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This Article is From Dec 21, 2015

लखनभैया एनकाउंटर : दोषी पुलिस वालों की रिहाई पर रोक, महाराष्ट्र सरकार को झटका

लखनभैया एनकाउंटर : दोषी पुलिस वालों की रिहाई पर रोक, महाराष्ट्र सरकार को झटका
प्रतीकात्मक फोटो
मुंबई: मुंबई के लखनभैया एनकाउंटर मामले में दोषी पुलिस वालों की जेल से हुई रिहाई पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। दोषी पुलिस वाले जेल से 6 महीने के लिए रिहा हुए थे। एक याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इसे गलत करार दिया। साथ ही रिहा हुए सभी पुलिस वालों को 4 जनवरी 2016 तक पेश होने को कहा है। दिवंगत लखनभैया के भाई ने पुलिस वालों की रिहाई के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिस पर सुनवाई में यह फैसला आया है।

जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे याचिकाकर्ता
NDTV इंडिया से बातचीत में याचिकाकर्ता रामप्रसाद गुप्ता ने कहा कि वे हाइकोर्ट के फैसले से खुश हैं और अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में भी इस मुद्दे को लेकर अपनी लड़ाई लड़ेंगे। दरअसल, जब से दोषी पुलिस वालों की जेल से रिहाई हुई थी तब से यह सवाल उठा रहा है कि, किसी सजा याफ्ता गुनहगार की सजा बीच में ही कैसे रुक सकती है?

मुख्य आरोपी रिहा
मुंबई में 11 नवम्बर 2006 में लखनभैया की एनकाउंटर में मौत हुई। इस मौत को हत्या बताकर परिवार ने कानून की लड़ाई लड़ी। इसमें 12 जुलाई 2013 को 13 पुलिस कर्मियों को दोषी करार दिया गया। फैसले की अहम बात यह रही कि मामले के मुख्य आरोपी और पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा रिहा हो गए।

इसके बाद से ही दोषी साबित हुए पुलिस वालों ने इंसाफ की लड़ाई लड़ने के लिए एक तरफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया तो दूसरी तरफ पुलिस विभाग ने सरकार का। आपराधिक कानून संहिता (CRPC) की धारा 432 के तहत राज्य के मुख्यमंत्री को यह विशेषाधिकार होता है कि वे सजायाफ्ता मुजरिम की सजा को स्थगित करने की विभाग की सिफारिश मंजूर करें।

सरकार ने 6 माह तक बहस के बाद लिया था रिहाई का फैसला
लखनभैया के मामले में दोषी करार दिए गए पुलिस कर्मियों ने इसी का आधार लेते हुए सरकार के पास अपनी अर्जी दाखिल की। इस पर राज्य सरकार ने 6 महीने तक गहन बहस की। राज्य गृह विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी डॉ विजय सतबीर सिंह ने NDTV इंडिया से बात करते हुए बताया कि सजा सुनाने वाले जज के अलावा मुंबई के पुलिस कमिश्नर और जेल प्रशासन के एडीजी की इस अर्जी पर राय ली गई थी। उनसे सकारात्मक टिप्पणी आने के बाद ही सजा स्थगित करने का फैसला लिया गया था।

मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट का सहारा
सरकार को सजा स्थगित करने में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की उस रिपोर्ट की मदद मिली जिसमें लखनभैया एनकाउंटर को असली बताया गया था। लेकिन हाईकोर्ट में इन सभी तथ्यों को चुनौती दी गई। इसके बाद आए ताजा फैसले में हाइकोर्ट ने 6 महीने के लिए जेल से रिहा दोषी पुलिस वालों को अब पेश होने को कहा है। यह सभी पुलिस कर्मी सजा होने के बाद सेवा से निलंबित हैं। सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

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