
- भारत ने 7 मई को पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था.
- इस ऑपरेशन में मुजफ्फराबाद, कोटली, भीमबर, रावलकोट और चकस्वरी को निशाना बनाया गया था.
- नई हाई-रेजॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरों में भारत की ओर से हुए हमलों के प्रभाव को देखा जा सकता है.
- पीओके में सैयदना बिलाल और कोटली गुलपुर कैंप पर हमले किए गए थे.
भारत ने सात मई को पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. इस कार्रवाई में भारत की सेना ने आतंकी अड्डों को खत्म किया था. एनडीटीवी के पास हाई-रेजॉल्यूशन सैटेलाइट तस्वीरें आई हैं जिसमें पहली बार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में दो बड़े आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर भारत के हमलों का असर नजर आ रहा है. सेनाओं की तरफ से हमले में इस्तेमाल किए गए हथियारों की पहचान नहीं की गई है लेकिन माना जा रहा है कि दोनों टेरर कैंप्स को ड्रोन से निशाना बनाया गया था.
कहां पर हैं ये टेरर कैंप्स
जो तस्वीरें आई हैं वो दो शिविरों की हैं, एक कश्मीर में तंगधार से 36 किलोमीटर पश्चिम में मुजफ्फराबाद में सैयदना बिलाल कैंप और दूसरा जम्मू में राजौरी से 40 किलोमीटर पश्चिम में कोटली गुलपुर कैंप. दोनों पर 7 मई की सुबह हमला किया गया. यह हमला 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की प्रतिक्रिया थी. हमले में पाकिस्तान और पीओके में कई आतंकी बुनियादी ढांचे वाले स्थलों को निशाना बनाया गया था जिसमें 26 नागरिकों की जान चली गई थी. पहलगाम आतंकी हमला मार्च 2000 में छत्तीसिंहपुरा नरसंहार के बाद जम्मू-कश्मीर में हुआ सबसे खतरनाक आतंकवादी हमला था. उस हमले में 36 सिखों की मौत हो गई थी.

सैयदना बिलाल
पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद में सैयदना बिलाल कैंप जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकवादियों के लिए एक प्रमुख ठिकाना था. इस कैंप में आतंकवादियों को हथियार चलाने, जंगल में बचने और विस्फोटक तथा आयुध बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता था. हमले से पहले और बाद की तस्वीरों में एक-दूसरे से जुड़ी इमारतों (81 x 92 फीट) को ड्रोन हमले में नष्ट होते हुए दिखाया गया है. इलाके में कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है.
सेना सूत्रों के अनुसार, जून 2023 में खास ट्रेनिंग के लिए सैयदना बिलाल के पास भर्ती किए गए लोगों को भेजा गया था. उन्हें कठुआ और रामबन के बीच रेलवे पुल को निशाना बनाने के मकसद से उरी और केरन सेक्टरों में नियंत्रण रेखा के पार लॉन्च करने के लिए तैयार किया जा रहा था.

प्रशिक्षण के बाद इन आतंकियों को पाकिस्तान के पंजाब में स्टेजिंग कैंप और लॉन्च पैड पर ले जाया गया जहां उन्हें खास कम्युनिकेशन ट्रेनिेग दी गई थी. ट्रेनिंग के बाद उन्हें चार से आठ आतंकवादियों के समूहों में बांटा गया और मार्च और मई 2024 के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिये से भारत में घुसपैठ कराई गई. पिछले साल जम्मू में हुए अधिकांश आतंकी हमलों को इन्हीं आतंकियों ने अंजाम दिया था.
मुफ्ती असगर खान कश्मीरी, आमिर जैश, अब्दुल्ला जेहादी और आशिक नेग्रू समेत जैश के शीर्ष आतंकवादी नियमित रूप से शिविर में आते थे. मुजफ्फराबाद आने वाले जैश के सीनियर कमांडरों के लिए शिविर के पास गेस्ट हाउस भी बनाए गए थे. सेना के सूत्रों की मानें तो शिविरों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों, विशेष रूप से इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा समर्थित और संरक्षित माना जाता है, जो आतंकवादियों को जम्मू-कश्मीर में प्रशिक्षण, हथियार और सुरक्षित मार्ग प्रदान करती है.
कश्मीर घाटी में मिलिट्री ऑपरेशंस के लिए जिम्मेदार श्रीनगर स्थित 15 कोर की कमान संभालने वाले लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ (रिटायर) ने कहा, ''कोटली और मुजफ्फराबाद में आतंकवादी शिविरों पर बिना किसी नुकसान के सटीक हमलों की ये तस्वीरें भारतीय क्षमता का स्पष्ट प्रदर्शन हैं.' मैक्सार सैटेलाइट से ली गई मुजफ्फराबाद में सैयदना बिलाल कैंप पर हमले की ये तस्वीरें जर्मन न्यूज आउटलेट टीआरटी डॉयच द्वारा प्रकाशित हमले की जमीनी तस्वीरों की पुष्टि करती हैं.
कोटली
तस्वीरों का दूसरा सेट कोटली के गुलपुर कैंप पर केंद्रित है. इसमें ऐसी इमारतें दिखाई गई हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे जम्मू के राजौरी-पुंछ इलाके में हमलों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी समूह का बेस कैंप हैं. सैटेलाइट इमेज में 110 x 30 फीट का एक ढांचा दिखाई देता है जो बीच से टूट गया है. इस इमारत के ठीक बगल में एक छोटे से ढांचे की छत भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है.

सरकार का मानना है कि यहां प्रशिक्षित आतंकवादियों ने 2023 में पुंछ में और पिछले साल तीर्थयात्रियों की बस पर हमला किया था. शिविर का निर्माण अगस्त और सितंबर 2022 के बीच किया गया था. सेना के सूत्रों के अनुसार, प्रशिक्षण सुविधा एक अच्छी तरह से स्थापित लश्कर प्रशिक्षण केंद्र था, जहां आत्मघाती हमलावरों सहित बड़ी संख्या में आतंकवादी एडवांस्ड वॉर ट्रेनिंग ले रहे थे.
इस साइट पर रेजीडेंशियल फैसिलिटीज भी थीं. यहां 30-50 आतंकवादी और उनके हैंडलर्स मौजूद थे. इसका इस्तेमाल उन आतंकवादियों द्वारा किया जाता था जो हाल के वर्षों में पुंछ और राजौरी क्षेत्र में आतंकवाद को फिर से जीवित करने की कोशिश कर रहे थे. सेना के सूत्रों ने कहा कि प्रशिक्षण सुविधा का एक से अधिक आतंकवादी समूह सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे थे. भारत की तरफ से साल 2019 में हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद शिविर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था, लेकिन कहा जाता है कि 2020 में आतंकवादियों के लिए प्रशिक्षण गतिविधियाँ फिर से शुरू हो गई हैं.

ऑपरेशन सिंदूर
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे समूहों से जुड़े नौ बुनियादी ढांचों पर हमला किया था. हमले 1:05 बजे से 1:30 बजे तक चले. जबकि चार लक्ष्य पाकिस्तान में थे - बहावलपुर, मुरीदके, सियालकोट और शकर गढ़ के पास एक गांव, पांच लक्ष्य पीओके में थे - मुजफ्फराबाद, कोटली, भीमबर, रावलकोट और चकस्वरी. ऐसा माना जाता है कि हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए थे.
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