सुप्रीम कोर्ट से आ रही इस खबर को नोट किया जाना चाहिए. बल्कि ये खबरें चिन्ता में डालने वाली हैं. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी गौतम नवलखा ने सुप्रीम कोर्ट में अपने खिलाफ एफआईआर रद्द करने की याचिका लगाई थी. इस याचिका पर सुनवाई से तीन बेंच और पांच जजों ने अलग कर लिया है. इनमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल हैं. आज पांचवे जज जस्टिस रवींद भट्ट ने भी इस मामले से किनारा कर लिया. जब यह मामला तीन जजों की बेंच जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई के सामने आया तो तीनों जजों ने सुनवाई से अलग कर लिया. गौतम नवलखा की गिरफ्तारी पर बांबे हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई है जो 4 अक्तूबर को समाप्त हो रही है. आखिर इस केस में ऐसा क्या है, कि पांच-पांच जज खुद को सुनवाई से अलग कर रहे हैं. अभिषेक मनु सिंघवी और नित्या रामाकृष्णन गौतम नवलखा के वकील हैं. यह खबर यहीं समाप्त होती है. क्योंकि ख़बरें ऐसे ही समाप्त होती जाती हैं. धीरे-धीरे और फिर एक दिन अचानक से.
दूसरी खबर शुरू करते हैं. दिल्ली में एक ऐसा काल सेंटर पकड़ा गया है जो हमारे समाज की भीतर की परत को खोल देता है. आप देखिए कि ऊपर से बेटी-बेटी करने का अभिनय करने वाला यह समाज भीतर से कैसे बेटियों को न चाहना और मारने की परिस्थिति रचता रहता है. एक काल सेंटर के ज़रिए बड़ा नेटवर्क पकड़ा गया है जिसका काम था उन दंपत्तियों को सिंगापुर भेजना, दुबई भेजना या थाईलैंड भेजना जो बेटे की चाह में इन विट्रो फर्टीलाइज़ेशन सेंटर जाते हैं.
इसी हफ्ते The National Inspection and Monitoring Committee (NIMC) ने दक्षिण दिल्ली के कीर्तिनगर के एक क्लिनिक में छापे मारा तो इस नेटवर्क को पता चला. कीर्तिनगर में एक आईवीएफ सेंटर में जब छापा पड़ा तब वहां से इस काल सेंटर के बारे में पता चला जिसे आईआईटी से पास करने वाले इंजीनियर ने स्टार्ट अप के तौर पर चलाया था. दो साल से ये काल सेंटर चल रहा था. करोलबाग के एक होटल कोरिया प्लाज़ा में यह काल सेंटर काम कर रहा था जहां पर सोमवार को छापा पड़ा था. काल सेंटर को सील कर दिया गया है और यहां से 300 लैपटाप ज़ब्त किए गए हैं. यहां पर करीब 300 लोग काम करते थे. छापा मारने वाली एजेंसी कीर्तिनगर वाले सेंटर पर इसलिए गई थी क्योंकि उसे शक था कि यहां पर लिंग परीक्षण होता है. वहां से पता चला कि एक काल सेंटर चल रहा है. जिससे देश भर के 100 इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन सेंटर जुड़े हैं. आप जानते हैं कि भारत में गर्भ धारण से संबंधित एक सख्त कानून है. न तो पहले और न बाद में लिंग परीक्षण किया जा सकता है. ऐसा करने वाले पति पत्नी और सहयोग देने वाले डाक्टरों को जेल की सज़ा होती है. तीन साल की सज़ा होती है. किसी किसी मामले में 5 साल की जेल है. दुनिया के किसी भी देश में यह बड़ी खबर होती लेकिन दिल्ली में रामलीला में कौन नेशनल रजिस्टर आफ सिटिज़न की बात कर रहा है, इस पर चर्चा है.
तो Pre Conception, Pre Natal Diagnostic Techniques Act (PC-PNDT) Act के होते हुए भी दिल्ली शहर में एक काल सेंटर चल रहा था. हम इस खबर को इतने हल्के में ले रहे हैं कि छापा पड़े हुए चार दिन हो गए मगर यह वेबसाइट ब्लॉक नहीं की गई है. एलावुमेन नाम की इस वेबसाइट पर दावा किया है कि इसने दो साल के भीतर एक करोड़ से अधिक मरीज़ों की सेवा दी है. एक लाख डाक्टर और क्लिनिक इससे जुड़े हैं. 61000 से बच्चे पैदा हुए हैं और 30 लाख से अधिक अप्वाइंटमेंट डाक्टरों के साथ कराए हैं. काल सेंटर का आईवीएफ में प्रतिनिधि होता था. जांच करने वाली संस्था The National Inspection and Monitoring Committee (NIMC) का दावा है कि 6 लाख महिलाओं ने इस काल सेंटर से संपर्क किया था.. जब NIMC के अफसर इस काल सेंटर में गए तो उन्हें बताया गया कि 100 फीसदी बेटा पैदा होने की सौ प्रतिशत गारंटी वाली प्रक्रिया क्या है. सरकारी प्रेस रिलीज में इसी वेबसाइट का पता दिया गया है.
