भारत के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी को बखूबी पता है कि 30 दिसंबर को होने वाले डीडीसीए अध्यक्ष पद के चुनाव में स्नेह बंसल को हराना उनके लिये लगभग नामुमकिन है लेकिन वह मौजूदा पदाधिकारियों की 'शर्मनाक गतिविधियों' के खिलाफ संघर्ष के बिना पीछे हटने वाले नहीं है।
बेदी ने चुनाव से पूर्व पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'यदि आप भ्रष्टाचार के मामले में देखे तो डीडीसीए में जो कुछ भी हो रहा है, उसे कब तक बर्दाश्त किया जा सकता है। क्या आप देश में टेस्ट के नामचीन केंद्र में इस तरह का माहौल चाहते हैं।'
बेदी के अलावा भारत के पूर्व क्रिकेटर और दिल्ली के दिग्गज मदन लाल, कीर्ति आजाद, सुरिंदर खन्ना और क्लीन स्पोर्ट्स इंडिया के समन्वयक बीवीपी राव भी इस मौके पर मौजूद थे।
आईओए में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे राव ने बेदी और आजाद का समर्थन किया।
बेदी से आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के भावी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से उनकी मुलाकात के बारे में भी सवाल पूछे गए जिसे उन्होंने शिष्टाचार भेंट बताया।
उन्होंने कहा, 'अरविंदजी जो बड़े पैमाने पर कर रहे हैं, वही हम छोटे स्तर पर कर रहे हैं लेकिन मूल लक्ष्य समान है। भ्रष्टाचार को हटाना जो जड़ों में घुस गया है।'
रणजी ट्राफी में दिल्ली के घरेलू मैच रोशनआरा मैदान पर कराने का मसला भी उठा और बेदी ने कहा कि उनकी लड़ाई गौतम गंभीर के खिलाफ नहीं बल्कि अधिकारियों के खिलाफ है। उन्होंने कहा, 'एक खिलाड़ी के तौर पर मैच जीतने के लिये मैं गौतम की बेकरारी समझ सकता हूं, लेकिन खिलाड़ियों और अधिकारियों के बीच संवाद बिल्कुल नहीं है। क्या डीडीसीए अधिकारी भी खिलाड़ियों की तरह रणजी मैच जीतने को बेताब हैं। क्या सहवाग और गौतम जैसे खिलाड़ियों की बात सुनी जाती है।'
बेदी की पेनल मौजूदा पदाधिकारियों के खिलाफ लड़ेगी जिन पर निवृतमान अध्यक्ष और भाजपा नेता अरुण जेटली का वरहदस्त है। बेदी को पता है कि जीत की उम्मीद कम है, क्योंकि डीडीसीए में परोक्ष मतदाताओं का ही जलवा रहता है।
आजाद ने कहा, 'बिशन बेदी जैसे को परोक्ष मतों के सहारे जीतने की जरूरत नहीं है। हमारा लक्ष्य डीडीसीए से इस 'प्रोक्सी कल्चर' को मिटाना है। हमें उम्मीद है कि यह जरूर होगा।'
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