क्या भारत में भी दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं होना चाहिए...?

अक्षय कुमार (Akshay Kumar) भारतीय नागरिक नहीं हैं. यह बात मुंबई में वोटिंग के दौरान सामने आई. कई सितारों ने वोट दिए. उनकी पत्नी ट्विंकल ने भी वोट डाला. लेकिन इस सूची में अक्षय कुमार नहीं थे, क्योंकि उन्होंने कनाडा की नागरिकता ले रखी है.

क्या भारत में भी दोहरी नागरिकता का प्रावधान नहीं होना चाहिए...?

अक्षय कुमार भारतीय नागरिक नहीं हैं. यह बात मुंबई में वोटिंग के दौरान सामने आई. कई सितारों ने वोट दिए. उनकी पत्नी ट्विंकल ने भी वोट डाला. लेकिन इस सूची में अक्षय कुमार नहीं थे, क्योंकि उन्होंने कनाडा की नागरिकता ले रखी है. लेकिन क्या नागरिकता न होने से अक्षय कुछ कम भारतीय हो जाते हैं...? इत्तफाक से पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने लगातार ऐसी फिल्में कीं, जिनका वास्ता देशभक्ति से है. बल्कि कुछ अतिरिक्त राजभक्ति दिखाते हुए उन्होंने बिल्कुल सरकारी कार्यक्रमों को बढ़ावा देने वाली 'टॉयलेट - एक प्रेम कथा' और 'पैडमैन' जैसी फिल्में भी कीं. और तो और, ऐन चुनावों के बीच उन्होंने प्रधानमंत्री का इंटरव्यू किया और देसी चुटकुले भी साझा किए.

चाहें तो आप पूछ सकते हैं कि क्या प्रधानमंत्री को किसी विदेशी को ऐसा इंटरव्यू देना चाहिए था, लेकिन इस सवाल का कोई मतलब नहीं है. अक्षय भारतीय नागरिक न होते हुए भी पूरी तरह भारतीय हैं. यही बात कुछ और सितारों के बारे में कही जा सकती है, जिनकी नागरिकता तकनीकी तौर पर किसी और देश की है.

इत्तफाक से जब ये पंक्तियां लिखी जा रही हैं, तब राहुल गांधी की नागरिकता के सवाल पर प्रियंका गांधी वाड्रा यही बात कह रही हैं. उनका कहना है, राहुल भारत में पैदा हुए और यहीं रहे - उन्हें कौन बाहरी कह सकता है...?

जो लोग अक्षय कुमार को विदेशी नहीं बता पा रहे, वे राहुल गांधी को बता रहे हैं. BJP सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से लौटाए जाने के बाद गृह मंत्रालय में शिकायत की और गृह मंत्रालय ने राहुल गांधी को नागरिकता के सवाल पर नोटिस भेज दिया.

लेकिन विचार करने की बात दरअसल दूसरी है. भारत में अब एकल नागरिकता का कानून पुराना पड़ चुका है. इस कानून के मुताबिक कोई व्यक्ति अगर दूसरे देश की नागरिकता ले लेता है, तो उसे भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है. लेकिन इसकी वजह से कई लोग नागरिकता के सवाल पर दुविधा में घिरते हैं और न चाहने के बावजूद अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने को मजबूर होते हैं. इन दिनों बहुत सारे लोग हैं, जो नौकरी के सिलसिले में दूसरे देशों में जा रहे हैं. वहां पैदा होने वाली उनकी संतानें स्वाभाविक तौर पर उन देशों की नागरिक बन जाती हैं. अगर उन्हें भारतीय बने रहना है, तो वह नागरिकता छोड़नी पड़ती है.

ऐसा नहीं कि दूसरे देशों में बसे भारतीयों को हम पराया मानने लगते हैं. पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री जिन देशों में गए, वहां उन्होंने भारतीय लोगों को संबोधित किया. कई देशों में 'मोदी-मोदी' के जो नारे गूंजे, उनके पीछे भारतवंशी लोग ही रहे. यह भी सच है कि विदेशों में बसे भारतीयों के लिए कानूनन सहूलियतें देने की मांग बढ़ रही है. इन्हीं दिनों अनिवासी भारतीयों के लिए वोटिंग के अधिकार की मांग तक उठी. यानी एक तरह से एकल नागरिकता कानून के बंधन वैसे ही कम हो रहे हैं.

निश्चय ही दोहरी नागरिकता को लेकर कई अहम सवाल सामने आएंगे. दोहरी नागरिकता लेकर कारोबार या नौकरी करने वाले लोग किन देशों में कर देंगे या किस तरह की न्यायिक प्रक्रियाओं से बंधे रहेंगे, लेकिन इन सवालों के हल खोजे जा सकते हैं. अहम बात यह है कि दोहरी नागरिकता हमारी भारतीयता का विस्तार करेगी. इससे राष्ट्रवाद कमज़ोर नहीं पड़ेगा, कुछ मज़बूत ही होगा.

अभी ब्रिटिश राजपरिवार के प्रिंस हैरी और उनकी अमेरिकन पत्नी मेगन की संतान आने वाली है. उसे अपने जन्म से ही दोहरी नागरिकता मिल जाएगी. वह ब्रिटेन में पैदा होगी, लेकिन उसकी मां अमेरिकन है, जो ब्रिटिश नागरिकता लेने की प्रक्रिया में है, लेकिन जिसने अपनी नागरिकता छोड़ने पर फैसला नहीं किया है.

दोहरी नागरिकता का ऐसा स्वीकार हमारे यहां भी हो जाए, तो बहुत सारे भारतीय अपनी नागरिकता गंवाने को मजबूर नहीं होंगे.

प्रियदर्शन NDTV इंडिया में सीनियर एडिटर हैं..

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