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This Article is From Oct 30, 2018

हड़बड़ी में गड़बड़ी...

Akhilesh Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    नवंबर 01, 2018 11:40 am IST
    • Published On अक्टूबर 30, 2018 21:11 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 01, 2018 11:40 am IST
मध्य प्रदेश चुनावों में प्रचार के दौरान राहुल गांधी की फिसली जुबान उन पर मुसीबत का सबब बनती दिख रही है. राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान ने भोपाल की एक अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का दावा कर दिया है. इस महीने ऐसे कई वाकये हुए हैं जो यह बता रहे हैं कि राहुल गांधी एक के बाद एक कई गलतियां कर बैठे हैं. हालांकि मुकदमे का सामना उन्हें अभी करना पड़ा है. दरअसल, सोमवार को झाबुआ में एक रैली में राहुल गांधी बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के एक के बाद एक कई आरोप लगा रहे थे. रफाल के अलावा नीरव मोदी, विजय माल्या जैसे मुद्दों को उन्होंने उठाया. इसी दौरान उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान का नाम पनामा घोटाले में आया है.

राहुल के इस बयान के बाद हंगामा मच गया. इसके तुरंत बाद शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट पर कहा कि
 
राहुल गांधी मंगलवार सुबह इंदौर में थे. उन्होंने एक होटल में पत्रकारों से मुलाकात की. इसमें उनसे उनके बयान के बारे में पूछा गया और याद दिलाया गया कि शिवराज सिंह चौहान के बेटे का नाम तो पनामा कागजों में नहीं है. इसके बाद राहुल गांधी ने माना कि उनसे गड़बड़ी हो गई.

लेकिन न तो शिवराज सिंह चौहान और न ही उनके बेटे कार्तिकेय इस सफाई से संतुष्ट हैं. कार्तिकेय ने मानहानि का दावा कर दिया. उनके वकील ने सबूत के तौर पर अखबारों की कटिंग और टीवी न्यूज़ की क्लिपिंग का हवाला दिया है. 3 नवंबर को इस मामले की सुनवाई होगी.

कार्तिकेय ने कहा कि यह ठीक है कि राहुल गांधी ने सफाई दी. लेकिन उन्होंने सार्वजनिक मंच से उनके और उनके परिवार के बारे में गलत बातें कहीं. इसलिए दावा किया है.

इधर, शिवराज सिंह चौहान राज्य विधानसभा में टिकटों के बंटवारे पर चर्चा के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं. यहां उन्होंने अमित शाह से मुलाकात की. साथ ही कहा कि राहुल गांधी ने उनका अपमान किया है.

उधर, राहुल गांधी के शिवराज सिंह चौहान पर हमले जारी हैं. उन्होंने आज मध्य प्रदेश में कहा कि जितने मुकदमे करना हैं कर लें, व्यापम घोटाले से ध्यान नहीं भटका सकते.

लेकिन राहुल गांधी की जुबान फिसलने का यह किस्सा चर्चा में जरूर आ गया है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इसी महीने एक के बाद एक ऐसी कई घटनाएं हुई हैं. ऐसा ही एक वाकया सोमवार को ही हुआ जब राहुल गांधी ने अपने फेसबुक पोस्ट में मिज़ोरम को मणिपुर लिख डाला. इसके बाद उनकी जबर्दस्त आलोचना हुई. यह कांग्रेस के लिए परेशानी में डालने वाली बात भी है क्योंकि मिज़ोरम में भी अभी चुनाव हो रहा है और वहां कांग्रेस की सरकार है. दरअसल, राहुल गांधी ने मिज़ोरम के उस सैनिक स्कूल के बारे में स्टोरी साझा की थी जिसने पचास साल बाद अपने दरवाजे लड़कियों के लिए खोले हैं. लेकिन गलती से मिज़ोरम की जगह मणिपुर लिख डाला. बाद में उस पोस्ट को हटा दिया गया. नई पोस्ट में सही जानकारी डाली गई.

राहुल की गलतियों का सिलसिला यहीं नहीं थमा. उन्होंने इसी महीने मध्य प्रदेश में चुनावी सभा में आरोप लगाया कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में नीरव मोदी से मुलाकात की थी. इसके बाद नीरव मोदी देश छोड़ कर भाग गया. लेकिन राहुल यहां भी ग़लती कर बैठे. नीरव मोदी न तो कभी संसद आया और न ही कभी अरुण जेटली से उसकी मुलाकात हुई. राहुल शायद विजय माल्या का ज़िक्र करना चाह रहे होंगे. जिसके बारे में वित्त मंत्री ने कहा था कि उसने अपने सांसद होने का दुरुपयोग करते हुए संसद भवन में उनसे मिलने की कोशिश की थी लेकिन उन्होंने उसको झाड़ दिया था. राहुल के ताज़ा आरोप के बारे में जेटली ने फेसबुक पर लिखा कि 'मुझे नहीं याद है कि मैंने कभी नीरव मोदी को देखा भी हो. संसद भवन में उससे मिलने का तो सवाल ही नहीं उठता. राहुल जैसा दावा कर रहे हैं कि नीरव मोदी संसद में आए तो संसद भवन के रिसेप्शन के रिकॉर्ड में इसका ज़िक्र होगा. क्या राहुल यह मानते हैं कि अगर एक झूठ बार-बार बोला जाये तो खुद को उसके सच होने का यकीन हो जाता है. या फिर यह मामला एक मसखरे राजकुमार की मसखरी का है.

राहुल गांधी ने इस आरोप पर सफाई नहीं दी है. राहुल गांधी की गड़बड़ी का एक और मुद्दा सेना अफसरों और जवानों के लिए वन रैंक वन पेंशन यानी ओआरओपी का है. 2014 में बीजेपी के घोषणापत्र में ओआरओपी का वादा करने का राहुल गांधी ने जिक्र किया था. 19 अप्रैल 2014 को कांग्रेस पार्टी के एक ट्वीट में कहा गया कि 'मैनीफेस्टो में उन्होंने (बीजेपी ने) लिखा है, हम वन रैंक वन पेंशन करेंगे. ओआरओपी हो गया है, हमने कर दिया है: राहुल गांधी.' लेकिन इसी शनिवार को पूर्व सैनिककर्मियों के एक प्रतिनिधिमंडल से राहुल गांधी ने मुलाकात की. इसमें उन्होंने उन्हें कहा कि कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर सभी वादों को पूरा करेगी.

यहां यह बताना जरूरी है कि सिर्फ राहुल गांधी ही ऐसी गड़बड़ियां नहीं करते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई भाषणों में भी ऐतिहासिक और तथ्यात्मक गलतियां दर्ज की गई हैं जिनके बारे में समय समय पर लिखा गया है. पीएम मोदी के भाषणों में भी कई बार ऐसा हुआ जब उनकी जुबान फिसली. ऐसी ही गलतियों पर एक नज़र डाल लेते हैं-

- पीएम बनने से पहले उन्होंने कहा कि 1947 में एक रुपया एक डॉलर के बराबर था. जबकि हकीकत यह है कि तब रुपये की तुलना पाउंड से होती थी और एक रुपए का मूल्य तीस सेंट था.
- एक बार उन्होंने गलती से महात्मा गांधी को मोहनदास की जगह मोहनलाल करमचंद गांधी कह दिया था.
- उनके मुंह से लाल किले की जगह लाल दरवाजा निकल गया था. उन्होंने कहा था कि पीएम 15 अगस्त को लाल दरवाजे से भाषण देते हैं.
- प्रचार के दौरान उन्होंने कह दिया था कि ये 14वीं लोकसभा के चुनाव हैं. फिर किसी को टोकने पर उन्होंने कहा कि 16वीं लोकसभा के चुनाव हैं.
- उन्होंने कहा जब हम गुप्त वंश की बात करते हैं तो चंद्रगुप्त की राजनीति की याद आती है. लेकिन चंद्रगुप्त मौर्य वंश के थे. हां चंद्रगुप्त द्वितीय गुप्त वंश में जरूर हुए थे.
- स्वतंत्रता सेनानी श्यामजी कृष्ण वर्मा की जगह पीएम मोदी श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जिक्र कर बैठे थे.
- दाओस में उन्होंने कह दिया था कि छह सौ करोड़ भारतीयों ने एक पार्टी की सरकार को चुना.

तो ये ऐसी ग़लतियां हैं जो अक्सर चुनाव प्रचार के दौरान होती हैं. मध्य प्रदेश की ही बात करें तो अभी कांग्रेस के दो नेताओं के भाषणों में हुई गलतियों ने सुर्खियां बटोरी हैं. एक भाषण कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया का है. भूरियाजी राहुल गांधी और राजीव गांधी में गड़बड़ी कर बैठे. खैर जब उन्हें टोका गया तो उन्होंने खुद को ठीक भी कर लिया. ऐसे ही एक दूसरे नेता जीतू पटवारी भी सुर्खियां बटोर चुके हैं जब उन्होने कहा था पार्टी गई तेल लेने. लेकिन राहुल गांधी अपनी फिसली जुबां के कारण फिलहाल तो कानूनी दांवपेंच में उलझ गए हैं.

(अखिलेश शर्मा NDTV इंडिया के राजनीतिक संपादक हैं)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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