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This Article is From Apr 02, 2016

पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए अहम है मोदी की सउदी अरब यात्रा

Kadambini Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 02, 2016 20:24 pm IST
    • Published On अप्रैल 02, 2016 20:12 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 02, 2016 20:24 pm IST
पिछले कुछ सालों में भारत और सउदी अरब के रिश्ते अहम होते गए हैं। आतंकवाद के खिलाफ भारत की कोशिशों में सउदी अरब लगातार साथ दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सउदी अरब का दौरा न सिर्फ वहां से आने वाले 20 फीसदी क्रूड तेल, हज, उमराह और वहां बड़ी संख्या में काम कर रहे भारतीयों के कारण अहम है बल्कि एक तरह से पाकिस्तान को घेरने के लिए भी बेहद जरूरी है।

जैबुद्दीन अंसारी उर्फ अबू हमजा उर्फ अबू जुंदाल, यह आतंक का वह नाम है जिसके प्रत्यर्पण से भारत और सउदी अरब के रिश्तों की अहमियत सबके सामने आई। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक 26-11 के मुंबई हमलों का आरोपी, आतंकवादियों का हैंडलर माना जाने वाला यह शख्स लश्कर ए तैय्यबा के लिए पैसे जमा करने के लिए तीन साल तक सउदी अरब में था। वहां उसे ट्रैक किया गया और जून 2012 में उसका प्रत्यर्पण हुआ।

इसके अलावा दिल्ली और बेंगलुरु में हमलों के मामलों में तलाशे जा रहे इंडियन मुजाहिदीन के फाउंडिंग मेंबर फसीह मुहम्मद को सउदी अरब ने अक्टूबर 2012 में डिपोर्ट किया। दिल्ली एयरपोर्ट पर उसकी गिरफ्तारी हुई। एक और आतंकी अबू सूफिया को दिसंबर 2015 में सउदी अरब ने भारत को सौंपा। दस साल से सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस को चकमा दे रहे हैदराबाद के मोहम्मद अब्दुल अज़ीज को भी सउदी अरब ने इसी फरवरी में  भारत को सौंपा।

असल में करीब 6 साल पहले भारत और सउदी अरब ने सुरक्षा और आतंक पर रोक लगाने के मामले में काफी करीब से काम करना शुरू किया। एक वक्त था जब सउदी अरब लगातार पाकिस्तान के ही साथ खड़ा दिखता था, लेकिन किंग अब्दुल्लाह के 2006 के भारत दौरे और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2010 के रियाद दौरे में समझौते के बाद स्थिति तेजी से बदलने लगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सउदी अरब का दौरा न सिर्फ वहां से आने वाले 20 फीसदी क्रूड तेल, हज, उमराह और वहां बड़ी संख्या में काम कर रहे भारतीयों के कारण अहम है बल्कि एक तरह से पाकिस्तान को घेरने के लिए भी बेहद जरूरी है। भारत हर तरफ से पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है- संयुक्त राष्ट्र में, यूरोपियन यूनियन में, सार्क में और इस कड़ी में सउदी अरब भी आता है।

कुछ साल पहले जब सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकी गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किए गए कुछ लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि कई आतंकी संगठनों ने रियाद में भी अपना एक आधार बना रखा है जिसके जरिए न सिर्फ हमलों के लिए फंड जमा किया जाता है बल्कि आतंकवादी  हमले कर बच निकलने की एक जगह भी है।   

हालांकि जानकार यह भी कहते हैं कि सउदी अरब पाकिस्तान से किनारा कर लेगा ऐसा नहीं होने वाला है, धर्म और पुराने रिश्ते के आधार काफी मजबूत हैं। लेकिन यह भी सच है कि अपने ऊपर आतंक को लेकर लगते आरोपों के बीच रियाद ने कुछ देशों का संघ बनाकर आतंक से निबटने की शुरुआत की है और धारण बदलने की थोड़ी बहुत कोशिश भी। ऐसे में भारत के लिए जरूरी है कि वह जिस हद तक हो सके अपने रिश्ते उससे मजबूत करे और अपनी जमीन पर आतंक के खिलाफ लड़ाई में मजबूती से पैर जमाए।

(कादंबिनी शर्मा एनडीटीवी इंडिया में एंकर और एडिटर फारेन अफेयर्स हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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