बजट 2017- बजट के बाद कई सेवाएं और वस्तुएं हो सकती हैं महंगी, यदि सर्विस टैक्स बढ़ाया गया (प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
अगर आप बजट (Union Budget) से कुछ खास उम्मीदें रख रहे हैं तो बता दें कि बहुत अधिक संभावनाएं नहीं हैं कि इस बार का बजट आम आदमी के लिए राहत लेकर आए. नोटबंदी के असर से त्रस्त और पस्त अर्थव्यवस्था, कारोबारी और आम आदमी को पटरी पर लाने के उपाय सरकार कर सकती है. इधर, 1 जुलाई को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी, GST) प्रणाली को लागू करने की तैयारियां चल रही हैं, उधर खबर आ रही है कि सेवा कर (सर्विस टैक्स) की दरों को बढ़ाकर सरकार 16-18 फीसदी कर सकती है. यदि सरकार द्वारा सर्विस टैक्स बढ़ा दिया जाता है तो आम आदमी के लिए होटेल में खाना पीना, फोन का बिल, हवाई यात्रा की टिकट आदि जैसी कई सेवाओं और वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे.
आपके पास पहुंचने वाले बिलों में लगकर आने वाला सर्विस टैक्स बढ़ने से इन सेवाओं और वस्तुओं के कुल उपभोग बिल पर असर पड़ेगा. बता दें कि सर्विस टैक्स की दर फिलहाल 15 फीसदी है.
एसएमसी सिक्यॉरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा- जीएसटी के साथ तालमेल बिठाने के लिए देखना यह होगा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली सर्विस टैक्स में 1 फीसदी की बढ़ोतरी करते हैं या नहीं. दरअसल ऐसा करने की वजह (सर्विस टैक्स में इजाफा) यह भी होगी कि कंज्यूमर को 1 जुलाई से जीएसटी के जरिए अधिक दर के टैक्स चुकाने में झटका महसूस न हो. एक बार फिर बता दें कि गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) एक अप्रत्यक्ष कर यानी इनडायरेक्ट टैक्स है जिसके तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान टैक्स लगाया जाता है. जहां जीएसटी लागू नहीं है, वहां वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं. जब जीएसटी लागू हो जाएगा तब वैट (VAT), एक्साइज (excise duty)और सर्विस टैक्स (Service tax) जैसे करों की जगह सिर्फ एक ही टैक्स लगेगा और वह जीएसटी होगा. जीएसटी में कर की दरों को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्तर पर रखने का निर्णय किया गया है. कर विशेषज्ञों के अनुसार सेवा कर की दर को इस बार के बजट में उपरोक्त में से इसमें से एक स्तर के नजदीक ले जाना तर्कसंगत होगा. चूंकि इस समय सेवा कर की मुख्य दर 15 प्रतिशत है ऐसे में इसे 16 प्रतिशत के स्तर के करीब ले जाया जाना स्वाभाविक माना जाएगा.
हालांकि कुछ विशेषज्ञों की यह राय है कि जेटली अप्रत्यक्ष करों को बजट में नहीं छुएगें. ऐसे में वह सर्विस टैक्स को भी यथावत रहने दे सकते हैं. मार्केट एक्सपर्ट अंबरीश बलिगा ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा- 1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के चलते बजट में अप्रत्यक्ष करों से छेड़छाड़ हो सकता है, न की जाए.
कुछ टैक्स एक्सपर्ट्स की राय है कि विभिन्न सेवाओं पर अलग-अलग स्तर की दरें लागू की जा सकती हैं. ऐसे में आम लोगों के इस्तेमाल की सेवाओं पर 12 प्रतिशत और बाकी पर 18 प्रतिशत की दर रखी जा सकती है. सर्विस टैक्स अभी केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाला कर है. जबकि, जीएसटी केंद्र और राज्य दोनों के बीच बंटेगा. मोटामोटी तौर पर सभी जरूरी सेवाएं, जैसे कि प्राथमिक हेल्थकेयर और प्राथमिक शिक्षा भी जीएसटी के दायरे में आएंगी.