बहुत ज़रूरी है कि उन माता पिता को पकड़ा जाए जिन्होंने दुबई सिंगापुर और थाईलैंड जाकर लिंग परीक्षण का काम किया है. बल्कि न्यू इंडिया के इन माता पिता को खुद सरेंडर कर देना चाहिए और अपने डाक्टरों के नाम बता देना चाहिए. वो कानून से बच जाएंगे लेकिन उस टैम्पो से नहीं बच पाएंगे जो उनकी गाड़ी के आगे जा रहा होगा और उस पर लिखा होगा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ. हालत यह है कि (PC-PNDT) Act 1996 में बना था लेकिन दिल्ली के प्रोग्राम अफसर नितिन कुमार का मीडिया में बयान छपा है कि दिल्ली में पहली बार किसी आईवीएफ क्लिनिक के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई की गई है. आखिर लोग रास्ता खोज रहे हैं कि कैसे दुबई, सिंगापुर और थाईलैंड के कानूनों का फायदा उठाकर लड़का पैदा किया जाए और लड़की पैदा होने से रोका जाए. इस काल सेंटर से संपर्क स्थापित करने वाले कितने दंपतियों को बेटा हुआ और कितनों को बेटी, जब तक इसकी जांच नहीं होगी, ठोस रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है. इसलिए इस क्षेत्र में काम करने वाली संस्था गर्ल्स काउंट की मांग है कि एक एक मरीज़ का डिटेल जांच होना चाहिए.
मात्र 10,000 रुपये में रजिस्ट्रेनशन कराई. साढ़े आठ लाख का पैकेज खरीदिए और दुबई जाकर बेटा पैदा कीजिए. अबू धाबी से चलने वाले एक न्यूज़ साइट दि नेशनल की रिपोर्ट भी बता रही है कि दुबई में गर्भधारण से पहले लिंग परीक्षण का धंधा फल फूल रहा है. निक वेबस्टर की रिपोर्ट में कहा गया है. दुबई में ऐसे क्लिनिक की मांग बढ़ गई है जहां लोग आकर अपने बच्चे का लिंग तय करते हैं. पिछले पांच साल में बेटा पैदा करने की मांग करने वालों की संख्या डबल हो गई है. एक डाक्टर ने बयान दिया है कि बेटा चाहने वाले ज्यादातर मां बाप भारत से हैं.
जब तक एक एक मरीज़ का रिकार्ड नहीं देखा जाएगा और तब तक पता नहीं चलेगा कि कितनों ने बेटा के लिए संपर्क किया है. गर्भ में बेटियों को मारने की अनुमति भारत में नहीं है तो बाहर के देशों में जाकर यह काम हो रहा है. साफ शब्दों में यही बात है. इसलिए हमारा समाज ऐसी खबरों पर चुप हो जाता है क्योंकि बहुत से लोग इस तरह की खबरें देखकर उम्मीदें पालने लगते हैं कि उन्हें कैसे चोरी छिपे चांस मिलेगा. यह भी एक सच्चाई है. इस कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
क्या कभी इस खेल में शामिल डाक्टर पकड़े जाएंगे, मुश्किल लगता है. उम्मीद ही की जा सकती है कि पकड़े जाएंगे. और इसमें तीस साल नहीं लगेगा. इसलिए इस खबर को अपनी चर्चाओं में बनाए रखिए. पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक की चर्चा ग़ायब हो गई. सोचिए कि आपका पैसा ऐसे डूब जाता, डूबना ही तो है आखिर आप एक सीमा से ज्यादा अपना पैसा नहीं निकाल सकते हैं, तो आप टीवी पर क्या देखना पसंद करते. पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक के ग्राहकों को कुछ समझ नहीं आ रहा है. हमारे सहयोगी सुनील सिंह ने बताया है कि इस मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है. ये दोनों ही हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रा लिमिटेड के निदेशक हैं. यह एक रीयल इस्टेट कंपनी है. जिसके कारण पीएमसी बैंक का 6500 करोड़ का लोन एनपीए हो गया और आम लोग सड़क पर आ गए जिनका कोई कसूर नहीं था. इनके नाम हैं राकेश वाधवा और सारंग वाधवा. इन्हें मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने गिरफ्तार किया है. पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर जॉय थामस फरार हैं. उनकी तलाश चल रही है.
एफआईआर के मुताबिक पीएमसी बैंक को कर्ज़े में डूबाने वाले 44 बड़े अकाउंट हैं. इनमें से 10 खाते वाधवान से जुड़े हैं जिनकी कंपनी है HDIL. इन 10 खातों में एक सांरग और दूसरा राकेश वाधवान का प्राइवेट खाता है.
एक खाता HDIL का है और 7 खाते HDIL ग्रुप से जुड़े हैं. पुलिस को शक है कि बाकी के 34 खाते भी HDIL के हैं मगर बेनामी हैं. क्योंकि उन 34 खातों में वाधवान और HDIL के पैसे हस्तांतरित हुए हैं. दूसरे खातों में बैंक से लोन लेकर वाधवा के खाते में डाला गया है. बैंक के पूर्व चेयरमैन वरियम के घर की तलाशी हुई है और डीमैट ज़ब्त हो गया है. पीएमसी बैंक ने सिर्फ एक ग्रुप की कंपनियों को 73 फीसदी लोन दिया है. यह कैसे हो सकता है. यही नहीं कर्ज भी दिया और उसे छिपाने का फर्जीवाड़ा भी किया. नतीजा खाताधारक जिन्हें पता भी नहीं होता कि उनके पीछे बैंक के निदेशक प्रमोटर क्या खेल, खेल रहे हैं, वो सड़क पर हैं. उनकी नींद उड़ गई है.
ग्राहकों के पोस्टर पर लिखे नारों को पढ़िए. ये लोग इस वक्त खुद को कितना लाचार महसूस कर रहे हैं. अपने मुख्यमंत्री से सुनना चाहते हैं, अपने नेताओं से सुनना चाहते हैं. कस्टमर है तो मोदी जी आप हैं, हाउडी बैंक अकाउंट होल्डर रोड पर. मोदी जी क्या ये आपका डिजिटल इंडिया है, आरबीआई से कहिए, पैसे वापस करे. एसओएस मोदी जी, हमारे पास दवा के लिए पैसे नहीं हैं. मोदी जी पीएमसी खाताधारकों के लिए आपके मन की बात क्या है. हम यहां मर रहे हैं. पीयूष गोयल क्या आप मुंबईकर हैं, आपका दिल पीएमसी खाताधारकों के लिए क्यों नहीं पसीज रहा है, मोदी जी क्या आप हमारी आत्महत्या का इंतज़ार कर रहे हैं, हमें बचाइये. मोदी जी यह घोटाला आपकी नाक के नीचे हुआ है, हमारे पैसे वापस कराइये. पीएमसी खाताधारकों के लिए काली दीवाली, चौकीदार कहां हैं. इस पोस्टर को देखिए. यह वोटर लिखने के लिए मजबूर हुआ है कि मोदी जी मैंने आपको वोट किया है, आज मैं शर्मिंदा महसूस कर रहा हूं. इसके बाद भी इस खबर को लेकर मीडिया में शांति है. आप सोच लीजिए, अगर आपके साथ हुआ और टीवी इन बैनरों को दिखाने की जगह रामलीला दिखाने लगे तो आपको कैसा लगेगा.
पहले कहा गया कि छह महीने में 1000 ही निकाल सकते हैं फिर रिज़र्व बैंक को दया आई जिसे अब दस हज़ार कर दिया गया है. लेकिन जिनके पैसे यहां जमा हैं वो इस 10000 में क्या कर लेंगे. किसी का बिजनेस है किसी की शादी है. यह सब न भी है तो जिसका पैसा है वो जब चाहे निकाल सकता है. एक बार आप समस्या में घिर जाएं तो आपका अकेलापन बढ़ जाता है. सिस्टम सामने नहीं आता कंधे पर हाथ रखने. पीएमसी खाताधारकों को बोलते हुए सुनिए तो आपको अकेलेपन की बदहवासी साफ साफ दिखेगी. दो अक्तूबर को इन लोगों ने भी ट्विटर पर ट्रेंड कराने का प्रयास किया था मगर जनता से साथ नहीं मिला. दो अक्तूबर को गोडसे अमर रहे नंबर वन ट्रेंड कर रहा था.
