देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को संसद में अपना पहला बजट पेश करते हुए भाषण की शुरुआत में चाणक्यनीति का हवाला दिया. इसके साथ ही उन्होंने उर्दू शेर पढ़े और तमिल कविता का प्रयोग भी किया. इतना ही नहीं शेर के लफ्जों का सही उच्चारण करने में दिक्कत के लिए उन्होंने संसद से माफी भी मांगी। वित्तमंत्री ने स्वामी विवेकानंद के हवाले से महिला सशक्तीकरण पर जोर देते हुए कहा, "भारत की परंपरा 'नारी से नारायणी' मानने की रही है। नारी को देवी समान माना गया है." उनकी इस बात की सदन में काफी प्रशंसा हुई.
Budget 2019: मिडिल क्लास ने सोशल मीडिया पर जताई नाराजगी, लिखा- 'अच्छा सिला दिया मेरे प्यार का'
निर्मला सीतारमण ने कहा, 'चाणक्य नीति कहती है- कार्य पुरुषा करे, ना लक्ष्यम संपा दयाते' यानी इच्छाशक्ति के साथ किए प्रयासों से लक्ष्य जरूर हासिल कर लिया जाता है. इसके साथ ही निर्मला सीतारमण ने उर्दू के मशहूर शायर मंजूर हाशमी की एक शायरी भी पढ़ी. शायरी कुछ यूं थी, 'यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है'. साथ ही उन्होंने कर्म नीति की व्याख्या करने के क्रम में एक तमिल कविता को भी उद्धृत किया. इसके बाद उन्होंने कविता के छंद का अर्थ भी समझाया.
Budget 2019 Highlights: सरकार ने कृषि मंत्रालय के लिए आवंटन को 78 फीसदी तक बढ़ाया
निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में बताया कि 2014 में अर्थव्यवस्था 1.8 ट्रिलियन डॉलर थी जो पांच साल में बढ़कर यानी 2019 में 2.7 ट्रिलियन डॉलर हो गई है और अब लक्ष्य इसे बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करना है.
बता दें बजट दस्तावेज को ब्रीफकेस में साथ लेकर जाने की परंपरा रही है, लेकिन निर्मला उसे तहदार एक लाल कपड़े में लपेटकर ले गईं. उनके पहले बजट पेश करते हुए देखने के लिए उनके माता-पिता भी संसद पहुंचे थे. (इनपुट-भाषा)
वीडियो: बजट 2019: निर्मला सीतारमण ने किया चाणक्य नीति का जिक्र, तालियों से गूंज उठा सदन
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं