गुजरात की सीएम आनंदीबेन पटेल
अहमदाबाद:
गुजरात में स्थानीय चुनाव चल रहे हैं। पिछले रविवार को अहमदाबाद समेत 6 महानगरों के म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के लिए वोट डाले गए। अगले रविवार को 56 नगरपालिका, 31 ज़िला पंचायत और करीब 230 तहसील पंचायत के लिए वोट डाले जाएंगे।
हज़ारों लोग अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए
पिछले रविवार को हुए चुनाव में हज़ारों लोग अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए थे क्योंकि अंतिम समय पर उनके नाम वोटर लिस्ट में से गायब हो गए थे। लोगों का आरोप है कि उनके नाम बूथ के बाहर राजनैतिक पार्टी के लोग जो वोटर लिस्ट लेकर बैठे थे उसमें थे लेकिन जब वो वोटींग करने के लिए बूथ में गए तो जो पोलिंग एजेंट के पास वोटर लिस्ट थी उस लिस्ट में उनके नाम के सामने लाल रंग का डिलिटेड का निशान लगा था। इस वजह से उन्हें वोट नहीं करने दिया गया।
उन इलाकों में गड़बड़ी जहां पटेल समुदाय के वोटर हैं
लोगों का आरोप है कि ज्यादातर इस तरह की घटनायें उन इलाकों में हुईं जहां बड़ी संख्या में पटेल समुदाय के वोटर हैं और महत्वपूर्ण है कि पटेल समुदाय पिछले कुछ महींनों से नौकरी और शिक्षा संस्थाओं में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है और सरकार से नाराज़ चल रहा है।
कांग्रेस का आरोप राज्य सरकार पर
इसे देखते हुए कई लोगों और विरोधी पार्टी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राज्य चुनाव आयोग ने राज्य सरकार के इशारे पर ऐसा काम किया ताकि सरकार के खिलाफ ज्यादा वोट न पड़ें।
चुनाव से पहले और बाद में वोटरों की जारी संख्या में भारी अंतर
एक और तथ्य सामने आया जिसे लेकर चुनाव आयोग पर संदेह खड़ा होने लगा है। चुनाव से पहले और बाद के आंकड़ों में भारी अंतर। वोटिंग से पहले चुनाव आयोग ने अपने प्रेस रिलीज़ में कहा था कि अहमदाबाद में कुल 39,83,589 वोटर हैं, लेकिन वोटिंग के दिन शाम को अपने प्रेसनोट में कहा कि अहमदाबाद में कुल 38,79,771 वोटर हैं तो ये आंकड़ा अचानक 1,03,818 कैसे कम हो गया, या इतनी बड़ी संख्या में वोटर रातोंरात कैसे कम हो गए इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। इसी तरह अन्य शहरों में भी 1500 से लेकर 27,000 तक वोटरों में फर्क आया है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से गुज़ारिश की है कि इन वोटरों को दोबारा से वोट करने दिया जाय।
चुनाव आयोग की सफाई
इस बीच राज्य चुनाव आयुक्त वरेश सिन्हा ने कहा है कि ऐसा इसलिए हुआ कि जो पहले की लिस्ट थी वो मार्च तक की अंतिम सूची थी और बूथ में जो लिस्ट बांटी गई वो अगस्त तक अपडेट की हुई सूची थी। लेकिन कांग्रेस इस सफाई से संतुष्ट नहीं है और कह रही है कि वो जल्द ही इस मामले को कोर्ट में चुनोती देगी, लेकिन पहली प्राथमिकता आनेवाले रविवार को ग्रामीण इलाकों में होनेवाले चुनावों में इस तरह की गड़बड़ी न हो ये देखना है।
हज़ारों लोग अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए
पिछले रविवार को हुए चुनाव में हज़ारों लोग अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए थे क्योंकि अंतिम समय पर उनके नाम वोटर लिस्ट में से गायब हो गए थे। लोगों का आरोप है कि उनके नाम बूथ के बाहर राजनैतिक पार्टी के लोग जो वोटर लिस्ट लेकर बैठे थे उसमें थे लेकिन जब वो वोटींग करने के लिए बूथ में गए तो जो पोलिंग एजेंट के पास वोटर लिस्ट थी उस लिस्ट में उनके नाम के सामने लाल रंग का डिलिटेड का निशान लगा था। इस वजह से उन्हें वोट नहीं करने दिया गया।
उन इलाकों में गड़बड़ी जहां पटेल समुदाय के वोटर हैं
लोगों का आरोप है कि ज्यादातर इस तरह की घटनायें उन इलाकों में हुईं जहां बड़ी संख्या में पटेल समुदाय के वोटर हैं और महत्वपूर्ण है कि पटेल समुदाय पिछले कुछ महींनों से नौकरी और शिक्षा संस्थाओं में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है और सरकार से नाराज़ चल रहा है।
कांग्रेस का आरोप राज्य सरकार पर
इसे देखते हुए कई लोगों और विरोधी पार्टी कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राज्य चुनाव आयोग ने राज्य सरकार के इशारे पर ऐसा काम किया ताकि सरकार के खिलाफ ज्यादा वोट न पड़ें।
चुनाव से पहले और बाद में वोटरों की जारी संख्या में भारी अंतर
एक और तथ्य सामने आया जिसे लेकर चुनाव आयोग पर संदेह खड़ा होने लगा है। चुनाव से पहले और बाद के आंकड़ों में भारी अंतर। वोटिंग से पहले चुनाव आयोग ने अपने प्रेस रिलीज़ में कहा था कि अहमदाबाद में कुल 39,83,589 वोटर हैं, लेकिन वोटिंग के दिन शाम को अपने प्रेसनोट में कहा कि अहमदाबाद में कुल 38,79,771 वोटर हैं तो ये आंकड़ा अचानक 1,03,818 कैसे कम हो गया, या इतनी बड़ी संख्या में वोटर रातोंरात कैसे कम हो गए इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं। इसी तरह अन्य शहरों में भी 1500 से लेकर 27,000 तक वोटरों में फर्क आया है। कांग्रेस ने चुनाव आयोग से गुज़ारिश की है कि इन वोटरों को दोबारा से वोट करने दिया जाय।
चुनाव आयोग की सफाई
इस बीच राज्य चुनाव आयुक्त वरेश सिन्हा ने कहा है कि ऐसा इसलिए हुआ कि जो पहले की लिस्ट थी वो मार्च तक की अंतिम सूची थी और बूथ में जो लिस्ट बांटी गई वो अगस्त तक अपडेट की हुई सूची थी। लेकिन कांग्रेस इस सफाई से संतुष्ट नहीं है और कह रही है कि वो जल्द ही इस मामले को कोर्ट में चुनोती देगी, लेकिन पहली प्राथमिकता आनेवाले रविवार को ग्रामीण इलाकों में होनेवाले चुनावों में इस तरह की गड़बड़ी न हो ये देखना है।
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