
वाराणसी में बीएचयू के कुलपति के खिलाफ हिंदी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए होर्डिंग लगाए गए हैं.
पीएम मोदी के काशी आगमन से पहले बीएचयू में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति का मामला गरमा गया है. शहर के कई इलाकों में बैनर और होर्डिंग लगाए गए हैं. बैनर पर लिखा गया - राजभाषा हिंदी का अपमान क्यों? बीएचयू के कुलपति राकेश भटनागर पर आरोप लगाते हुए बैनरों पर लिखा गया है कि बीएचयू के वर्तमान कुलपति नियुक्तियों में हिंदी भाषी अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव करते हैं.
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बैनरों पर लिखा है कि वर्तमान में हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों की उपेक्षा देश में हर स्तर ( शिक्षा व रोजगार) पर हो रही है.
सिविल सेवा में हिंदी भाषी अभ्यर्थियों की सफलता घटती जा रही है. मांग की गई है कि "न्याय से लेकर रोजगार तक सरकार से लेकर जनसरोकार तक" राजभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया जाए.
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मांग की गई है कि बीएचयू के कुलपति को बर्खास्त किया जाए एवं सभी असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति की न्यायिक जांच हो. बैनरों में निवेदक में डॉ कर्ण सिंह का नाम लिखा है.समस्त हिंदी भाषी विद्यार्थियों की ओर से बैनर और होर्डिंग लगाए गए हैं.
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