यदि इस बार भी सर्विस टैक्स में इजाफा किया जाता है तो यह तीसरी बार होगा जब वह सर्विस टैक्स की दरों में इजाफा करेंगे. 1 जून 2015 में यह 12.36 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी किया गया था. 15 नवंबर 2015 से 0.5 फीसदी स्वच्छ भारत उपकर लगना शुरू हो गया था जिससे तब सर्विस टैक्स 14.5 फीसदी हो गया था. पिछले बजट में कृषि कल्याण उपकर 0.5 फीसदी की दर से लागू किया गया था जिससे सर्विस टैक्स कुल मिलाकर 15 फीसदी हो गया था.
(भाषा न्यूज एजेंसी से भी इनपुट)
आपके पास पहुंचने वाले बिलों में लगकर आने वाला सर्विस टैक्स बढ़ने से इन सेवाओं और वस्तुओं के कुल उपभोग बिल पर असर पड़ेगा. बता दें कि सर्विस टैक्स की दर फिलहाल 15 फीसदी है.
एसएमसी सिक्यॉरिटीज ने एक रिपोर्ट में कहा- जीएसटी के साथ तालमेल बिठाने के लिए देखना यह होगा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली सर्विस टैक्स में 1 फीसदी की बढ़ोतरी करते हैं या नहीं. दरअसल ऐसा करने की वजह (सर्विस टैक्स में इजाफा) यह भी होगी कि कंज्यूमर को 1 जुलाई से जीएसटी के जरिए अधिक दर के टैक्स चुकाने में झटका महसूस न हो. एक बार फिर बता दें कि गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) एक अप्रत्यक्ष कर यानी इनडायरेक्ट टैक्स है जिसके तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान टैक्स लगाया जाता है. जहां जीएसटी लागू नहीं है, वहां वस्तुओं और सेवाओं पर अलग-अलग टैक्स लगाए जाते हैं. जब जीएसटी लागू हो जाएगा तब वैट (VAT), एक्साइज (excise duty)और सर्विस टैक्स (Service tax) जैसे करों की जगह सिर्फ एक ही टैक्स लगेगा और वह जीएसटी होगा. जीएसटी में कर की दरों को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्तर पर रखने का निर्णय किया गया है. कर विशेषज्ञों के अनुसार सेवा कर की दर को इस बार के बजट में उपरोक्त में से इसमें से एक स्तर के नजदीक ले जाना तर्कसंगत होगा. चूंकि इस समय सेवा कर की मुख्य दर 15 प्रतिशत है ऐसे में इसे 16 प्रतिशत के स्तर के करीब ले जाया जाना स्वाभाविक माना जाएगा.
हालांकि कुछ विशेषज्ञों की यह राय है कि जेटली अप्रत्यक्ष करों को बजट में नहीं छुएगें. ऐसे में वह सर्विस टैक्स को भी यथावत रहने दे सकते हैं. मार्केट एक्सपर्ट अंबरीश बलिगा ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा- 1 जुलाई को जीएसटी लागू होने के चलते बजट में अप्रत्यक्ष करों से छेड़छाड़ हो सकता है, न की जाए.
कुछ टैक्स एक्सपर्ट्स की राय है कि विभिन्न सेवाओं पर अलग-अलग स्तर की दरें लागू की जा सकती हैं. ऐसे में आम लोगों के इस्तेमाल की सेवाओं पर 12 प्रतिशत और बाकी पर 18 प्रतिशत की दर रखी जा सकती है. सर्विस टैक्स अभी केंद्र सरकार द्वारा लगाए जाने वाला कर है. जबकि, जीएसटी केंद्र और राज्य दोनों के बीच बंटेगा. मोटामोटी तौर पर सभी जरूरी सेवाएं, जैसे कि प्राथमिक हेल्थकेयर और प्राथमिक शिक्षा भी जीएसटी के दायरे में आएंगी.
यदि इस बार भी सर्विस टैक्स में इजाफा किया जाता है तो यह तीसरी बार होगा जब वह सर्विस टैक्स की दरों में इजाफा करेंगे. 1 जून 2015 में यह 12.36 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी किया गया था. 15 नवंबर 2015 से 0.5 फीसदी स्वच्छ भारत उपकर लगना शुरू हो गया था जिससे तब सर्विस टैक्स 14.5 फीसदी हो गया था. पिछले बजट में कृषि कल्याण उपकर 0.5 फीसदी की दर से लागू किया गया था जिससे सर्विस टैक्स कुल मिलाकर 15 फीसदी हो गया था.
(भाषा न्यूज एजेंसी से भी इनपुट)
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