वित्त मंत्री अरुण जेटली (दाएं) और वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा
नई दिल्ली:
आम बजट 2016 में कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) से निकासी पर टैक्स लगाने के विवादास्पद प्रस्ताव पर सरकार ने एक और विस्तृत स्पष्टीकरण जारी किया है, वहीं शीर्ष सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस कदम से तुरंत पीछे हटने की कोई संभावना नहीं है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार सुबह बीजेपी सांसदों की एक बैठक में इस कदम पर जानकारी देने के साथ ही कहा था कि इस कदम को वापस लिए जाने पर कोई भी फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही लेंगे, जिससे संकेत मिलता है कि एक ओर जहां सरकार फिलहाल अपने फैसले पर टिकी हुई है, वहीं वह माहौल पर भी बारीकी से नज़र रखे हुए है।
ईपीएफ से निकासी पर टैक्स लगाए जाने के इस कदम का आम लोगों और राजनैतिक पार्टियों की तरफ से चौतरफा विरोध हो रहा है।
वित्तमंत्री ने मंगलवार को ही NDTV से बात करते हुए कहा कि इस कदम के पीछे एक पेंशनभोगी समाज बनाने का विचार है, खासतौर से निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए, जिनके पास पेंशन की कोई सुविधा फिलहाल नहीं है।
बजट 2016 के मुताबिक, 1 अप्रैल, 2016 के बाद ईपीएफ से निकाली गई रकम का 60 फीसदी हिस्सा करयोग्य होगा, और 40 फीसदी रकम करमुक्त रहेगी। मौजूदा समय में अगर कर्मचारी ने पांच साल लगातार नौकरी कर ली है, तो उसके लिए निकासी के वक्त पूरी रकम करमुक्त होती है। सरकारी सूत्रों ने यह भी साफ किया कि 1 अप्रैल, 2016 तक ईपीएफ में जमा हुई रकम को टैक्स से छूट रहेगी।
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में स्पष्ट किया है कि नए नियम के अंतर्गत भविष्य निधि की पूरी रकम करमुक्त रह सकती है, यदि सेवानिवृत्ति के समय सिर्फ 40 फीसदी रकम को निकाला जाए, और शेष 60 फीसदी रकम को पेंशन फंड में निवेश कर दिया जाए।
मंत्रालय ने कहा कि नए नियम से निजी क्षेत्र में बड़ी तनख्वाह पाने वाले लोग ही प्रभावित होंगे, जिनकी तादाद ईपीएफ में अंशदान देने वाले कुल 3.7 करोड़ लोगों में से कुल 60 लाख है। शेष लोग या तो सरकारी कर्मचारी हैं, या कम आयवर्ग का हिस्सा हैं, जिन पर यह टैक्स लगाने वाली योजना लागू नहीं होगी।
मंगलवार सुबह ही समाचार एजेंसी पीटीआई ने राजस्व सचिव हसमुख अधिया के हवाले से बताया था कि इस साल 1 अप्रैल के बाद जब भी कोई व्यक्ति ईपीएफ से निकासी करता है, तो कुल रकम के 60 फीसदी पर मिले ब्याज की रकम पर टैक्स लगाया जाएगा, लेकिन वित्त मंत्रालय के बयान में स्पष्ट कहा गया है कि मंत्रालय को सिर्फ ऐसा सुझाव मिला है, जिस पर समय आने पर निर्णय लिया जाएगा।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार सुबह बीजेपी सांसदों की एक बैठक में इस कदम पर जानकारी देने के साथ ही कहा था कि इस कदम को वापस लिए जाने पर कोई भी फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही लेंगे, जिससे संकेत मिलता है कि एक ओर जहां सरकार फिलहाल अपने फैसले पर टिकी हुई है, वहीं वह माहौल पर भी बारीकी से नज़र रखे हुए है।
ईपीएफ से निकासी पर टैक्स लगाए जाने के इस कदम का आम लोगों और राजनैतिक पार्टियों की तरफ से चौतरफा विरोध हो रहा है।
वित्तमंत्री ने मंगलवार को ही NDTV से बात करते हुए कहा कि इस कदम के पीछे एक पेंशनभोगी समाज बनाने का विचार है, खासतौर से निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए, जिनके पास पेंशन की कोई सुविधा फिलहाल नहीं है।
बजट 2016 के मुताबिक, 1 अप्रैल, 2016 के बाद ईपीएफ से निकाली गई रकम का 60 फीसदी हिस्सा करयोग्य होगा, और 40 फीसदी रकम करमुक्त रहेगी। मौजूदा समय में अगर कर्मचारी ने पांच साल लगातार नौकरी कर ली है, तो उसके लिए निकासी के वक्त पूरी रकम करमुक्त होती है। सरकारी सूत्रों ने यह भी साफ किया कि 1 अप्रैल, 2016 तक ईपीएफ में जमा हुई रकम को टैक्स से छूट रहेगी।
वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान में स्पष्ट किया है कि नए नियम के अंतर्गत भविष्य निधि की पूरी रकम करमुक्त रह सकती है, यदि सेवानिवृत्ति के समय सिर्फ 40 फीसदी रकम को निकाला जाए, और शेष 60 फीसदी रकम को पेंशन फंड में निवेश कर दिया जाए।
मंत्रालय ने कहा कि नए नियम से निजी क्षेत्र में बड़ी तनख्वाह पाने वाले लोग ही प्रभावित होंगे, जिनकी तादाद ईपीएफ में अंशदान देने वाले कुल 3.7 करोड़ लोगों में से कुल 60 लाख है। शेष लोग या तो सरकारी कर्मचारी हैं, या कम आयवर्ग का हिस्सा हैं, जिन पर यह टैक्स लगाने वाली योजना लागू नहीं होगी।
मंगलवार सुबह ही समाचार एजेंसी पीटीआई ने राजस्व सचिव हसमुख अधिया के हवाले से बताया था कि इस साल 1 अप्रैल के बाद जब भी कोई व्यक्ति ईपीएफ से निकासी करता है, तो कुल रकम के 60 फीसदी पर मिले ब्याज की रकम पर टैक्स लगाया जाएगा, लेकिन वित्त मंत्रालय के बयान में स्पष्ट कहा गया है कि मंत्रालय को सिर्फ ऐसा सुझाव मिला है, जिस पर समय आने पर निर्णय लिया जाएगा।
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