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This Article is From Dec 04, 2014

उमाशंकर सिंह की कलम से : निरंजन ज्योति पर बुरी फंसी सरकार

Umashankar Singh, Vivek Rastogi
  • Blogs,
  • Updated:
    दिसंबर 04, 2014 20:26 pm IST
    • Published On दिसंबर 04, 2014 20:22 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 04, 2014 20:26 pm IST

केंद्रीय राज्यमंत्री निरंजन ज्योति का अभद्र बयान सामने आने के बाद पहले तो सरकार ने इसे हल्के में लेकर टालने की कोशिश की, लेकिन लोकसभा में मामला तूल पकड़ने के बाद बीजेपी को लगा कि मंत्री से माफी मंगवा लेने भर से यह मामला शांत हो जाएगा। पहले वेंकैया नायडू ने सोमवार को लोकसभा में इस बाबत बयान दिया और फिर निरंजन ज्योति ने सदन के बाहर दिए अपने बयान पर खेद जता दिया, लेकिन अब विपक्ष उसी माफीनामे को अपराध के कबूलनामे के तौर पर ले रहा है, और कह रहा है कि जब अपराध कबूल लिया तो सज़ा का ऐलान भी होना चाहिए।

तीन दिन से संसद में सरकार को विपक्ष के हंगामे का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, हाल तक विपक्ष में रही बीजेपी शायद इस राजनीतिक फांस की गहराई को पकड़ नहीं पाई कि गलती कबूल करना ही उसके गले की हड्डी बन जाएगा। अब विपक्ष मंत्री की बर्खास्तगी मांग कर रहा है। प्रधानमंत्री के बयान की मांग को राज्यसभा में पूरा भी कर दिया गया, लेकिन हंगामा जारी रहा। गुरुवार को भी विपक्ष के सामने सरकार बस सदन चलने का अनुरोध करती नज़र आई, लेकिन विपक्ष है कि मानने को तैयार नहीं। वह काली पट्टी बांध धरने-प्रदर्शन से लेकर संसद के बायकॉट तक की रणनीति पर विचार कर रहा है।

बीजेपी के बहुमत के सामने कई मुद्दों पर बंटा विपक्ष हांफता नज़र आ रहा था, लेकिन निरंजन ज्योति के मुद्दे के बहाने विपक्ष न सिर्फ एकजुट हो गया है, बल्कि वह सरकार को दिल्ली के सर्द होते मौसम में राजनीतिक गर्मी का एहसास भी दिला रहा है।

इस बीच, विपक्ष ने स्पीकर पर सरकार के दबाव में काम करने का सीधा आरोप तो नहीं लगाया, पर अपने साथ अन्याय और आवाज़ न सुने जाने की शिकायत कर डाली। शुक्रवार को नज़र बीच का कोई रास्ता निकालने पर रहेगी, लेकिन इतना तय है कि बैठे-बिठाए मिले मुद्दे को विपक्ष इतनी आसानी से जाने नहीं देगा, और सरकार को अधिक से अधिक झुकाना चाहेगा।

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