विज्ञापन
This Article is From Mar 04, 2015

घमासान से केजरीवाल को हासिल क्या?

Ravish Kumar, Rajeev Mishra
  • Blogs,
  • Updated:
    मार्च 04, 2015 21:50 pm IST
    • Published On मार्च 04, 2015 21:47 pm IST
    • Last Updated On मार्च 04, 2015 21:50 pm IST

नमस्कार मैं रवीश कुमार, राजनीति में पार्टियां यही इम्तहान लेती हैं। कब आपको साधारण कार्यकर्ता से उठाकर मुख्यमंत्री बना दें और कब आपको बेहद महत्वपूर्ण नेता से गिराकर साधारण कार्यकर्ता। योगेंद्र यादव ने कहा कि मैं पार्टी का एक अनुशासित कार्यकर्ता बनकर रहूंगा। पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, निभाऊंगा। आम आदमी पार्टी एक महान पार्टी है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक समाप्त हो चुकी है।

ये तस्वीर बैठक के समाप्त होने के बाद की है। योगेंद्र यादव जब बाहर आए तो कैमरों ने उन्हें घेर लिया। सब जानना चाहते थे कि क्या हुआ, योगेंद्र यादव क्या बोलेंगे। योगेंद्र ने कहा कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी मैं स्वीकार करूंगा। प्रशांत भूषण भी बाहर आए और कहा कि हम और योगेंद्र यादव पोलिटिकल अफेयर कमेटी पीएसी के मेंबर नहीं हैं। प्रशांत भूषण ने कहा कि जो भी फैसला हुआ है बहुमत से हुआ है और हम स्वीकार करते हैं। कार्यकारिणी में बहुमत से फैसला हुआ। 21 स्थायी सदस्यों और छह राज्य संयोजकों यानी कुल 27 में से 25 ही सदस्य मौजूद थे। योगेंद्र और प्रशांत भूषण को सिर्फ़ 8 वोट मिले जिससे उनके पीएसी से बाहर होने का रास्ता साफ़ हो गया। कुमार विश्वास ने कहा कि दोनों की नई ज़िम्मेदारी दी जाएगी। नई जिम्मेदारी क्या होगी, इस पर अब खूब अटकलें लगेंगी। मिलेंगी या नहीं या वो कैसी होगी यह अभी साफ नहीं है। दिनभर खबर आती रही कि योगेंद्र को महाराष्ट्र का प्रभारी और प्रशांत को लीगल सेल की जिम्मेदारी दी जाएगी मगर इस पर औपचारिक घोषणा यही हुई कि नई जिम्मेदारी दी जाएगी। अरविंद केजरीवाल इस बैठक में नहीं थे, मगर उनका सदस्यों से संपर्क ज़रूर रहा होगा। अरविंद के इस्तीफे को कार्यकारिणी ने खारिज कर दिया।

आठ घंटे तक चली इस बैठक से यह संकेत तो मिलता है कि आम आदमी पार्टी में फैसला बहुमत की औपचारिकता से ही होता है, लेकिन यह साफ नहीं है कि मामला सुलझा है या इन दोनों नेताओं को किनारे कर दिया गया। मगर दोनों नेताओं के बयान बता रहे हैं कि वे साधारण कार्यकर्ता रहकर भी पार्टी में बने रहेंगे।

बुधवार सुबह जिस तरह से माफीनामे से शुरुआत हुई उससे लगा कि आम आदमी पार्टी में भलमनसाहत की तो कत्तई कमी नहीं है। आशीष खेतान ने अपने ट्वीट के लिए माफी मांगी, योगेंद्र यादव ने कहा कि मैं भी सुधरूंगा। कुमार विश्वास ने कहा कि वे दोनों पक्षों से बात कर रहे हैं और मामला सुलझा लेंगे। ऐसी भलमनसाहत मूलक बयानों के साथ साथ चैनलों पर खबरें भी फ्लैश हो रही थीं जिससे लग रहा था कि सब कुछ तय है।

