
विंडीज के खिलाफ जारी टेस्ट (Wi vs Ind) के दूसरे दिन नाबाद 142 रन की पारी खेलने के के बाद क्रिकेट जगत में यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) के नाम का ही शोर है, उन्हीं के नाम की चर्चा है. एक बेहतरीन पारी खेलने के बाद इस लेफ्टी बल्लेबाज से जुड़े अलग-अलग किस्से सामने आ रहे हैं. और कुछ ऐसे ही अनसुनी बातों का खुलासा किया है राजस्थान रॉयल्स के हाई परफॉरमेंस डायरेक्टर और मुंबई के पूर्व बल्लेबाज जुबिन भरुचा ने. बरुचा ने जायसवाल की प्रतिभा को ट्रॉयल में पहचाने के बाद उन्हें राजस्थान से जोड़ने में बहुत ही अहम रोल निभाया था. भरुचा ने एक अखबार से बातचीत में बताया कि उन्होंने जायसवाल का खेल सुधारने के लिए किस तरह की ट्रेनिंग का इस्तेमाल किया भरुचा ने सालों पहले की बात को याद करते हुए बताया कि वह इंडिया अंडर-19 से आया था, लेकिन आईपीएल का एक अलग ही स्तर है. यशस्वी ट्रॉयल के लिए आया था. मुझे याद नहीं कि उनके सामने कौन सा गेंदबाज था, लेकिन उसने स्टंप के दूसरी ओर जाकर एक बेहतरीन फ्लिक शॉट खेला. उन्होंने कहा कि मैं पहली नजर वाली सोच में बहुत भरोसा करता हूं. इस शॉट के बाद मैंने उन्हें ज्यादा देखना नहीं चाहा क्योंकि मैं उनके भीतर उस अहम और अविश्वनसीय आत्मिश्वास को देख चुका था, जो आप किसी भी बल्लेबाज में देखना चाहते हो. चलिए जान लीजिए कि जुबिन भरुचा ने जायसवाल के खेल को अगले स्तर पर ले जाने के लिए कैसे काम किया.
पूरा देश कर रहा दुआ, क्या यह "यशस्वी रिकॉर्ड" बनाने वाले पहले भारतीय बन पाएंगे जायसवाल
गांव में एकदम अलग-थलग किया जायसवाल को
जुबिन भरुचा ने कहा कि जायसवाल को अगले स्तर तक पहुंचाने के लिए काफी त्याग की जरुरत थी. उसके नजरिए से यशस्वी को महराष्ट्र के तलेगांव में अकेले रहना था, जहां राजस्थान रॉयल्स की अकादमी थी. तलेगांव नागपुर से 90 मिनट की दूरी पर है. हमारे विचार के पीछे का मकसद उन्हें एकदम अलग रखना था, जिससे जब भी वह यहां आए, तो उसके दिमाग में प्रैक्टिस के अलावा और कुछ न हो. यहां तक कि कोविड-19 दौर में भी उसकी प्रगति में कोई बाधा नहीं हुई.
दिन भर में करीब 300 स्पेशल शॉट
भरुचा ने कहा कि हमारा फॉर्मूला पूरी तरह से साफ था. और इसके तहत चाहे 300 कट शॉट हों या 300 रिवर्स स्वीप या फिर 300 पारंपरिक स्वीप शॉट. हमने तय किया कि हम तक तक नहीं रुकेंगे, जब तक इन शॉटों के साथ हमें एक स्तर की नियमितता हासिल नहीं हो जाती. उन्होंने कहा कि हम ट्रेनिंग के दौरान मैच को समीकरण से बाहर रख देते हैं. अब आप चाहे टेस्ट खेलें या टी20, गेंद अपनी ही जगह पर गिरेगी. अहम बात यह है कि आपकी इसके प्रति एप्रोच कैसी रहती है और आप कैसे इस पर काम करते हो. यह हमारा लक्ष्य था. अगर आप दिन विशेष पर कट शॉट बेहतर खेल रहे हो, तो हम इसी शॉट पर ध्यान केंद्रित करेंगे.
बेसबॉल मैकेनिक्स पर किया जमकर काम
भरुचा कहते हैं कि हमने बेसबॉल मैकैनिक्स पर बहुत ज्यादा काम किया है. गेंद को हिट करने के संदर्भ में हमने बेसबॉल के लगभग सभी मैकेनिक्स का इस्तेमाल किया. जो वह कर रहा था, वह पावर पैदा करने के लिए काफी नहीं था. उन्होंने कहा कि ऐसे में हमने दो साल पहले बेसबॉल बल्लेबाज की तरह गेंद को हिट करने की प्रक्रिया शुरू की. और यह उसके लिए नैसर्गिक नहीं था. इसमें अभी भी उसकी तकनीक में खामी है, लेकिन इसके बावजूद तब से उसने बहुत सुधार किया है. अब वह शॉट में बेहतर पावर पैदा करता है.
हर वजन के बल्ले और गेंद का इस्तेमाल
भरुचा कहते हैं कि हमने उससे हर दिन 200 लोब्स करने को कहा. लोब्स का मतलब अलग-अलग वजन के बल्ले और गेंद के साथ हर गेंद पर 100 मीटर का प्रहार लगाना है. यह बिल्कुल भी आसान काम नहीं है. आपको उसकी हथेली में छाले दिख जाएंगे. जो आज उसने हासिल किया है, उसके लिए उसने खासा दर्द सहन किया है
थ्रो-डाउन एक्सपर्ट से 155 किमी/घंटा की गति पर अभ्यास
भरुचा कहते हैं कि जोफ्रा आर्चर जैसे बॉलर से निपटने के लिए जायसवाल ने साइड-आर्म थ्रोअर एक्सपर्ट से उन्हें 155 किमी/घंटा की रफ्तार से गेंद फेंकने को कहा. इसके खिलाफ उसने घंटो अभ्यास किया है और इसका असर अब दिख रहा है. उन्होंने कहा कि जैसे ही आर्चर का चयन मुंबई टीम में हुआ, तो हमें ऐसा थ्रो एक्सपर्ट मिल गया, जो नेट पर 155 किमी/घंटा से थ्रो करता था. हमने उससे नेट पर जायसाल के सिर को निशाना बनाने के लिए कहा. और यह एक ऐसा अभ्यास है, जिसे बहुत से बल्लेबाज नहीं ही कर पाएंगे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं