बजट 2018 : सख्त होगा मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
बजट 2018-2019 पेश होने में चंद दिन ही बाकी हैं. आम आदमी को इस बजट में क्या मिलेगा और क्या ऐसा होगा जो उसके हाथ से छूट जाएगा, इस पर कयासों और अनुमानों का सिलसिला जारी है. मगर,आर्थिक विशेषज्ञों का अनुमान है कि आगामी बजट में टैक्स फ्री इनकम की सीमा ढाई से बढ़ाकर तीन लाख रुपये की जा सकती है. कुछ विश्लषकों का मानना है कि सरकार वेतन भोगियों को कुछ राहत देने के लिए फिर स्टैंडर्ड डिडक्शन शुरू कर सकती है. उनका मानना है कि बजट में कृषि क्षेत्र में निवेश और बड़ी ढांचागत परियोजनाओं पर खर्च बढ़ाने पर जोर होगा.
बजट में रियल स्टेट को उद्योग का दर्जा दिया जाए : रियल स्टेट डेवलपर्स
वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगे. मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का यह पांचवां और अंतिम पूर्ण बजट होगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकेत दिया है कि आगामी बजट लोकलुभावन नहीं होगा और सरकार सुधारों के रास्ते पर आगे बढ़ती रहेगी. इस लिहाज से सरकार के समक्ष राजकोषीय अनुशासन को बनाये रखने की चुनौती होगी. विशेषज्ञों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2 प्रतिशत तक सीमित रखना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है. मध्यावधिक योजना के अनुसार अगले वित्त वर्ष में इसे कम करके 3 प्रतिशत पर लाना वित्त मंत्री के लिये और बड़ी चुनौती होगी.
उद्योग संगठन एसोचैम के कर विशेषज्ञ निहाल कोठारी के अनुसार वित्त मंत्री आयकर स्लैब में कुछ बदलाव कर सकते हैं. तीन लाख रुपये तक की आय को पूरी तरह से कर मुक्त किया जा सकता है. हालांकि, मौजूदा व्यवस्था में भी तीन लाख रुपये तक की आय कर मुक्त है, लेकिन बजट में स्लैब में ही बदलाव कर इस व्यव्स्था को पक्का किया जा सकता है. इस समय ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय कर मुक्त है जबकि ढाई से पांच लाख रुपये की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगता है. इसके अलावा इस वर्ग में 2,500 रुपये की अतिरिक्त छूट भी दी गई है जिससे तीन लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगता है. संभवत: वित्त मंत्री इस स्लैब को तीन से पांच लाख रुपये कर सकते हैं. इसके बाद पांच से दस लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपये से अधिक की आय पर तीस प्रतिशत दर से कर देय होगा.
आयकर विशेषज्ञ एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट आरके गौड़ ने कहा, एक सुझाव है कि पांच लाख रुपए तक की आय को कर मुक्त कर दिया जाए. पर संभावना है कि बजट में आयकर से छूट वाली आय की वर्तमान सीमा में 50 हजार रुपये तक की वृद्धि की जा सकती है. गौड़ ने कहा, ..यह भी हो सकता है कि वित्त मंत्री इस बार के बजट में वेतनभोगी वर्ग को खुश करने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन (मानक कटौती) को फिर ला सकते हैं.. यह 50 हजार रुपए तक की हो सकती है.
VIDEO -GST से कितना बदल जाएगा बजट?
आकलन वर्ष 2006-07 से स्टैंडर्ड डिडक्शन को समाप्त कर दिया गया था. उससे पहले पांच लाख तक की सालाना आय वाले वेतनभोगी करदाताओं को अधिकतम 30,000 रुपये तक की मानक कटौती का लाभ मिल रहा था, जिसके लिए उन्हें निवेश या खर्च का कोई रिटर्न नहीं देना पड़ता था. वित्त मंत्री ने अपने पिछले बजट में कहा था कि यदि आयकर की धारा 80सी के तहत विभिन्न प्रकार के निवेश पर मिलने वाली 1.5 लाख रुपये तक की कर छूट को भी शामिल कर लिया जाये तो 4.5 लाख रुपये की सालाना आय पर कोई कर देनदारी नहीं बनती है. इसके अलावा होमलोन पर दिये जाने वाले दो लाख रुपये तक के ब्याज पर भी कर छूट का प्रावधान है.