मुंबई के गुरुद्वारों ने बैंक के चेयरमैन वाइस चेयरमैन सहित आठ सिख सदस्यों को गुरुद्वारों से तनखैया घोषित कर दिया है. देश भर के बाकी गुरुद्वारों से भी यही अपील की गई है कि इन आठों को मज़हबी सम्मेलनों में न आने दिया जाए. गुरुनानक देव की जयंती में नहीं जाने दिया जाए. इनमें से एक राजनीत सिंह के पिता सरदार तारा सिंह बीजेपी के विधायक रहे हैं. राजनीत सिंह टिकट के चक्कर में थे मगर नहीं मिली है.
मुंबई मिरर के रिपोर्टर मकरंद गडगिल की रिपोर्ट है कि पीमसी के चेयरमैन वरयाम सिंह 2006 से 2015 तक HDIL तक बोर्ड आफ डायरेक्टर का सदस्य था. 2017 में पीएमसी का बैंक का चेयरमैन बना दिया. जबकि रिज़र्व बैंक ने 2017-18 में केंदीय कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले सेंट्रल रजिस्ट्रार आफ कोपरेटिव सोसायटी से कहा था कि वरयाम सिंह चेयरमैन बनने के लायक नहीं है. फिर भी 2017 में वरयाम सिंह को चेयरमैन बना दिया गया. HDIL से निकल कर पीएमसी बैंक का चेयरमैन बनना, पीएमसी बैंक 73 फीसदी लोन HDIL को देती है, यह सब खेल समझना है तो आप इन खाताधारकों के साथ दो मिनट पैदल चलकर देखिए. सिर्फ यही सोचकर होश उड़ जाएंगे कि अगर आपके बैंक के साथ ऐसा हो गया तो क्या होगा.
पटना में अगले दो दिनों में भारी बारिश का अलर्ट जारी हुआ है. 24 घंटे में 110 मिलीमीटर बारिश होने की आशंका है. अगर इतनी बारिश हुई तो समस्या और गहरी हो सकती है. पटना, वैशाली, बेगूसराय और खगड़िया के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ है यानि भारी बारिश होगी. गंगा नदी बक्सर के अलावा बिहार में हर जगह ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही है. पुनपुन नदी का पानी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. पानी बढ़ जाने के कारण पुनपुन और परसा बाज़ार के बीच ब्रिज को बंद कर दिया गया है. तमाम दावों के बाद भी राजेंद नगर से पानी निकला नहीं है बल्कि अब सड़ कर दूसरी समस्याएं पैदा करने लगा है. सरकार ने मेडिकल कैंप लगाए हैं जहां बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए गए भी हैं.
मनीष कुमार राजेंद्र नगर इलाके के आरके एवन्यू के ड्रेनेज पंपिंग प्लांट का मुआयना करने गए. जो पानी भर जाने के कारण काम नहीं कर सका था. अभी तक यहां से पानी नहीं निकला है. यहां पर 4 पंप हैं. एक 75 हार्स पावर का, एक 100 हार्स पावर का, एक 156 हार्स पावर का और एक 125 हार्स पावर का है. इसमें से तीन बिजली से चलते हैं और एक डीज़ल से. पांच दिन हो गए हैं फिर भी इस संपिंग हाउस को चालू नहीं किया जा सका है. बुडको के ऊपर जिम्मेदारी थी कि संपिंग हाउस को चालू किया जाए जो इस काम में विफल रहा है. पटना के संकट की कहानी इन पंपों से भी शुरू होती है. 1997 में जब कंकड़बाग, राजेंद्रनगर में पानी भर गया था तो श्याम किशोर शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी. एक साल तक पटना हाई कोर्ट ने खुद बड़े नालों की सफाई की निगरानी की थी. कोर्ट ने तब वकील जेएन सिंह को कमिश्नर बनाकर पंपों का मुआयना करने के लिए कहा था. तब पता चला कि जब पटना बसाया गया 1912-16 के बीच तब अंग्रेज़ों को पता था कि पटना निचले इलाके में बसाया गया है इसलिए 9 बड़े नाले और 18 छोटे नाले बने थे, जो अब भर चुके थे. इन्हें चालू करने के लिए 9 पंप हाउस बनाए गए जो जांच में पाया गया कि सभी 9 पंप हाउस बेकार हो चुके हैं. हाईकोर्ट के आदेश से इन पंप हाउस को ठीक गिया गया. इस कारण 2009 तक इतनी भयावह स्थिति नहीं हुई. उसके बाद कोर्ट ने पटना नगर निगम को काम सौंप दिया और निगम अपनी रफ्तार में आ गया. सारी मशीनें सड़ने लगीं. ये श्याम किशोर शर्मा का कहना है. यही कारण है कि बिहार सरकार को कोल इंडिया और एनटीपीसी से पंप मंगाने पड़े हैं.