काले धन के खुलासे के लिए सरकार द्वारा लोकसभा में इन्कम टैक्स संशोधन बिल पेश किया गया है. 30 दिसंबर के बाद पुराने नोट रद्द होने से जाली नोट तो अब खत्म हो ही जाएंगे. टैक्स और जुर्माना देकर काले धन वाले लोग भी अब अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा का हिस्सा बनना पसंद करेंगे. क्या अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित नोटबंदी क्या अप्रासंगिक नहीं हो गई है...? सरकार द्वारा 30 दिसंबर तक पुराने नोटों को चलन में लाने का आदेश देकर अर्थव्यवस्था को मंदी के संकट से क्यों नहीं बचाना चाहिए...?
क्या है सरकार द्वारा घोषित काले धन के खुलासे की नई योजना - इन्कम टैक्स में संशोधन हेतु लोकसभा में पेश मनी बिल को राज्यसभा द्वारा पारित करना ही होगा और राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद यह कानून लागू हो जाएगा. बिल के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने काले धन को घोषित करता है, तो उसे 50 फीसदी से ज़्यादा का कुल टैक्स-जुर्माना देना होगा. 25 फीसदी रकम चार साल तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में जमा रहेगी, जिस पर जमाकर्ता को कोई ब्याज नहीं मिलेगा और बकाया 25 फीसदी रकम को लोग इस्तेमाल कर सकेंगे. इस योजना का लाभ उठाने वाले लोगों को प्रॉसीक्यूशन तथा सजा से छूट मिलेगी.
योजना का लाभ न उठाने वालों पर इन्कम टैक्स की कड़ी पैनल्टी और सजा - सरकार द्वारा जून, 2016 में घोषित काले धन के खुलासे की योजना में 45 फीसदी के टैक्स और जुर्माने का प्रावधान था, जिसके तहत कुल 65,000 करोड़ की ब्लैकमनी पर सरकार को 30 हजार करोड़ का इन्कम टैक्स मिला. लोकसभा में पेश नई योजना के बावजूद काले धन का खुलासा न करने वालों की इन्कम टैक्स विभाग जांच करेगा, जिसके बाद उन्हें 85 फीसदी रकम टैक्स तथा जुर्माने के रूप में देने के साथ प्रॉसीक्यूशन का सामना भी करना पड़ सकता है.
बंद नोटों को चलन में लाने के लिए सरकार द्वारा जारी आदेश गैरकानूनी है - विमुद्रीकरण के लिए रिजर्व बैंक की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने 8 नवंबर को नोटिफिकेशन जारी किया, जिसके बाद प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बड़े नोटों को रद्दी कागजों का पुलिंदा बताया. तत्पश्चात केंद्र सरकार ने नया नोटिफिकेशन जारी कर बंद नोटों को 8 नवंबर के बाद भी सीमित प्रचलन में रखने के लिए आदेश जारी किया. रिजर्व बैंक एक्ट की धारा 26 (2) के तहत विमुद्रीकृत नोटों को दोबारा इस्तेमाल करने का आदेश जारी करने के लिए सरकार के पास कोई कानूनी अधिकार नहीं है. इस बारे में सरकार को मेरे माध्यम से लीगल नोटिस भी दिया गया, जिस पर वित्त मंत्रालय ने कोई स्पष्टीकरण या जवाब नहीं दिया. क्या अब यह बेहतर नहीं होगा कि सरकार पुराने बंद नोटों को 30 दिसंबर तक सभी क्षेत्रों में चलन में लाने का नया आदेश जारी करके, देश को संवैधानिक संकट से बचाए...?
अर्थव्यवस्था में मंदी खत्म करने के लिए पुराने नोटों को 30 दिसंबर तक बहाल किया जाए - रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 15 लाख करोड़ रुपये के नोटों की बंदी हुई, जिसके एवज में सिर्फ 10 फीसदी, यानी 1.5 लाख करोड़ के नए नोट बाजार में आए हैं. नकदी न होने से अर्थव्यवस्था में भारी मंदी होने के साथ आम जनता को इलाज, शादी और नौकरी का भारी संकट है. काले धन की बहाली के लिए सरकार द्वारा घोषित नई योजना के बाद अब पुराने नोटों के लेन-देन को भी बहाल करने से आम जनता का संकट कम हो सकता है.
जाली नोट तथा काले धन पर सफलता के बाद अन्य क्षेत्रों के लिए बने कानून - नोटबंदी योजना से 30 दिसंबर के बाद पुराने जाली नोट खत्म हो जाएंगे तथा नई योजना से काले धन पर भी लगाम लगेगी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार नकदी रखने की सीमा 15 लाख निर्धारित होने से कैशलेस इकोनॉमी का विस्तार होगा. प्रधानमंत्री द्वारा बेनामी संपत्तियों पर कड़ी कार्रवाई की बात की गई है, जिसके लिए राज्यों के सहयोग से प्रभावी कानून बनाने की आवश्यकता है. सरकार को पी-नोट्स तथा एफडीआई में पारदर्शिता व इंटरनेट कंपनियों में प्रभावी टैक्स हेतु भी प्रभावी कानून बनाने होंगे, तभी देश काले धन की कालिमा से मुक्त हो सकेगा.
विराग गुप्ता सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं...
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This Article is From Nov 28, 2016
नया इनकम टैक्स संशोधन बिल - अब बंद नोटों की बहाली से खत्म करें संकट
Virag Gupta
- ब्लॉग,
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Updated:नवंबर 28, 2016 18:54 pm IST
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Published On नवंबर 28, 2016 18:14 pm IST
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Last Updated On नवंबर 28, 2016 18:54 pm IST
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