केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बैंकों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में क्षेत्र के कई उपायों की घोषणा करेंगे. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाकर 49 प्रतिशत करना और ऋण वृद्धि को प्रोत्साहन को बैंकों में और पूंजी डालने जैसे उपाय शामिल हैं. फिक्की-आईबीए के बैंकरों पर सर्वेक्षण में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद नकदी संकट की वजह से बैंकों की ऋण की मांग नीचे आई है. इसमें सार्वजनिक, निजी और विदेशी बैंकों सहित 17 बैंकों को शामिल किया गया, जो कुल उद्योग की परिसंपत्ति के लिहाज से 52 प्रतिशत बैठता है.
सर्वेक्षण में शामिल कई लोगों की राय थी कि अगले तीन से छह महीने में आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ेंगी जिससे ऋण की मांग सुधरेगी. वहीं दूसरी ओर नकद जमा बढ़ने से सर्वेक्षण में शामिल 82 प्रतिशत बैंकों की कम लागत की सीएएसए जमा में जुलाई-दिसंबर की अवधि में बढ़ोतरी हुई है. वास्तव में 53 प्रतिशत बैंकों की सीएएसए जमा में नोटबंदी के बाद उल्लेखनीय इजाफा हुआ है.
ज्यादातर बैंकों का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने से उन्हें और पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी और वे बासेल तीन नियमों के तहत अपनी पूंजी की जरूरत को पूरा कर सकेंगे.
बैंकों को उम्मीद है कि सरकार बजट में कॉरपोरेट कर और व्यक्तिगत आयकर में कटौती कर उपभोग मांग और निवेश को प्रोत्साहन देगी. सरकार का जोर कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था पर है. ऐसे में बैंकों को उम्मीद है कि डिजिटल लेनदेन पर प्रोत्साहन दिया जाएगा. इसमें उपभोक्ताओं के साथ दुकानदारों को भी लाभ दिया जाएगा.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सर्वेक्षण में शामिल कई लोगों की राय थी कि अगले तीन से छह महीने में आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ेंगी जिससे ऋण की मांग सुधरेगी. वहीं दूसरी ओर नकद जमा बढ़ने से सर्वेक्षण में शामिल 82 प्रतिशत बैंकों की कम लागत की सीएएसए जमा में जुलाई-दिसंबर की अवधि में बढ़ोतरी हुई है. वास्तव में 53 प्रतिशत बैंकों की सीएएसए जमा में नोटबंदी के बाद उल्लेखनीय इजाफा हुआ है.
ज्यादातर बैंकों का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने से उन्हें और पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी और वे बासेल तीन नियमों के तहत अपनी पूंजी की जरूरत को पूरा कर सकेंगे.
बैंकों को उम्मीद है कि सरकार बजट में कॉरपोरेट कर और व्यक्तिगत आयकर में कटौती कर उपभोग मांग और निवेश को प्रोत्साहन देगी. सरकार का जोर कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था पर है. ऐसे में बैंकों को उम्मीद है कि डिजिटल लेनदेन पर प्रोत्साहन दिया जाएगा. इसमें उपभोक्ताओं के साथ दुकानदारों को भी लाभ दिया जाएगा.
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