निर्भया के माता-पिता (फाइल फोटो)।
नई दिल्ली:
देश को हिलाकर रख देने वाले 16 दिसंबर 2012 के बहुचर्चित सामूहिक बलात्कार कांड की तीसरी बरसी की पूर्व संध्या पर पीड़िता के व्यथित माता-पिता ने कहा, ‘हम हार गए हैं । अब इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं है ।’ उन्होंने इस मामले में दोषी करार दिए गए किशोर को रिहा न करने की अपील भी की।
तीन साल बाद भी दोषियों को फांसी नहीं
पीड़िता के 50 साल के पिता ने रुंधे गले से कहा, ‘हर दिन बीतने के साथ उसकी यादें और सताती हैं। लेकिन हम यादों का भी सामना नहीं कर पा रहे क्योंकि हम उसे इंसाफ दिलाने में नाकाम रहे हैं। अब इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं है।’ पिता के मुताबिक, तीन साल बीत जाने के बाद भी चार दोषियों को फांसी नहीं हुई। छह आरोपियों में से कथित तौर पर सबसे ज्यादा क्रूर नाबालिग दोषी किशोर सुधार गृह में अपनी सजा काटने के बाद 20 दिसंबर को रिहा होने वाला है।
नाबालिग दोषी समाज के लिए खतरा
उन्होंने कहा कि घटना के समय नाबालिग रहे लड़के को रिहा नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह समाज के लिए ‘खतरा’ है । उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी ज्ञापन देकर इसकी मांग की है। पिता ने कहा, ‘हमारे लिए तो वह हमारी बेटी का हत्यारा है जिसे जघन्य अपराध को अंजाम देने के बावजूद रिहा किया जा रहा है। हम मांग करते हैं कि उसे रिहा नहीं करना चाहिए।’ उन्होंने बिल्कुल टूटे हुए अंदाज में कहा, ‘हम बहुत छोटे लोग हैं । हमारी कौन सुनेगा? पिछले तीन साल में हमने इंसाफ की उम्मीद में एक-एक दरवाजे पर दस्तक दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ ।’
इस बीच, केंद्र ने कल दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह नाबालिग किशोर को सुधार गृह में रखने की अवधि बढ़ा दे। केंद्र ने कहा कि रिहाई के बाद की पुनर्वास योजना में कई जरूरी पहलू नहीं हैं जबकि उसकी रिहाई से पहले यह सब करना जरूरी है।
बुधवार को 'निर्भया चेतना दिवस'
पिता ने जोर देकर कहा कि नाबालिग किशोर को रिहा करने से पहले उसकी मानिसक स्थिति का आकलन करना जरूरी है ताकि वह भविष्य में किसी और लड़की पर हमला न करे। बुधवार को पीड़िता के माता-पिता कुछ महिलाएं एवं नागरिक समूहों के साथ जंतर-मंतर पर ‘निर्भया चेतना दिवस’ मनाएंगे।
तीन साल बाद भी दोषियों को फांसी नहीं
पीड़िता के 50 साल के पिता ने रुंधे गले से कहा, ‘हर दिन बीतने के साथ उसकी यादें और सताती हैं। लेकिन हम यादों का भी सामना नहीं कर पा रहे क्योंकि हम उसे इंसाफ दिलाने में नाकाम रहे हैं। अब इंसाफ की कोई उम्मीद नहीं है।’ पिता के मुताबिक, तीन साल बीत जाने के बाद भी चार दोषियों को फांसी नहीं हुई। छह आरोपियों में से कथित तौर पर सबसे ज्यादा क्रूर नाबालिग दोषी किशोर सुधार गृह में अपनी सजा काटने के बाद 20 दिसंबर को रिहा होने वाला है।
नाबालिग दोषी समाज के लिए खतरा
उन्होंने कहा कि घटना के समय नाबालिग रहे लड़के को रिहा नहीं करना चाहिए, क्योंकि वह समाज के लिए ‘खतरा’ है । उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी ज्ञापन देकर इसकी मांग की है। पिता ने कहा, ‘हमारे लिए तो वह हमारी बेटी का हत्यारा है जिसे जघन्य अपराध को अंजाम देने के बावजूद रिहा किया जा रहा है। हम मांग करते हैं कि उसे रिहा नहीं करना चाहिए।’ उन्होंने बिल्कुल टूटे हुए अंदाज में कहा, ‘हम बहुत छोटे लोग हैं । हमारी कौन सुनेगा? पिछले तीन साल में हमने इंसाफ की उम्मीद में एक-एक दरवाजे पर दस्तक दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ ।’
इस बीच, केंद्र ने कल दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि वह नाबालिग किशोर को सुधार गृह में रखने की अवधि बढ़ा दे। केंद्र ने कहा कि रिहाई के बाद की पुनर्वास योजना में कई जरूरी पहलू नहीं हैं जबकि उसकी रिहाई से पहले यह सब करना जरूरी है।
बुधवार को 'निर्भया चेतना दिवस'
पिता ने जोर देकर कहा कि नाबालिग किशोर को रिहा करने से पहले उसकी मानिसक स्थिति का आकलन करना जरूरी है ताकि वह भविष्य में किसी और लड़की पर हमला न करे। बुधवार को पीड़िता के माता-पिता कुछ महिलाएं एवं नागरिक समूहों के साथ जंतर-मंतर पर ‘निर्भया चेतना दिवस’ मनाएंगे।
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