विज्ञापन
This Article is From Jan 12, 2022

अखिलेश यादव के 'बड़े खेल' के बाद क्‍या योगी पर लगाम कसेगी बीजेपी...?

Swati Chaturvedi
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 12, 2022 18:28 pm IST
    • Published On जनवरी 12, 2022 17:00 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 12, 2022 18:28 pm IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मतदान में पूरा एक महीना बाक़ी है, लेकिन दो चीज़ें अभी से स्‍पष्‍ट हैं: अखिलेश यादव इस बार पूरे रंग में हैं और योगी आदित्यनाथ मुश्किल हालत में फंसते नजर आ रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ ने राज्य के क्रिमिनल इंवेस्टिगेशन डिपार्टमेंट के ज़रिए कई विधायकों पर नज़र रखी है. यहां तक कि उनकी अपनी निगरानी सेना, हिंदु युवा सेना ने भी इसमें उनकी मदद की.

यादि वास्‍तव में ऐसा है, तो उन्हें स्‍वामी प्रसाद मौर्य के इस्‍तीफे के रूप में बड़ा झटका लगा है, जो कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ा कद रखने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के नेता हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने उत्तर प्रदेश कैबिनेट से मंगलवार को इस्तीफ़ा दे दिया था. स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थक चार विधायकों ने भी अपने नेता की राह पकड़ी. चारों विधायक तब तक शांत बैठे रहे जब तक‍ कि उनके नेता ने आध‍िकारिक रूप से चौंकाने वाली यह घोषणा नहीं कर दी. इस घटनाक्रम का समय एक दम सटीक था. यह सब तब हुआ जब योगी आदित्यनाथ दिल्ली में अमित शाह समेत भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं से मिल रहे थे. यह मुलाकात उस विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों के चयन के लिए थी जिसके ऊपर बड़ा दांव लगा है.

8u9oglo4

इसमें शामिल विधायकों में से एक ने मुझसे चहकते हुए कहा, "योगी महाराज के घर में सेंध लग गई. उन्हें पता भी नहीं लगा."

68 साल के स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2016 में बसपा को छोड़कर अपनी खुद की पार्टी बनाई और फिर 2017 में भाजपा में शामिल हो गए. स्वामी प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश में ओबीसी वोटों के लिए अहम हैं और उन्होंने 2017 में भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी जब पार्टी ऊंची जाति और पिछड़ी जाति के वोटरों को एक साथ साधने में सफल रही थी. उत्तर प्रदेश में ओबीसी वर्ग की करीब 45% जनसंख्या है. जिनमें यादव 9% हैं, और जिस कुशवाहा जाति से स्वामी प्रसाद मौर्य आते हैं, उसका अनुपात उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में करीब 6% का है. स्वामी प्रसाद मौर्य अखिलेश यादव की गैर-यादव जातियों जैसे कुशवाहा वोटरों तक पहुंच बनाने में मदद कर सकते हैं.

8e8j1fhg

स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले कुछ समय से अखिलेश यादव के संपर्क में रहे हैं. उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य भाजपा की ओर से बदायूं की सांसद हैं जिनकी मुलायम सिंह यादव के साथ तस्‍वीर तीन महीने पहले सामने आई थी. ऐसा माना जा रहा है कि संघमित्रा भी अपने पिता के कदमों पर चलते हुए भाजपा का दामन छोड़ देंगी. संघमित्रा ने संसद में जातिगत जनगणना की मांग उठाई थी जिससे पार्टी को शर्मिंदा होना पड़ा था. पार्टी का कहना था कि जातिगत जनगणना में देरी हो रही है.

इस हफ्ते कुछ और लोगों के भाजपा छोड़ने की संभावना है. लेकिन आखिर अखिलेश यादव कैसे दोबारा प्रभाव जमाने में सफल रहे? इस बार 48 साल के समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने अपने कम्यूनिकेशन स्किल्स के लिए विशेषज्ञों की मदद ली है. इस बार अखिलेश यादव ने अपना काम करने का तरीक़ा बिल्कुल बदल दिया है. उन्हें कहीं ना कहीं ये अंदेशा हो गया था कि इन चुनावों के बाद उनका राजनीतिक करियर ख़त्म हो सकता है.

ओबीसी वोट को एकजुट करने के लिए उन्होंने कई छोटी ओबीसी पार्टियों के साथ मिलकर गठबंधन से मज़बूती पाई है. अखिलेश यादव के साथ एक तरफ अब जाट वोटरों में प्रसिद्ध जयंत चौधरी हैं तो दूसरी ओर मौर्य वोटरों का प्रतिनिधित्व करने वाला "महान दल" उनके साथ है, वहीं दलितों का प्रतिनिधित्व करने वाली "जनवादी सोशलिस्ट पार्टी" भी अखिलेश यादव के साथ है.

d5b3fslo

अखिलेश यादव ने भाजपा के भीतर कहीं ना कहीं मौजूद ओबीसी असंतोष को हवा दे दी है. अखिलेश यादव ने इस भावना का फायदा उठाया कि योगी आदित्यनाथ "ठाकुर राज" का प्रतिनिधित्व करते हैं और योगी अपने ठाकुर समुदाय के लोगों का पक्ष लेते हैं जबकि पिछली बार की भाजपा की जीत में प्रमुख भूमिका निभाने वाली दूसरी जातियों को अहमियत नहीं दी जाती. स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा देते हुए "दलितों, किसानों और पिछड़ी जाति के युवाओं की घोर उपेक्षा" का हवाला दिया.

भाजपा के कद्दावर नेताओं में से ख़ासतौर से अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ के ठाकुरों का पक्ष लेने की भावना (मान्यता या सच के आधार पर) के खतरों को भांप लिया था. साथ ही योगी आदित्यनाथ के 'तानाशाही' नेतृत्व की भनक भी अमित शाह को थी, जिसकी वजह से हाल ही के महीनों में भाजपा को ख़ासी चोट पहुंची है. पिछले साल जुलाई में, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले को योगी आदित्यनाथ की अलोकप्रियता के आंकलन के लिए लखनऊ भेजा गया. लेकिन योगी आदित्यनाथ को उनकी तरफ से हरी झंडी मिल गई और योगी आदित्यनाथ और उनके डिप्टी केशव प्रसाद मौर्य के बीच सुलह करवाई गई. अनमने से योगी आदित्यनाथ को जबरन अपने डिप्टी के साथ कैमरों के सामने लंच करना पड़ा.

अब जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी में घोषणा कर दी है, भाजपा का यह दावा कि अखिलेश यादव और उनकी टीम की पहुंच यादवों से बाहर नहीं है, अब अपनी धार खो चुका है.

opqqbv3o

भले ही चुनाव प्रचार के लिए हर दिन पीएम मोदी और योगी आदित्‍यनाथ की तस्‍वीरें जारी कर यह दिखाया जा रहा हो कि सब ठीक है, लेकिन बीजेपी इस बात से अवगत है कि यह चुनाव उसके लिए आसान नहीं होने जा रहा. अब भाजपा के उम्मीदवारों का चुनाव अमित शाह के फॉर्मूले के आधार पर होना है जिसके अनुसार पार्टी विरोधी लहर से बचने के लिए लगभग 40% मौजूदा विधायकों की जगह नए चेहरे लाए जाएंगे. इसकी वजह से भाजपा के लिए नई चुनौतियां पैदा हो सकती हैं. सूत्रों के मुताबिक इन चुनावों को अगले आम चुनावों के ऑडिशन की तरह देखा जा रहा है और इसी वजह से नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने उत्तर प्रदेश चुनाव में काफ़ी ताकत झोंकी है. वहीं नरेंद्र मोदी और अमित शाह को भी पता है कि उनके लिए योगी आदित्यनाथ की लगाम कसना इतना आसान नहीं होगा क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात पर विश्वास करते हैं कि वो अपने बॉस खुद हैं.

ताजा घटनाक्रम को देखते हुए अमित शाह अपने विश्‍वस्‍त सहयोगियों को लखनऊ रवाना कर रहे हैं. लेकिन यह हफ्ता अख‍िलेश यादव के नाम रहा, जिसे शायद अमित शाह आसानी से नहीं भूलेंगे.

(स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं…)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTVउनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com