इनपुट- भाषा
बजट में रियल स्टेट को उद्योग का दर्जा दिया जाए : रियल स्टेट डेवलपर्स
वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगे. मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल का यह पांचवां और अंतिम पूर्ण बजट होगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संकेत दिया है कि आगामी बजट लोकलुभावन नहीं होगा और सरकार सुधारों के रास्ते पर आगे बढ़ती रहेगी. इस लिहाज से सरकार के समक्ष राजकोषीय अनुशासन को बनाये रखने की चुनौती होगी. विशेषज्ञों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.2 प्रतिशत तक सीमित रखना सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है. मध्यावधिक योजना के अनुसार अगले वित्त वर्ष में इसे कम करके 3 प्रतिशत पर लाना वित्त मंत्री के लिये और बड़ी चुनौती होगी.
उद्योग संगठन एसोचैम के कर विशेषज्ञ निहाल कोठारी के अनुसार वित्त मंत्री आयकर स्लैब में कुछ बदलाव कर सकते हैं. तीन लाख रुपये तक की आय को पूरी तरह से कर मुक्त किया जा सकता है. हालांकि, मौजूदा व्यवस्था में भी तीन लाख रुपये तक की आय कर मुक्त है, लेकिन बजट में स्लैब में ही बदलाव कर इस व्यव्स्था को पक्का किया जा सकता है. इस समय ढाई लाख रुपये तक की सालाना आय कर मुक्त है जबकि ढाई से पांच लाख रुपये की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगता है. इसके अलावा इस वर्ग में 2,500 रुपये की अतिरिक्त छूट भी दी गई है जिससे तीन लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगता है. संभवत: वित्त मंत्री इस स्लैब को तीन से पांच लाख रुपये कर सकते हैं. इसके बाद पांच से दस लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपये से अधिक की आय पर तीस प्रतिशत दर से कर देय होगा.
आयकर विशेषज्ञ एवं चार्टर्ड एकाउंटेंट आरके गौड़ ने कहा, एक सुझाव है कि पांच लाख रुपए तक की आय को कर मुक्त कर दिया जाए. पर संभावना है कि बजट में आयकर से छूट वाली आय की वर्तमान सीमा में 50 हजार रुपये तक की वृद्धि की जा सकती है. गौड़ ने कहा, ..यह भी हो सकता है कि वित्त मंत्री इस बार के बजट में वेतनभोगी वर्ग को खुश करने के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन (मानक कटौती) को फिर ला सकते हैं.. यह 50 हजार रुपए तक की हो सकती है.
VIDEO -GST से कितना बदल जाएगा बजट?
आकलन वर्ष 2006-07 से स्टैंडर्ड डिडक्शन को समाप्त कर दिया गया था. उससे पहले पांच लाख तक की सालाना आय वाले वेतनभोगी करदाताओं को अधिकतम 30,000 रुपये तक की मानक कटौती का लाभ मिल रहा था, जिसके लिए उन्हें निवेश या खर्च का कोई रिटर्न नहीं देना पड़ता था. वित्त मंत्री ने अपने पिछले बजट में कहा था कि यदि आयकर की धारा 80सी के तहत विभिन्न प्रकार के निवेश पर मिलने वाली 1.5 लाख रुपये तक की कर छूट को भी शामिल कर लिया जाये तो 4.5 लाख रुपये की सालाना आय पर कोई कर देनदारी नहीं बनती है. इसके अलावा होमलोन पर दिये जाने वाले दो लाख रुपये तक के ब्याज पर भी कर छूट का प्रावधान है.
इनपुट- भाषा
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं