जब भी साहित्य के नोबेल की घोषणा होती है, विश्व साहित्य से अपने अपरिचय का एक और प्रमाण सामने आ जाता है. अक्सर हर साल कुछ नोबेल-वंचित प्रतिष्ठित लेखकों की सूची घूमती रहती है. इस बार भी सलमान रुश्दी को नोबेल मिलने की संभावना जताई जा रही थी जिन पर बीते दिनों हमला हुआ. इसके अलावा मिलान कुंदेरा या मुराकामी या एडॉनिस जैसे मशहूर लेखकों-कवियों का नाम हर साल संभावित लेखकों में रहता ही है. लेकिन इस बार भी जिस फ्रेंच लेखिका ऐनी एरनॉ के नाम यह सम्मान घोषित हुआ है, वह अपेक्षया अपरिचित नाम है- उनसे कम से कम इन पंक्तियों का लेखक परिचित नहीं था.
लेकिन गूगल ने यह आसान कर दिया है कि आप बिल्कुल एक क्लिक में किसी भी लेखक के परिचय और उसकी कृतियों तक पहुंच जाते हैं. 20 बरस पहले तक यह आसान नहीं था जब नादीम गार्डिमर या टोनी मॉरीसन या नायपॉल जैसे लेखकों के बारे में सामग्री जुटानी होती थी.
तो गूगल से यह पता चला कि फ्रांस की जिस लेखिका ऐनी ऐरनॉ को नोबेल मिला है, वह मूलतः आत्मकथात्मक लेखन के लिए जानी जाती है. नोबेल समिति ने उसका नाम घोषित करते हुए कहा कि उनका लेखन 'जिस साहस और स्पष्टता से निजी स्मृतियों की जड़ों, अलगाव और सामूहिक संयम को उद्घाटित करता है', यह नोबेल उसके लिए दिया गया है.
वैसे अगर आपको साहित्य में दिलचस्पी रखते हों तो गूगल पर मौजूद सामग्री भी आपके भीतर यह समझ पैदा कर सकती है कि जिस लेखिका को आप नहीं जानते, वह एक स्तर पर कैसी विश्वजनीन लेखिका है. ऐनी एरनॉ की सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली किताब 'द ईयर' की भूमिका ही आपको लगभग स्तब्ध छोड़ जा सकती है. दो अलग-अलग लेखकों के वक्तव्यों के साथ इसकी शुरुआत होती है. एक वक्तव्य स्पेन के विचारक और निबंधकार जोस ओर्तेगा वाई गैसेट का है- ‘हमारे पास जो कुछ है वह इतिहास है...और वह हमसे जुड़ा हुआ नहीं है.‘
इसके बाद आता है ऐंटन चेखव का वक्तव्य- ‘हां, वे हमें भूल जाएंगे. यही हमारी नियति है. इसके अलावा कोई चारा नहीं है. जो हमें गंभीर, महत्वपूर्ण, बेहद आवश्यक लगता है, वह एक दिन भुला दिया जाएगा या महत्वहीन लगेगा. और दिलचस्प यह है कि हम बता नहीं सकते कि किसे महान और महत्वपूर्ण माना जाएगा और किसे ओछा और हास्यास्पद माना जाएगा.... और यह संभव है कि हमारी मौजूदा ज़िंदगी, जिसे हम इतनी तत्परता से स्वीकार करते हैं, वक्त के साथ अजनबी, असुविधाजनक, मूर्खतापूर्ण, बहुत साफ़-सुथरी नहीं, बल्कि शायद पापपूर्ण भी मालूम होगी.‘
वर्तमान के साथ अतीत और इतिहास के बहुत निर्मम संबंध की बात करते हुए, हमारी ज़िंदगियों की तुच्छता को रेखांकित करते हुए एक स्पैनिश निबंधकार और एक रूसी लेखक के इन दो वक्तव्यों को उद्धृत करते हुए यह फ्रेंच लेखिका क्या करती है? वह अपनी भूमिका में और निर्मम दिखाई पड़ती है. वह शुरू यहां से करती है- ‘सारी छवियां गुम हो जाएंगी.‘ और सहसा हमें अपने सरदार अली जाफ़री याद आते हैं जो ‘मेरा सफ़र' में बरसों पहले लिखकर गुज़र चुके हैं- ‘ फिर इक दिन ऐसा आएगा / आंखों के दिए बुझ जाएंगे / हाथों के कंवल कुम्हलाएंगे / और बर्ग-ए-ज़बाँ से नुत्क़ ओ सदा / की हर तितली उड़ जाएगी / इक काले समुंदर की तह में / कलियों की तरह से खिलती हुई / फूलों की तरह से हंसती हुई / सारी शक्लें खो जाएंगी / ख़ूं की गर्दिश दिल की धड़कन / सब रागिनियां सो जाएंगी / ….हर चीज़ भुला दी जाएगी / यादों के हसीं बुत-ख़ाने से / हर चीज़ उठा दी जाएगी / फिर कोई नहीं ये पूछेगा / 'सरदार' कहां है महफ़िल में ‘.
