हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन, मलेरिया की दवा है. इस दवा को लेकर शुरू में काफी उत्साह दिखाया गया है. लेकिन अब कोविड-19 के संकट के करीब साढ़े चार महीने बीत जाने के बाद इस दवा को लेकर उत्साह ठंडा पड़ गया है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने चीन और फ्रांस में हुए शोध के नतीजों पर एक लेख छापा है जिसमें पाया गया है कि इस दवा को देने से कोविड-19 के मरीज़ों में ख़ास सुधार नहीं होता है. उन मरीज़ों की तुलना में जिन्हें यह दवा नहीं दी जाती है.
अमरीका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अप्रैल के शुरू में कहा था कि यह दवा ठीक कर देगी. उस वक्त भी अमरीका के बड़े वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने सवाल उठाए थे. मगर इसी बहाने कुछ दिनों तक चर्चा चल पड़ी. कई देश इस दवा का आयात करने लगे जिनमें से अमरीका भी है. भारत ने निर्यात किया. इसे अपनी कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा. ट्रंप की मूर्खता का अंदाज़ा सभी को था लेकिन महामारी ऐसी है कि हर कोई कुछ दिनों तक भरोसा तो करना ही चाहता है.
अमरीका के फूड एंड ड्रग्स कंट्रोलर FDA ने चेतावनी दी थी कि इस दवा को न तो अस्पताल में दिया जाए और न ही क्लिनिकल ट्रायल में इस्तेमाल हो. क्योंकि इससे ह्रदय के धड़कनों की तारतम्यता गड़बड़ा जाती है. अमरीका में अभी भी इसी दवा पर अध्ययन चल रहा है. दूसरे देशों में भी चल रहा है. अमरीका के NIH यानि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ भी प्रयोग कर रहा है कि क्या दूसरी दवाओं के साथ इसे देने से कोविड-19 के प्रसार को रोका जा सकता है.
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ने छापा है कि चीन और फ्रांस के प्रयोगों से कुछ ख़ास नहीं निकला है. कोरोना की महामारी में यह दवा कारगर नहीं है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ माइक रेयान ने कहा है कि कोरोना के इस विषाणु के खत्म होने को लेकर जिनते दावे किये जा रहे हैं, उनसे सतर्क रहने की ज़रूरत है. हो सकता है अब यह वायरस हमारे जीवन का हिस्सा हो जाए. जैसे HIV कहां गया. अगर टीका मिल भी जाता है तब भी इसे नियंत्रित करने के लिए व्यापक अभियान की ज़रूरत होगी। ऐसा भी नहीं है कि टीका मिला और सबके घर तक पहुंच गया.
इस वक्त टीका खोजने पर 100 से अधिक प्रयोग चल रहे हैं. डॉ रेयान का कहाना है कि ऐसे बुहुत से टीके बने लेकिन बीमारियां खत्म नहीं हुईं. आज तक चेचक होता ही रहता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस बात का यह भी मतलब है कि हम इस महामारी के दूर होने की खुशफहमी ने पालें. जीवन की संस्कृति को बदल लें. सतर्क करें. तभी हम इसके फैलने को नियंत्रित कर सकते हैं.
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.