हमारे समाज में हिंसा की इतनी परतें हैं कि अलग अलग समय में अलग अलग रूप में उभर कर आती हैं। आए दिन सड़कों पर कार या बाइक टकरा जाने से सवार और आस पास के लोग इतने हिंसक हो जाते हैं कि मार ही डालते हैं। कई बार हम इसे रेज कहते हैं। रेज मतलब अनियंत्रित हिंसक क्रोध। इस रेज के कई रूप होते हैं।
20 मई शुक्रवार की आधी रात से ठीक पहले जब मसोंडा केंतांदा ओलिवर 24 साल का होने वाला था, तभी वसंत कुंज के इलाके में ऑटोरिक्शा ठीक करने को लेकर कुछ लोगों से कहासुनी हो गई। ओलिवर और उसका दोस्त वसंत कुंज के किशनगढ़ इलाके में एक दोस्त के घर से लौट रहे थे। ऑटो रिक्शा पहुंचा तो ओलिवर से पहले तीन लोग उसमें बैठ गए। उसके बाद बहस हुई और बहस से झगड़ा शुरू हो गया। ओलिवर ने भागने की कोशिश की तो तीनों लोगों ने 20-25 मीटर तक उसका पीछा किया और उसे पत्थरों से भी मारा। जब स्थानीय लोग मदद को आए तो उन्होंने उन्हें भी मारा। इस बीच ओलिवर के दोस्त ने हल्ला किया और आसपास रहने वाले अन्य अफ्रीकी मूल के लोगों को बुलाया। लेकिन आरोपी मौके से भाग निकले। स्थानीय लोगों ने पुलिस को बुलाया जिसके बाद ओलिवर को एम्स के ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। ओलिवर 2012 में छात्र वीज़ा पर भारत आया था और एक संस्थान में फ्रेंच पढ़ा रहा था। कांगो के साधारण परिवार का लड़का था, इतना साधारण कि मां बाप के पास पैसे नहीं हैं कि अपने बेटे के शव को अपने वतन ले जाएं। भारत सरकार ने कहा है कि ओलिविर के शव को उसके घर तक ले जाने का सारा बंदोबस्त किया जा रहा है।
ओलिवर के मित्र ने कहा कि उसे नस्लभेदी गालियां दी गई हैं। इस घटना के प्रकाश में आते ही विदेश मंत्री सुष्मा स्वराज ने अपने स्तर पर तुरंत सक्रियता दिखाई। दिल्ली के उप राज्यपाल, गृहमंत्री से बात की। पुलिस ने मोबिन आज़ाद नाम के युवक को गिरफ्तार भी किया है। मोबिन आज़ाद के दो साथी मुकेश और प्रकाश फरार हैं। इसके बाद दक्षिण दिल्ली के राजपुर खुर्द और मैदान गढ़ी से भी कुछ घटनाओं की खबर मिली है। पुलिस कहती है ये नस्ली हिंसा नहीं है।
भारत सरकार ने इन सभी घटनाओं को काफी गंभीरता से लिया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह और सचिव अमर सिन्हा को भी मौके पर भेजा। पुलिस अधिकारियों ने गांव वालों के साथ बैठक की और दोनों पक्षों की बात को सुना और समझा। यह भी देखा गया कि कुछ मामलों में अफ्रीकी नागरिकों की भी गलती थी। मामूली कहासुनी से बात झगड़े तक पर पहुंच गई। गांवों वालों ने जो शिकायत की उससे पता चला कि उन्हें अफ्रीकी नागरिकों की जीवन शैली से काफी ऐतराज़ है। देर रात तक संगीत सुनना। पार्टी करना और जागना।
संस्कृति और व्यवहार को लेकर शिकायत सिर्फ अफ्रीकी नागरिकों से नहीं रही है, दक्षिण दिल्ली के गांवों के स्थानीय लोगों की पूर्वोत्तर के किरायेदारों से भी यही शिकायतें हैं। दक्षिण दिल्ली के मुनिरका में करीब 4000 पूर्वोत्तर के किरायेदार रहते हैं। अक्सर इनके साथ टकराव की घटना हो जाती है। गांव वालों को लगता है कि ऐसा जब भी होता है पुलिस या मीडिया उनकी नहीं सुनता है इसलिए लोगों ने अपने पैसे से मुनिरका में करीब 200 सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं।
हमने रेज़िडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवान देव से बात की। उन्होंने कहा कि ये लोग एक कमरे में आठ दस लोग रहते हैं इसलिए हमें किराया ज़्यादा मिलता है। बहुत से लोग काफी अच्छे हैं। लेकिन जब देर रात तक हंगामा करते हैं, तेज़ संगीत बजाते हैं और कई बार शराब के नशे में हंगामा करते मिलते हैं तो हम समझ नहीं पाते कि इनके आपस के मामले में हम कैसे हस्तक्षेप करें। भगवान देव ने दो साल पहले मुनिरका में हुई एक पंचायत में साफ साफ कहा था कि हम लोगों को किसी को भी चिंकी, नेपाली या मदरासी नहीं कहना चाहिए। ये सभी भारत के नागरिक हैं। हमारे किरायेदार हैं जिनसे हमारा खर्चा चलता है लेकिन कुछ असमाजिक तत्व हैं उन पर नज़र रखनी होगी। भगवान देव की यह पहल तो काफी ठीक है कि मुनिरका में कोई इन्हें चिंकी नेपाली या दक्षिण के किरायेदारों को मदरासी नहीं कहेगा।
शेखर टोकस एक स्थानीय नागरिक हैं। उनका कहना है कि संवाद बढ़ रहा है। हम लोग भी जेएनयू के प्रोफेसर की यहां सभा कराते हैं। हज़ारों पर्चे बांट चुके हैं। यह भी एक बेहतर तरीका है कि दोनों संस्कृतियों के लोग एक दूसरे को जानें। समस्या तब है कि जब एक संस्कृति नई संस्कृति पर दावेदारी करे। अच्छा हो कि दोनों बराबर जगह दें। बात अफ्रीका से जुड़ी है लेकिन पूर्वोत्तर की घटनाओं का ज़िक्र इसलिए किया क्योंकि दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर हम सिर्फ रंग से इन मसलों को जोड़ देंगे तो सही नहीं रहेगा।
