महाराष्ट्र में किसानों का आज से दूध आंदोलन, इन जगहों पर हो सकती है दिक्कत

राज्य सरकार की ओर से किसानों को एक लीटर दूध पर 27 रुपये देने की घोषणा पूरी नहीं होने के विरोध में महाराष्ट्र में दूध उत्पादक किसान 16 जुलाई से आंदोलन करने वाले हैं.

महाराष्ट्र में किसानों का आज से दूध आंदोलन, इन जगहों पर हो सकती है दिक्कत

सड़क पर दूध बहाकर विरोध जताते किसान. (फाइल फोटो)

खास बातें

  • दूध पर 27 रुपये देने की घोषणा पूरी नहीं होने का विरोध
  • दूध उत्पादक किसान 16 जुलाई (आज) से आंदोलन करने वाले हैं
  • दूध उत्पादक शेतकरी संघर्ष समिति ने इसको समर्थन दिया है.
मुंबई:

महाराष्ट्र में किसान 16 जुलाई से दूध आंदोलन करेंगे. राज्य सरकार की ओर से एक लीटर दूध पर 27 रुपये देने की घोषणा पूरी न होने के विरोध में आंदोलन की घोषणा की गई है. किसान नेता अजीत नवले ने NDTV से कहा कि इस आंदोलन में हज़ारों किसान शामिल हैं जो 15 जुलाई से बिक्री के लिए दूध नहीं दे रहे हैं. आंदोलन कर रहे संगठनों का आरोप है कि राज्य सरकार ने गाय के दूध पर 27 रुपये प्रति लीटर क़ीमत देने का एलान किया है, लेकिन किसानों को सिर्फ़ 17 से 20 रुपये ही मिलते हैं, जबकि बाज़ार में यही दूध 40 से 45 रुपये की क़ीमत में बेचा जाता है.

करीब छह महीनों से सही दाम देने की मांग
किसान नेता अजित नवले ने बताया कि दूध उत्पादक किसान पिछले छह महीनों से राज्य सरकार से दूध के सही दाम देने की मांग कर रहे हैं और मार्च महीने में निकाले गए किसान लॉन्ग मार्च में भी किसानों ने यह मुद्दा उठाया था. इसके अलावा राज्य स्तर पर किसान पहले भी आंदोलन कर चुके हैं और साथ ही उन्होंने जिलाधिकारियों के दफ्तर में मुफ्त में दूध भी बांटा है.

किसानों को हो रहा है नुकसान
आंदोलन कर रहे संगठनों का आरोप है कि राज्य सरकार ने गाय के दूध पर 27 रुपये प्रति लीटर की कीमत देने का ऐलान किया है, लेकिन किसानों को केवल 17 से 20 रुपये ही मिलते हैं, जबकि बाज़ार में यही दूध करीब 40 से 45 रुपये की कीमत पर बेचा जाता है. किसानों का कहना है कि जब शहर में पानी भी 20 रुपये लीटर में बिकता है, तो किसानों को 1 लीटर दूध के लिये 17 रुपये मिलना उनके साथ नाइंसाफी है. एक लीटर दूध पर किसानों को करीब 10 रुपये का नुकसान हो रहा है.

हिंसक नहीं होगा आंदोलन
15 जुलाई को महाराष्ट्र के सांगली में स्वाभिमान शेतकरी संघटना के कार्यकर्ताओं ने दूध की एक टैंकर की तोड़फोड़ की और दूध को सड़क पर बहा दिया. हालांकि किसान नेताओं ने यह आश्वासन दिया है कि 16 जुलाई से होने वाली आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से की जाएगी और पहले केवल दूध को बिक्री के लिए नहीं दिया जाएगा और ज़रूरत पड़ने पर किसान सड़कों पर भी उतरेंगे.


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