पुलवामा, फ़वाद चौधरी का बयान और हिंदुस्तान

फ़वाद चौधरी ने ऐसा बयान क्यों दिया? क्योंकि पाकिस्तान के अंदरूनी राजनीतिक टकराव में भी भारत विरोध एक बड़ा मुद्दा है. पहले पीएमएल (एन) के सांसद अयाज़ सादिक ने आरोप लगाया कि इमरान भारत से डरे हुए हैं.

पुलवामा, फ़वाद चौधरी का बयान और हिंदुस्तान

पाकिस्तान की संसद में बोलते मंत्री फवाद चौधरी

पाकिस्तान के कैबिनेट मंत्री फ़वाद चौधरी ने अपनी संसद में कह दिया है कि पुलवामा हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ था. भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसमें सक्रिय हिस्सेदारी निभाने का आरोप पाकिस्तान पर पुराना है और गाहे-ब-गाहे उसके सबूत भी मिलते रहते हैं. मगर पहली बार संसद में किसी मंत्री का यह बयान एक अलग अहमियत रखता है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में 40 बेगुनाह नागरिकों की हत्या के लिए किसी आत्मघाती हमलावर को तैयार किया गया और पाकिस्तान के लिए इन बेगुनाहों की मौत एक राष्ट्रीय गर्व की बात है.

लेकिन फ़वाद चौधरी ने ऐसा बयान क्यों दिया? क्योंकि पाकिस्तान के अंदरूनी राजनीतिक टकराव में भी भारत विरोध एक बड़ा मुद्दा है. पहले पीएमएल (एन) के सांसद अयाज़ सादिक ने आरोप लगाया कि इमरान भारत से डरे हुए हैं. कहा कि भारत के विंग कमांडर अभिनंदन को इस डर से छोड़ा गया कि भारत हमला कर देगा. कमज़ोर राजनीति की जानी-पहचानी नाटकीयता के साथ उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि तब मुल्क के विदेश मंत्री के पांव कांप रहे थे.

फ़वाद चौधरी ने साबित करने की कोशिश की कि इमरान डरे नहीं थे, बल्कि भारत को उन्होंने सबक सिखाया था. लेकिन इस कोशिश में वे कुछ ज़्यादा फिसल पड़े. वे भूल गए कि उनकी बात सिर्फ संसद तक सीमित नहीं रहेगी, पूरी दुनिया में जाएगी.

बहरहाल, फ़वाद चौधरी के इस इक़बालिया बयान के बाद क्या होगा? पाकिस्तान को बेशक, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कुछ किरकिरी झेलनी पड़ेगी. लेकिन इतनी किरकिरी झेलने का उसको अब तक अच्छा ख़ासा अभ्यास हो चुका है. दूसरी बात यह कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की चालाक दुनिया में अब यह बात अहमियत नहीं रखती कि किसने सही किया और किसने गलत- बस यह अहमियत रखता है कि कौन किसके साथ खड़ा है. तो पाकिस्तान के लिए राहत की बात यही है कि चीन उसके साथ खड़ा है. तो अंततः फवाद चौधरी एक खंडन वाला बयान जारी कर अपने सहयोगी देशों को यह मानने की सुविधा दे देंगे कि उनकी बात का ग़लत मतलब निकाला जा रहा है. हालांकि बेशक, कुछ अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं के सामने फिर भी पाकिस्तान की मुश्किल बढ़ सकती है.

सवाल है, फ़वाद चौधरी के बयान के बाद भारत में क्या होगा? कुछ उत्साही पत्रकार अभी से विपक्षी नेताओं के वे पुराने ट्वीट निकालने लगे हैं जिनमें पुलवामा हमले को मोदी सरकार की नाकामी की तरह देखा गया था. जाहिर है, पुलवामा का आतंकी हमला राजनीति के लिए बहुत मुफीद है. मीडिया के बहुत सारे खिलाड़ियों को अचानक एक नया मसाला मिल गया है. पाकिस्तान को सज़ा देने, सबक सिखाने, धूल में मिलाने का कोरस अब तक शुरू हो चुका होगा. पाकिस्तान के टूट कर बिखर जाने की, उसके नाकाम राज्य होने की भविष्यवाणी काफ़ी पहले से ही की जा रही है.

लेकिन इस शोर के आगे का सच क्या है? ठोस कूटनीतिक स्तर पर ऐसे बयानों का ज़्यादा मतलब नहीं रह जाता. बेशक, उसकी वजह से एक दबाव बनता है जो पाकिस्तान पर भी बनेगा. वैसे भी पाकिस्तान दबाव में है. फिलहाल इस दबाव का एक बड़ा फायदा भारत कुलभूषण जाधव के संदर्भ में उठा सकता है. कुलभूषण जाधव की रिहाई भारत के लिए काफ़ी अहम है. संभव है, पाकिस्तान कूटनीति के अंदरूनी गलियारों में अपने मंत्री के बयान की वजह से कुछ दबाव महसूस करे और कोई रास्ता निकाले, जिससे कुलभूषण आज़ाद हो सके.

मगर आतंकवाद के संदर्भ में यह बहुत छोटा लक्ष्य है. बड़ा लक्ष्य यह है कि हम आतंकवाद को ही ख़त्म करें. सीमा पार से आतंकी घुसपैठ रोकना जितना ज़रूरी है उतना ही उसे भीतर से मिलने वाली मदद पर भी क़ाबू पाना. लेकिन यह काम सेना की सख़्ती और ख़ुफ़िया एजेंसियों की संदिग्ध कार्रवाइयों से नहीं होगा. भारतीय राष्ट्र राज्य की सरहदों में अगर सूराख बढ़ रहे हैं तो बस इसलिए नहीं कि फवाद चौधरी नाम के मंत्री या इमरान ख़ान नाम के नेता किसी साज़िश में कामयाब हो रहे हैं, इसलिए भी कि एक राज्य के रूप में अपनी नागरिकता का सम्मान करने में भी हम कहीं विफल हो रहे हैं- सबके भीतर बराबरी, सम्मान और अधिकार का एहसास पैदा कराने में नाकाम हैं.

दरअसल हम आतंकवाद से नहीं लड़ रहे, आतंकवाद की आड़ में बहुत सारे दूसरे लोगों से लड़ रहे हैं. फवाद चौधरी का बयान भी हमारे लिए इसी आतंकेतर लड़ाई का उपकरण है. इस बयान के आधार पर सत्ता पक्ष विपक्ष की आलोचना करेगा, विपक्ष याद दिलाएगा कि अंततः राष्ट्रीय सुरक्षा सरकार की ज़िम्मेदारी है और वे ज़रूरी और बारीक़ सवाल पीछे छूटते जाएंगे जो वाकई इस मज़बूत देश को कहीं न कहीं कमज़ोर करते हैं.

बिहार के चुनाव में पाकिस्तान पहले भी आता रहा है. कभी बिहार में ही गिरिराज सिंह ने कहा था कि जो मोदी विरोधी हैं वे पाकिस्तान चले जाएं और इसी चुनाव के दौरान केंद्र सरकार के गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि तेजस्वी जीतेंगे तो कश्मीर के आतंकवादियों को बिहार में पनाह मिलेगी. अब फवाद चौधरी ने कुछ और चारा उछाल दिया है- उम्मीद कीजिए कि बिहार चुनावों के दूसरे-तीसरे दौर के प्रचार में उतरे नेता इसको लपकने में देरी नहीं करेंगे.

(प्रियदर्शन NDTV इंडिया में एग्जीक्यूटिव एडिटर हैं...)

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(डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति NDTV उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार NDTV के नहीं हैं, तथा NDTV उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.)