पांच राज्यों में दिसंबर में चुनाव होने वाले हैं. ये राज्य हैं मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम. इन सभी राज्यों में लोकसभा की 83 सीटें हैं. सीटों की स्थिति देखें तो कुछ इस तरह से है. मध्यप्रदेश-29, राजस्थान -25, छत्तीसगढ़-11, तेलंगाना-17 और मिजोरम में 1 लोकसभा की सीट है. इन राज्यों में से मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी सत्ता में है जबकि तेलंगाना में टीआरएस और मिजोरम में कांग्रेस की सरकार है. अब इन राज्यों में विधानसभा की क्या स्थिति है उस पर एक नजर डालते हैं. मध्यप्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं जिसपर 28 नवंबर को वोटिंग होनी है और गिनती 11 दिसंबर को. मध्यप्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं जिसमें से 26 पर बीजेपी का कब्जा है तो कांग्रेस के पास केवल 3 सीटें हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि वह मध्यप्रदेश में विधानसभा और लोकसभा दोनों में अच्छा करेगी. वजह है शिवराज सिंह चौहान के 15 सालों का शासन साथ ही एक पीढ़ी वहां तैयार हो गई है जिसने दूसरे दल का शासन देखा ही नहीं है. कांग्रेस के कमलनाथ के पास अनुभव है तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की युवाओं में खासी अपील है. महत्वपूर्ण बात ये है कि 2015 में रतलाम सीट पर लोकसभा के लिए उपचुनाव हुआ था जिस पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी और बीजेपी से ये सीट छीनी थी. शिवराज सिंह चौहान को किसानों का भी गुस्सा झेलना पड़ रहा है, खासकर मंदसौर में किसानों पर हुई फायरिंग की घटना के बाद.
अब बात राजस्थान की करते हैं. राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं. यहां 7 दिसंबर को वोटिंग है. राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं और 2014 में सभी 25 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया हुआ है. लेकिन यहां 2 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की. लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने अलवर की सीट 1 लाख 96 हजार वोटों से जीती और अजमेर लोकसभा सीट 84 हजार वोटों से. यही नहीं, विधानसभा की भी तीन सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इस लिहाज से बीजेपी के लिए 2014 लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को दोहराना संभव नहीं लगता है. राहुल गांधी ने कई साल पहले सचिन पायलट को राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष बना कर भेज दिया था जिन्होने वहां खूब यात्रांए की हैं. अगर कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सीटों के बंटवारे पर खींचतान नहीं हुई तो कांग्रेस यहां बेहतर करने की हालत में होगी.
अब छत्तीसगढ़ की भी बात कर लें. यहां विधानसभा की 90 सीटें हैं जिसमें बीजेपी के पास 49 सीटें हैं और कांग्रेस के पास 39 सीटें. मगर वोट प्रतिशत को देखें तो बीजेपी को 41 फीसदी वोट मिले थे और कांग्रेस को 40.3 फीसदी. यानी वोटों का अंतर एक फीसदी से भी कम है. इस बार यहां विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबला होगा क्योंकि मायावती और अजित जोगी ने मिल कर एक नया मोर्चा बना लिया है. इसलिए यहां का मुकाबला मजेदार होगा. छत्तीसगढ़ में लोकसभा की 11 सीटें हैं जिसमें 10 पर बीजेपी का कब्जा है तो एक पर कांग्रेस का. 2019 के लिए यह राज्य भी कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होगा.
बात करते हैं तेलंगाना की. यहां विधानसभा की 119 सीटें हैं. यहां 7 दिसंबर को वोटिंग होनी है. तेलंगाना में इस बार चंद्रशेखर राव के टीआरएस के खिलाफ विपक्ष ने पूरी घेराबंदी की है. विपक्ष ने एकजुट होकर गठबंधन बनाया है जिसे महाकुटामी कहा जा रहा है यानी महागठबंधन. इसमें कांग्रेस, तेलगु देशम पार्टी, सीपीआई और तेलंगाना जनसमिति शामिल है. कहा जा रहा है 80 सीटों के आसपास कांग्रेस चुनाव लड़ेगी, बाकी सहयोगियों को दिया जाएगा. यदि तेलंगाना के लोकसभा सीटों की बात करें तो यहां 17 सीटें हैं जिसमें टीआरएस के पास 11, कांग्रेस-2, बीजेपी-1, एआईएमआईएम-1, वाईआरएस कांग्रेस -1 और टीडीपी के पास 1 सीट है. अब सबसे बड़ा सवाल है कि जिस तरह से तेलंगाना में विधानसभा चुनाव में सभी विपक्षी दल एकजुट होकर लड़ रहे हैं तो क्या लोकसभा चुनाव में भी ये साथ लड़ेंगे? यदि ऐसा होता है तो तेलंगाना से 2019 लोकसभा के आंकड़े चौंकाने वाले होंगे.
और अंत में मेघालय की बात जहां विधानसभा की 40 सीटें हैं और लोकसभा की 1 सीट. विधानसभा और लोकसभा दोनों पर कांग्रेस का कब्जा है मगर जिस तरह से बीजेपी का उत्तर पूर्व के राज्यों पर कब्जा करने का अभियान चल रहा है, कांग्रेस को काफी सावधान रहने की जरूरत है. अब लोकसभा सीटों के आंकड़ों को देखें इन सारे राज्यों को मिला दें तो लोकसभा की 83 सीटें बनती हैं. इसमें से 60 बीजेपी को पास है और कांग्रेस के पास केवल 9 सीटें. यानी 2019 में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है. उसे बस अपने पत्ते सही ढंग से खेलने हैं केयोंकि 11 दिसंबर को जब पांच राज्यों के विधानसभा के आंकड़े आएंगे तो वो इस स्थिति में होंगे कि चीजों का सही आकलन कर सकें. कांग्रेस को तब पता होगा कि कौन से मुद्दे काम कर रहे हैं और कौन से नहीं. हांलाकि कहा यह जाता है कि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में मुद्दे अलग-अलग होते हैं. यह काफी हद तक सही है मगर यह भी सही है कि विधानसभा के नतीजे से लोगों के मूड का अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है क्योंकि यह 2014 नहीं है, 2019 है और तब से अब तक गंगा में काफी पानी बह चुका है.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...
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This Article is From Oct 12, 2018
2019 का सेमीफाइनल...
Manoranjan Bharati
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Updated:अक्टूबर 15, 2018 11:54 am IST
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Published On अक्टूबर 12, 2018 18:29 pm IST
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Last Updated On अक्टूबर 15, 2018 11:54 am IST
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