दिल्ली पुलिस की नॉर्थ ईस्ट सेल के फेसबुक पेज पर पैंतीस हज़ार लाइक्स हैं। 2014 में लाजपत नगर में नीडो तान्या की हत्या हो गई थी। तब काफी हंगामा हुआ था। अदालत के आदेश से नॉर्थ ईस्ट के लोगों के लिए एक हेल्पलाइन 1093 बनी। विदेशी नागरिकों के लिए भी बनी। दिल्ली पुलिस को नॉर्थ ईस्ट सेल बनाने के लिए कहा गया जिसका दफ्तर नानकपुरा में है। वर्तमान में राहिन हिबू इसके ज्वाइंट सीपी हैं।
लेकिन ऐसा नहीं है कि इन घटनाओं से मुनिरका और पूर्वोत्तर के बीच की दूरी कम नहीं हुई है। इस गांव के लोगों का कमाल कहिए कि कुछ बातों को लेकर शिकायत तो है मगर उन्होंने मुनिरका के भीतर पूरा का पूरा मणिपुर या कहें तो पूर्वोत्तर भारत बसने दिया है।
अनुपम रेस्त्रां से लेकर बाबूलाल चौक की हर दूसरी दुकान अब पूर्वोत्तर के लोगों की है। किराये की दुकान है मगर दुकानदार वही हैं। बाबूलाल चौक के आस पास ही कई बार टकराव की घटना हो जाती थी। अब आप इन दुकानों में पूर्वोत्तर से जुड़ा कुछ भी खरीद सकते हैं। कपड़े, जूते, मसाले, पार्लर सब हैं यहां। उन्हीं कपड़ों की दुकानें हैं जिनके पहनने से स्थानीय लोगों को अपनी संस्कृति खतरे में नज़र आती है। नॉर्थ ईस्ट ट्रैवल की दुकानें भी हैं। आप यहां वहां के खाने से लेकर यहां से वहां जाने के सारे इंतज़ाम कर सकते हैं। कई बार हम इन रिश्तों को नहीं देख पाते हैं जिनमें काफी संभावना रहती है।
दिल्ली पुलिस ने अफ्रीका के नागरिकों से भी बात की कि स्थानीय नागरिकों की संस्कृति का सम्मान करें। क्या हमारे धार्मिक और शादी ब्याह के आयोजनों में देर रात तक म्यूज़िक नहीं बजता है। तब हम अपने किसी देशी विदेशी पड़ोसी का ख़्याल रखते हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अफ्रीकी नागरिकों के साथ हो रही इन घटनाओं को काफी गंभीरता से लिया है। विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि, 'दिल्ली पुलिस के साथ चर्चा की है। हमने पाया कि मीडिया एक छोटे से झगड़े को अफ्रीकी लोगों पर हमले का नाम दे रहा है। मीडिया ऐसा क्यों कर रहा है। एक जिम्मेदार नागरिक के नाते हमें मीडिया से सवाल पूछना चाहिए।'
ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एनके सिंह ने वी के सिंह की बात पर सख्त एतराज़ जताया है। उनका कहना है कि ऐसी छोटी घटनाएं भी बड़ी हो जाती हैं। बेहतर हैं कि हम हर घटना को गंभीरता से लें।
वी के सिंह भूल गए कि जब कांगो के नौजवान की मौत हुई थी तब उस घटना से नाराज़ अफ्रीकी राजदूतों ने भारत अफ्रीका मैत्री कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया था। बाद में सब सामान्य हो गया और ये कार्यक्रम हुआ। इसकी प्रतिक्रिया कांगो में भी हुई। 26 मई को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि कांगो में कुछ भारतीयों की दुकानों पर हमले हुए हैं और कुछ भारतीय बंदूक की गोली से घायल भी हुए हैं। हो सकता है कि ये घटना दिल्ली में कांगो के छात्र की हत्या की प्रतिक्रिया में हुई हो। वहां पर भारतीयों से दुकानें बंद करने के लिए कह दिया गया। अब मामला शांत है।
बेहतर है कि हम इन घटनाओं को मामूली न मानें। यह भी सही है कि मामूली कहासुनी होती रहती है लेकिन यह समझना होगा कि जाति से लेकर नस्ल के नाम पर हिंसा की बातें ग़लत नहीं हैं। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी इन घटनाओं पर बयान जारी किया है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा, 'अफ्रीकी देशों के साथ हमारे क़रीबी संबंध रहे हैं। महात्मा गांधी ने सत्याग्रह का प्रयोग पहले अफ्रीका की ज़मीन पर ही किया जिसने हमारे देश को बदला। इसलिए हम कैसे इसे सहन कर सकते हैं। हम ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं। क्या अफ्रीकी लोगों को भारत में सुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए। मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने तुरंत कदम उठाए। मैं गृह मंत्रालय के साथ मिलकर की गई विदेश मंत्रालय की पहल का स्वागत करता हूं।'
This Article is From May 30, 2016
दिल्ली में अफ्रीकी लोग निशाने पर क्यों?
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:मई 30, 2016 22:42 pm IST
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Published On मई 30, 2016 22:42 pm IST
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Last Updated On मई 30, 2016 22:42 pm IST
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