हालांकि अपनी इस लंबी नज़्म में सरदार लौटते हैं, लेकिन हम इसे यहां छोडकर चलते है ‘द ईयर्स' की उस भूमिका में जहां ऐनी एरनॉ ने पहला वाक्य लिखा है- ‘सारी छवियां गुम हो जाएंगी.‘ इसके बाद वे जैसे सूची बनाती हैं- क्या-क्या ग़ायब हो जाएगा.
मसलन एक छवि ‘उस औरत की, जो दिन की रोशनी में, युद्ध के बाद इव्टो के खंडहरों के किनारे एक झोपड़ी के पीछे, जहां कॉफ़ी मिलती है, उकडूं बैठे पेशाब कर रही थी, जो उठी, उसकी स्कर्ट उठी हुई थी, उसने अपना अंडरवियर ऊपर किया, और फिर कैफ़े में चली आई.‘
या ‘फिल्म ‘द लांग ऐब्सेंस' में जॉर्ज विल्सन के साथ नृत्य करती हुई आलिदा वाल्ली के आंसू भरे चेहरे की.‘
यह सूची बड़ी लंबी है. और वे कहती हैं- ‘वे सारी छवियां (गुम हो जाएंगी) जो वास्तविक हैं या काल्पनिक, जो पूरे रास्ते हमारी नींद तक हमारा पीछा करती हैं. एक लम्हे की छवियां, अपने अकेले की रोशनी में नहाई हुई.‘
इसके बाद फिर उनकी भविष्यवाणी जैसी बात शुरू होती है- ‘ये सब एक ही समय में गायब हो जाएंगी. उन लाखों छवियों की तरह जो आधी सदी पहले गुज़र चुके हमारे परदादाओं के ललाट के पीछे थीं, और अपने अभिभावकों की तरह भी, जो अब नहीं रहे. वे छवियां, जिनमें हम उन वजूदों के बीच नन्ही लड़कियों जैसी दिखती थीं, जो हमारे पैदा होने से पहले गुजर चुके, ठीक उसी तरह जैसे हमारी अपनी स्मृतियों में हमारे अभिभावकों और सहपाठियों के बाद हमारे बच्चे हैं. और एक दिन हम अपने बच्चों की स्मृतियों में नज़र आएंगे, उनके परपोतों की स्मृतियों में और उन लोगों में जो पैदा नहीं हुए हैं. यौन इच्छा की तरह, स्मृति कभी नहीं रुकती. यह जीवितों को मृतों से जोड़ती है, वास्तविक को काल्पनिक से, स्वप्न को इतिहास से.‘
तो यह ऐनी ऐरनॉ है- अपनी भूमिका में ही एक सिहरा देने वाला अनुभव देने वाली. जिस समय सबकुछ प्रकाश की रफ़्तार से गुज़रा जा रहा है, उस समय अतीत के कुएं और भविष्य के आसमान में झांकने वाली, काल की आंख में आंख डाल कर देखने वाली इस लेखिका से परिचय कराने के लिए नोबेल पुरस्कार समिति का शुक्रिया. वैसे इस समिति ने पहले भी कई महत्वपूर्ण लेखकों से परिचित कराया है. बड़े पुरस्कार यह काम करते हैं. वे लेखकों को बड़ा नहीं बनाते, मगर बड़े लेखकों को हमारे सामने ले आते हैं.
इस प्रथम पाठ में ऐनी एक बड़ी लेखिका की तरह मिलती हैं, इसमें संदेह नहीं. इन्हें पढ़ने की इच्छा बनी रहेगी.
प्रियदर्शन NDTV इंडिया में एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर हैं...
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) :इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.