44 दिन, 14 टीमें और 14 मैदानों पर 49 मैच, लेकिन चैम्पियन एक, वह है ऑस्ट्रेलिया। इस वर्ल्ड कप को जीतने के लिए कई टीमें अपने सपने लेकर आई थीं, लेकिन जो सपनों का सौदागर बना वह है ऑस्ट्रेलिया। ऑस्ट्रेलिया का जो सपना था अपने घरेलु मैदान और घरेलु दर्शकों के सामने वर्ल्ड कप जीतना, वह आज मेलबर्न के शानदार मैदान पर पूरा हुआ। इसके साथ-साथ अपने आखिरी मैच में माइकल क्लार्क वर्ल्ड कप जीतने का जो सपने देख रहे थे वह भी पूरा हुआ।
आज की मैच में भावना न्यूज़ीलैंड के साथ जुड़ी थी लेकिन क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के साथ। शानदार क्रिकेट खेलते हुए ऑस्ट्रेलिया ने न्यूज़ीलैंड को सात विकेट से हराया और साबित कर दिया कि फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। इस जीत के साथ ऑस्ट्रेलिया ने पिछले पांच वर्ल्ड कप में से चार अपने नाम किए हैं। आज एक बार फिर फिलिप ह्यूज याद किये गए। ऑस्ट्रेलिया के कप्तान माइकल क्लार्क ने वर्ल्ड कप को फिलिप ह्यूज को समर्पित किया जो एक बहुत बड़ी बात है। आज से करीब तीन महीने पहले फिलिप ह्यूज की मौत सिडनी के क्रिकेट मैदान पर बॉल लगने से हो गई थी।
आज के मैच में ज्यादा कुछ विश्लेषण करने के लिए नहीं बचा है। न्यूज़ीलैंड काफी खराब खेला और मैच हारा। शुरू से लेकर अंत तक किसी भी वक़्त न्यूज़ीलैंड की टीम मैच में अपनी पकड़ बनाती नजर नहीं आई।
न्यूज़ीलैंड की हार की सबसे बड़ी वजह थी दबाव। ऑस्ट्रेलिया के मैदान और ऑस्ट्रेलिया के घरेलु दर्शकों के सामने प्रदर्शन करना न्यूज़ीलैंड के लिए आसान नहीं था। यह न्यूज़ीलैंड का इस वर्ल्ड कप का ऑस्ट्रेलिया के मैदान पर पहला मैच था और हालात के साथ संवरना न्यूज़ीलैंड के लिए मुश्किल था। दूसरी जो सबसे बड़ी वजह थी, वो थी ब्रेंडन मैक्कुलम का पहले ओवर में आउट होना। न्यूज़ीलैंड की टीम मैक्कुलम के ऊपर ज्यादा भरोसा करती है। आज मैक्कुलम के आउट हो जाने के बाद न्यूज़ीलैंड की टीम पर दबाव बढ़ता गया और पूरी टीम 183 रन पर ऑल आउट हो गई।
ऑस्ट्रेलिया ने तो कमाल के खेल का प्रदर्शन किया। चाहे बॉलिंग हो, बैटिंग या फील्डिंग ऑस्ट्रेलिया ने सभी में न्यूज़ीलैंड को पीछे छोड़ दिया था। माइकल क्लार्क ने शानदार कप्तानी के साथ-साथ शानदार बल्लेबाजी करते हुए 74 रन भी बनाए और ऑस्ट्रेलिया को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
इस वर्ल्ड कप को कई कारणों से याद किया जाएगा। चाहे हम मार्टिन गुप्टिल की वेस्टइंडीज के खिलाफ शानदार 237 रन की पारी की बात करें या साउथ अफ्रीका के जे.पी. डुमिनी और इंग्लैंड के स्टीवन फिन के हैट्रिक की। क्रिस गेल ने भी इस वर्ल्ड कप में सबसे तेज दोहरा शतक बनाया। इस वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा 38 शतक भी बने हैं जो अपने आप में एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है। इसे पहले 2011 के वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा 24 शतक बने थे और इस वर्ल्ड कप में 28 बार बॉलर्स को 4 विकेट मिले हैं जो एक और वर्ल्ड रिकॉर्ड है। तो हम कह सकते हैं कि यह वर्ल्ड कप की शानदार तैयारी थी। बैट्समैन के साथ साथ बॉलर्स ने भी रिकॉर्ड बनाए।
इस वर्ल्ड कप की समाप्ति के साथ-साथ कई खिलाड़ी भी क्रिकेट को अलविदा कह गए। आज के बाद इन खिलाड़ियों का जादू देखने को नहीं मिलेगा। आज की जीत के साथ माइकल क्लार्क ने भी एकदिवसीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। क्लार्क ने 245 एकदिवसीय मैच खेलते हुए करीब 45 की औसत से 7981 रन बनाए हैं।
अगर वर्ल्ड कप की बात की जाए तो क्लार्क ने वर्ल्ड कप में 25 मैचों में करीब 64 की औसत 888 रन बनाए हैं और वर्ल्ड कप में यह औसत ऑस्ट्रेलिया की तरफ से सबसे ज्यादा है। लेकिन क्लार्क की बैटिंग का जादू टेस्ट मैचों में देखने को मिलेगा। श्रीलंका के महेला जयवर्धने और कुमार संगकारा, पाकिस्तान के मिस्बाह उल हक और शाहिद अफरीदी, ज़िम्बाब्वे के ब्रेंडन टेलर भी एकदिवसीय क्रिकेट को अलविदा कह चुके है।
This Article is From Mar 29, 2015
सुशील महापात्रा की कलम से : सपनों का सौदागर ऑस्ट्रेलिया
Sushil Kumar Mohapatra
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Updated:मार्च 29, 2015 19:58 pm IST
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Published On मार्च 29, 2015 19:53 pm IST
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Last Updated On मार्च 29, 2015 19:58 pm IST
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