बजट से पूर्व आज पेश होगा आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) (अरुण जेटली, फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने आज यानी 31 जनवरी को संसद के समक्ष आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश कर दिया है. केंद्रीय बजट (Union Budget) को पेश करने से एक दिन पहले देश का आर्थिक सर्वे प्रस्तुत किया जाता है. बजट से पूर्व संसद में वित्त मंत्री देश की आर्थिक दशा की जो आधिकारिक रिपोर्ट पेश करते हैं, वह इकनॉमिक सर्वे कहलाता है.
आज से शुरू हो रहे बजट सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सुबह 11 बजे संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे. राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद सरकार द्वारा आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा.
इसके तहत देश की आर्थिक हालत का पूरा ब्यौरा पेश किया जाता है. सालभर में देश में विकास का ट्रेंड क्या रहा, किस क्षेत्र में कितना निवेश हुआ, किस क्षेत्र में कितना विकास हुआ, किन योजनाओं को किस तरह अमल में लाया गया, जैसे सभी पहलुओं पर इस सर्वे में सूचना दी जाती है. अर्थव्यवस्था, पूर्वानुमान और नीतिगत स्तर पर चुनौतियों संबंधी विस्तृत सूचनाओं का भी इसमें समावेश होता है. इसमें क्षेत्रवार हालातों की रूपरेखा और सुधार के उपायों के बारे में बताया जाता है. मोटामोटी तौर पर, यह सर्वेक्षण भविष्य में बनाई जाने वाली नीतियों के लिए एक दृष्टिकोण का काम करता है.
आर्थिक सर्वेक्षण चूंकि देश की आर्थिक स्थिति का आईना होता है, इसलिए इसके जरिए आगामी बजट में किन क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा, इसकी एक झलक मिल जाती है. हालांकि, यहां बता दें कि यह सर्वे केवल सिफारिशें हैं और इन्हें लेकर कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती है. सरकार इन्हें केवल निर्देशात्मक रूप से लेती है.
आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ वित्त और आर्थिक मामलों की जानकारों की टीम तैयार करती है. इस बार मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमण्यम ने आर्थिक सर्वे वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपा है.
आज से शुरू हो रहे बजट सत्र की शुरुआत में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सुबह 11 बजे संसद के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे. राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद सरकार द्वारा आर्थिक सर्वे पेश किया जाएगा.
इसके तहत देश की आर्थिक हालत का पूरा ब्यौरा पेश किया जाता है. सालभर में देश में विकास का ट्रेंड क्या रहा, किस क्षेत्र में कितना निवेश हुआ, किस क्षेत्र में कितना विकास हुआ, किन योजनाओं को किस तरह अमल में लाया गया, जैसे सभी पहलुओं पर इस सर्वे में सूचना दी जाती है. अर्थव्यवस्था, पूर्वानुमान और नीतिगत स्तर पर चुनौतियों संबंधी विस्तृत सूचनाओं का भी इसमें समावेश होता है. इसमें क्षेत्रवार हालातों की रूपरेखा और सुधार के उपायों के बारे में बताया जाता है. मोटामोटी तौर पर, यह सर्वेक्षण भविष्य में बनाई जाने वाली नीतियों के लिए एक दृष्टिकोण का काम करता है.
आर्थिक सर्वेक्षण चूंकि देश की आर्थिक स्थिति का आईना होता है, इसलिए इसके जरिए आगामी बजट में किन क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा, इसकी एक झलक मिल जाती है. हालांकि, यहां बता दें कि यह सर्वे केवल सिफारिशें हैं और इन्हें लेकर कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती है. सरकार इन्हें केवल निर्देशात्मक रूप से लेती है.
आर्थिक सर्वेक्षण मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ वित्त और आर्थिक मामलों की जानकारों की टीम तैयार करती है. इस बार मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रहमण्यम ने आर्थिक सर्वे वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपा है.
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