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This Article is From May 03, 2015

औरतों से बेहतर साड़ी बांध सकते हैं मर्द सेल्समैन

Ravish Kumar
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  • Updated:
    मई 03, 2015 12:35 pm IST
    • Published On मई 03, 2015 12:15 pm IST
    • Last Updated On मई 03, 2015 12:35 pm IST
आपके आस-पास कई चीज़ें बहुत दिनों से हो रही होती हैं बस कई बार बहुत देर से नज़र जाती है। ऐसा ही मेरे साथ हुआ जब हैदराबाद एयरपोर्ट के अंदर जाते ही साड़ियों की विविधता से आकर्षित होकर चेन्नई साड़ी स्टोर में चला गया। कांजीवरम और तसर की बारीकियों से गुज़र ही रहा था तभी नज़र पड़ी राजेश पर। सूट-बूट में भागलपुर से आए एक ग्राहक को साड़ी बेचने में व्यस्त राजेश ने कुछ झटकों में ही साड़ी को इतनी तेज़ी से बांधा की उसकी खूबसूरती मेज़ पर उलट-पलट कर दिखाये जाने से कहीं ज़्यादा निखर गई। राजेश की बायीं हाथ पर पल्लू लहराते ही पता चला कि साड़ी का कौन सा हिस्सा कहां और कैसे दिखेगा।

मैं दूसरी मेज़ पर साड़ियों के बीच अपनी नापसंदगी से गुज़र रहा था तभी मेरी नज़र राजेश पर पड़ी। साड़ियों को वहीं छोड़ा और बैग से फोन निकाल कर तस्वीर लेने की इजाज़त मांगी। जो महिला मुझे साड़ी दिखा रही थीं वो भी चाहतीं तो राजेश की तरह साड़ियों को बांधकर मेरी शंकाओं को दूर कर सकती थीं, लेकिन वो चूक गईं। बस इतना ज़रूर किया कि मेरी तस्वीर के लिए राजेश से पूछ लिया। राजेश ने भी एक हल्की मुस्कुराहट के साथ अपनी सहमति दे दी। बेचने का यह तरीका और सलीका दोनों मुझे बेहद पसंद आ गया। ये और बात है कि राजेश वाली साड़ी मुझे भी पसंद आ गई लेकिन भागलपुर वाले ख़रीदार ने अपना इरादा नहीं बदला। फेसबुक पर पोस्ट करने से पहले मैं राजेश की तस्वीर को ग़ौर से देखने लगा। जिस लावण्य यानी नज़ाकत से साड़ी का पल्लू लहराया था वो एक बेहतर सेल्समैन की कर्तव्यनिष्ठा का उत्तम उदाहरण है। उस क्षण के लिए राजेश ने सिर्फ साड़ी ही नहीं पहनी बल्कि साड़ी की ख़ूबसरती को उभारने के लिए उसमें ढल गए।

अपने फेसबुक पर पोस्ट करने के बाद जो प्रतिक्रियाएं आईं उनसे लगा कि आप पाठकों के लिए इस वृतांत को लिखना चाहिए। ज़्यादातर लोगों ने राजेश की अपने काम के प्रति ईमानदारी को सराहा है और सल्यूट भी किया है। कई लोगों ने यह भी कहा है कि पुरुष तो साड़ी ऐसे ही बेच रहे हैं, आपको अब पता चला है। कुछ लोगों को देर से न पता चले तो दुनिया में लिखने और छपने के साथ ही कहानियों का अंत हो जाए। इसलिए मुझे देर से पता चलने पर खास हैरानी नहीं हुई। लेकिन तीन हज़ार से ज़्यादा लाइक्स, डेढ़ सौ से ज़्यादा कमेंट और पचास से ज्यादा शेयर ने मेरी दिलचस्पियों को और कुरेद दिया। आखिर इस तस्वीर में ऐसा क्या है कि जानने और नहीं जानने वाले दोनों ही सुखद अहसास से भर गए।

मैं उन टिप्पणियों को पढ़ते हुए यह जानने लगा कि अब तो हर जगह मर्द ही साड़ी बांध कर बताते हैं कि किस साड़ी की क्या लुक होगा। देवाशीष ने लिखा है कि पटना मार्किट की दुकानों में भी ऐसे लोग मिल जाएंगे और अमित तिवारी ने लिखा है कि हैदराबाद के अमीरपेट में मर्दों को राजेश की तरह बेचते देखा है। प्रियदर्शिनी ने लिखा है कि महाराष्ट्र के अहमदनगर आइये। यहां हर साड़ी सेल्समैन खुद ही पहनकर बताता है। वनाम्रता ने लिखा है कि चांदनी चौक में साड़ियां खरीदने जाइये तो हर दुकान इसी तरह से स्वागत करती दिखाई देती है। इनके अंदाज़ पर हंसी भी आती है और अपने काम को पूरे मन से करने का जज़्बा भी दिखाई देता है। ये सेल्स टाक जैसी बिजनेस स्ट्रैटजी है जो बिजनेस स्कूलों में नहीं पढ़ाई जाती। वनाम्रता के जवाब से मेरे इस सवाल का पूरा जवाब नहीं मिला कि एक महिला किसी पुरुष को साड़ी बांधते देख क्या सोचती होगी। उसके बारे में सोचती होगी या सिर्फ साड़ी के बारे में! वैसे दीपक ने मेरे फेसबुक पेज पर दिल्ली के लाजपत नगर की एक तस्वीर भेजी है। तस्वीर सत्यापित तो नहीं कर सकता लेकिन अंदाज़ा तो हो ही जाता है। एक साड़ी प्रतियोगिता तो होनी ही चाहिए कि कौन बेहतर बांध सकता है, मर्द या औरत  



इसीलिए कहा कि हमारे आसपास की दुनिया बदल गई है। इसलिए ज्यादातर लोग राजेश की तारीफ कर रहे हैं। मैं एक दो टिप्पणियों से सहमत नहीं हूं कि राजेश के घर या दोस्तों को पता चलेगा तो उसे शर्मिंदगी होगी। इस मानसिकता को राजेश जैसे पुरुषों ने कब तक उतार फेंका होगा वर्ना बनारस से लेकर पटना और अहमदनगर तक साड़ी बांध कर उसकी ख़ूबसूरती निखारने वाले मर्द सेल्समैनों की दुनिया का विस्तार नहीं हुआ होता। वैसे साड़ी बनती भी है मर्दों के हाथ से। शायद साड़ियों का भी संसार बदल गया है। पिंकी पांडे ने लिखा है कि पहले साड़ियों के सिरों की पहचान पल्ले के अलग डिज़ाईन से होती थी, अब इन बहुरंगी बटोरुआ साड़ियों के फैशन में किधर खोंसना है और किधर का खोंसना है और किधर का पल्ला लेना है ऐसे ही समझना और समझाना पड़ेगा। अगर ये बात है तो राजेश जी के घर में क्या होता होगा। साड़ी कैसे पहनी गई है इसका अंतिम फैसला कौन करता होगा। राजेश या राजेश की पत्नी! वैसे मर्द साड़ी पहन सकते हैं, हैं न!

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