटिल ने हाल ही में खुलासा किया था कि चयन पैनल सचिन तेंदुलकर को टीम से बाहर कर सकता था, लेकिन इससे पहले उन्होंने अंतररष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया और यह भी बताया कि वह विश्व कप 2015 से पहले धोनी को वनडे की कप्तानी से हटाने पर विचार कर रहे थे.
पाटिल को ऐसी टिप्पणी से बचना चाहिए था
ठाकुर ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं. संदीप को पूर्व अध्यक्ष होने के नाते ऐसी टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए थी. जब वह चेयरमैन थे वह इन सवालों का अलग तरह से जवाब देते थे. लेकिन उसके (कार्यकाल समाप्त होने) बाद उन्होंने भिन्न तरह के जवाब दिए. उन्होंने ऐसा करके पूरी तरह से अनैतिक काम किया.’’
बीसीसीआई अध्यक्ष ने कहा, ‘‘किसी को भी इस विभाग (चयन मसलों) को लेकर अनैतिक और अवांछनीय टिप्पणियां करने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि उन पर अध्यक्ष बनने के लिए भरोसा किया गया, क्योंकि उन्होंने पर्याप्त क्रिकेट खेली है. उनके साथ चार अन्य चयनकर्ता थे, उन्होंने कुछ नहीं कहा. उन्हें (पाटिल) भी इससे बचना चाहिए था.’’
पाटिल पर भरोसा करना मुश्किल होगा
बोर्ड अध्यक्ष ने कहा कि गोपनीयता के इस तरह के उल्लंघन से भविष्य में किसी भी नियोक्ता के लिए पाटिल पर भरोसा करना मुश्किल होगा. उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी संगठन यदि वह उनकी (पाटिल) सेवाएं लेना चाहता हो, वह इस पर दस बार सोचेगा कि संगठन को छोड़ने के बाद वह उसके बारे में बात करेंगें.’’ पाटिल का तीन साल का कार्यकाल न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए 15 सदस्यीय टीम के चयन के साथ ही समाप्त हो गया था. धोनी और तेंदुलकर के बारे में बात करने के अलावा पाटिल ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए यह भी बताया था कि वर्तमान कोच अनिल कुंबले और टेस्ट कप्तान विराट कोहली ने चेतेश्वर पुजारा से अपना स्ट्राइक रेट सुधारने के लिए कहा था, क्योंकि यह बल्लेबाजवेस्टइंडीज के हाल के दौरे में रन बनाने के लिए जूझ रहा था.
हितों के टकराव के डर से नहीं किए आवेदन
पाटिल और चार अन्य चयनकर्ताओं का कार्यकाल समाप्त होने के बाद बीसीसीआई ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए चयनकर्ता पद के लिए आवेदन मंगाए थे, लेकिन एमएसके प्रसाद की अगुवाई वाले पांच सदस्यीय पैनल की नियुक्ति पर भी सवाल उठने लगे क्योंकि इन सभी ने मिलकर केवल 13 टेस्ट और 31 वनडे खेले हैं. क्रिकेट बोर्ड अध्यक्ष ने नियुक्तियों का बचाव किया और कहा कि प्रसाद और अन्य को इसलिए नियुक्त किया गया क्योंकि उन्होंने पद के लिये आवेदन किया था जबकि कई अन्य पूर्व क्रिकेटरों ने हितों के टकराव के डर से आवेदन नहीं किया था.
हस्तक्षेप से हुए हतोत्साहित
उन्होंने कहा, ‘‘लोग बीसीसीआई में आने से बच रहे हैं. पूर्व क्रिकेटर जो अकादमी चलाते हैं या राज्य संघों में जिनकी कोई भूमिका है वे हितों केटकराव के कारण इसके योग्य नहीं थे. यदि कोई क्रिकेटर संन्यास लेने के बाद क्रिकेट के खेल में योगदान नहीं दे सकता है तो वह और क्या करेगा.’’ ठाकुर ने कहा कि बीसीसीआई के कामकाज में बहुत अधिक हस्तक्षेप से पूर्व क्रिकेटर चयनकर्ता बनने के प्रति हतोत्साहित हुए और वे अन्य भूमिकाएं भी नहीं लेना चाह रहे हैं. पांच सदस्यीय चयन पैनल के बारे में उन्होंने कहा कि अधिकतर आवेदनकर्ता ऐसा चाहते थे जबकि लोढ़ा समिति ने तीन चयनकर्ताओं की सिफारिश की है.
बोर्ड प्रमुख ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि 99.9 प्रतिशत (आवेदनकर्ताओं) ने कहा कि वे कम से कम पांच सदस्यीय चयन पैनल चाहते हैं. भारत इतना बड़ा देश है आप तीन चयनकर्ताओं से अपने पद के प्रति न्याय की उम्मीद कैसे कर सकते हो. इनकी संख्या कम से कम पांच होनी चाहिए.’’
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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