योगेंद्र यादव ने भी कहा कि शाम को अच्छी ख़बर मिलेगी लेकिन कापसहेड़ा के फार्म हाउस की बंद दीवारों को क्या पता था कि सब तय होने के बाद भी तय होने में इतना वक्त लग जाएगा। कापसहेड़ा फार्म हाउस के बाहर स्थानीय लोगों की भीड़ जमा थी। कुछ आप समर्थक भी योगेंद्र, प्रशांत भूषण, मनीष सिसौदिया और अरविंद केजरीवाल की अच्छे दिनों वाली तस्वीरें लेकर आए थे। आप युनाइटेड का हैशटैग भी छाप कर ले आए। इन सबकी मांग थी कि आप न टूटे। आम आदमी पार्टी के कुछ शुभचिंतकों ने कार्यकारिणी को खत भी लिखा और कहा कि हम सब आप में हो रही घटनाओं को लेकर चिन्तित हैं। खासकर आप के भीतर आलोचनाओं के प्रति बढ़ती असहनशीलता को लेकर। उन आवाज़ों को किनारे करने की कोशिश की जा रही है जो आंतरिक लोकतंत्र, जवाबदेही और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। किसी भी पार्टी में विरोध और असहमतियां होती हैं लेकिन उसे एक ज़िम्मेदार तरीके से संभालना चाहिए। इस पर फिल्मकार आनंद पटवर्धन, हिमांशु ठक्कर, पुरुषोत्तम अग्रवाल जैसे लोगों के हस्ताक्षर हैं।

क्या मामला सुलझ गया। प्रशांत और योगेंद्र के बाहर होने की बात तो पहले से ही कही जा रही थी। ये बड़ी बात है कि इस फैसले पर अब पार्टी के बहुमत की मुहर है। क्या यह साफ है कि जो सवाल उठाए गए थे उन पर कोई चर्चा हुई या फैसला हुआ। ये सब बताने के लिए सिर्फ कुमार विश्वास और पंकज को अधिकृत किया गया है। लेकिन राजनीति इसी को कहते हैं। कम से कम जो भी हुआ वो आमने सामने हुआ। दोनों खेमे आठ घंटे तक कार्यकारिणी में अपनी बातों को लेकर भिड़े रहे होंगे। लेकिन सब कुछ वो नहीं होता जो बैठक के बाद कहा जाता है। बैठक में क्या हुआ वहां असली खबर होगी।

क्या योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के बाहर होने से एक बार फिर तय हो गया कि पार्टी पर अरविंद केजरीवाल की ही पकड़ है। पार्टी के सदस्य अपने नेता को जानते और पहचानते हैं। यह बात भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि कार्यकारिणी में योगेंद्र और प्रशांत को 8 मत मिले हैं। इसका मतलब है कि आठ लोगों ने अरविंद केजरीवाल या उनके समर्थकों से अलग राय रखी। क्या इन सब बातों से इस विवाद के अलावा आंतरिक लोकतंत्र की प्रक्रिया को विश्वसनीयता मिलती है। यह सही है कि जो नेता होगा और जिसकी पकड़ होगी वो बाज़ी मारेगा लेकिन बाहर होने वालों का रिकार्ड भी इतना खराब नहीं है।

तो आम आदमी पार्टी में लोकतंत्र का पालन हुआ या लोकतंत्र के नाम पर बोलने वालों को सज़ा मिली। बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने हमला बोल दिया है कि योगेंद्र यादव को बोलने की सज़ा मिली है। सवाल है कि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने बाहर होकर हासिल क्या किया। इस विवाद से अरविंद केजरीवाल ने क्या हासिल किया। क्या वे इससे बरी हो गए कि पार्टी में सिर्फ उन्हीं की चलती है या ये साबित हो गया कि उनके खिलाफ बोलकर आठ लोग कार्यकारिणी के सदस्य तो है हीं। आप में से जो राजनीति में भागीदारी करते हैं या भविष्य में करना चाहते हैं उन्हें इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि पार्टी कैसे चलती है। किसी राजनीतिक दल की सारी उपलब्धि इसी पर निर्भर नहीं होना चाहिए कि वो सरकार कैसे चलाती है। पार्टी कैसे चलती है या चलाया जाता है यह सवाल सरकार से भी बड़ा सवाल है। प्राइम टाइम

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आम आदमी पार्टी, अरविंद केजरीवाल, आप पीएसी, Aam Admi Party, Yogendra Yadav, Arvind Kejriwal, AAP PAC, Prashant Bhushan
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com