नमस्कार मैं रवीश कुमार। दो लोगों के दिल्ली लौटने का इंतज़ार हो रहा है। राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल। अरविंद इस वक्त चुप हैं मगर उनकी ऑडियो रिकार्डिंग बहुत कुछ बोल रही है। ऑडियो रिकॉर्डिंग की प्रामाणिकता हम साबित नहीं कर सकते, लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता खुद ही उसमें कही गई बातों को साबित कर चुके हैं। वैसे मैं स्टिंग को लेकर व्यक्तिगत स्तर पर बहुत उत्साहित नहीं रहता। लेकिन सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अभद्र भाषा में अनुरोध किया तो लगा कि शालीन बहस तो हो ही सकती है। इस घनघोर घमासान के बीच सोशल मीडिया में आप के समर्थक जिस तनाव से गुज़र रहे हैं उन्हें बेंगलुरु जाना चाहिए। देखना चाहिए कि उनके नेता किस तरह संतुलन और समभाव की स्थिति में ध्यान और योग की मुद्रा में हैं।
उम्मीद है इस मुद्रा में आपके सवालों के जवाब ही सोच रहे होंगे। कथित रूप से ऑडियो सीडी में उनकी जो आवाज़ है उस पर बोलना तो बनता है। वैसे हमारी राजनीति में ऐसे नेता भी हुए हैं जो कुछ मसलों पर जवाब नहीं देते हैं और इंटरव्यू से पहले सवाल लिखवा लेते हैं। ऐसे कई नेता पिछले दस बारह सालों से चुप ही हैं। लेकिन नई और खुली राजनीति का दावा करने वाले अरविंद केजरीवाल भी अगर नहीं बोलेंगे तो फिर यही होगा कि वे जिन पर सवाल उठाते रहे हैं उन्हें भी संत घोषित कर देना पड़ेगा। हमारे नेता संत ही होते हैं। ऐसे तनाव के वक्त उनका मौन देखकर उन समर्थकों को कार्टून चैनल देखने लग जाना चाहिए जो हर वक्त ट्वीटर पर तनाव के हादसे से गुज़रते रहते हैं। अरविंद की जो तस्वीरी सात्विकता नज़र आ रही है उससे तो यही लग रहा है कि कुछ नहीं बिगड़ा है।
ऑडियो सीडी का जितना हिस्सा पब्लिक में आया है उसमें पैसे या पद के लेन-देन की बात नहीं है। लेकिन एक पार्टी के विधायकों से संपर्क का प्रयास रि-अलाइनमेंट है जोड़ तोड़ नहीं, यह बात हजम नहीं होती है। अगर बीजेपी आम आदमी पार्टी के विधायकों से संपर्क करने लगे तो क्या इसे जोड़-तोड़ कहा जाएगा या पोलिटिकल री-अलाइनमेंट। क्या तब भी आशीष खेतान कहेंगे कि ये तो होता रहा है, हो रहा है और होगा। जैसा कि उन्होंने सीडी के संदर्भ में कहा है।
हम मानते हैं कि पोलिटिकल री-अलाइनमेंट होता रहा है, होता है और होता रहेगा। पोलिटिकल री-अलाइनमेंट जोड़-तोड़ नहीं है। टेप से बिल्कुल पता नहीं चलता कि हमने अनैतिक तरीके से कांग्रेस का समर्थन हासिल किया। कांग्रेस के वे विधायक हमारे विधायक के संपर्क में थे और यह दिल्ली के हित में था कि सरकार बने। उस वक्त बीजेपी भी हार्स-ट्रेडिंग से सरकार बनाने का प्रयास कर रही थी।
प्रामाणिकता का एक मसला तो है। क्या पता कांट-छांट कर सामने लाई गई हों, लेकिन कुमार विश्वास ने ही स्वीकार किया है कि ऑडियो सीडी उन्हें राजेश गर्ग ने दी थी जिसे उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दे दिया था। किस नेता को दिया था ये नहीं बताया। क्या पार्टी के लोकपाल को वह सीडी दी गई। क्या तब पार्टी ने फॉरेसिंक जांच या एफआईआर की। ये बात सही है कि राजेश गर्ग चुनाव के दौरान लीक करते तो आज जितना हंगामा हो रहा है उससे ज्यादा ही होता, लेकिन सवाल समय का नहीं, उन बातों का है जो हर समय लागू हैं। अब कुछ पुराने घटनाक्रमों को सजाते हैं।
20 मई 2014 को हिन्दू अखबार की हेडलाइन है कि अरविंद केजरीवाल ने लेफ्टिनेंट गर्वनर से एक हफ्ते का समय मांगा कि वे दिल्ली के लोगों की राय लेंगे और सरकार बनाने की संभावनाओं की तलाश करेंगे। उसी दिन प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली का बयान है कि कांग्रेस आप का समर्थन नहीं करेगी। पार्टी चुनाव चाहती है। 10 जून के मेल ऑनलाइन और 11 जून के इंडिया टुडे की खबर बताती है कि आम आदमी पार्टी के विधायक राजेश गर्ग ने पार्टी की लाइन से अलग जाकर कांग्रेस के विधायकों से अपील की है वे सरकार बनाने में आम आदमी पार्टी का समर्थन करें। गर्ग साहब ने अपील की थी और अब खरीद-फरोख्त का आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में अरविंद केजरीवाल ने कई बार लाइन बदली और सवाल भी उठे थे। इस दौरान आप के भी कुछ विधायकों ने आरोप लगाया कि बीजेपी पैसे और पद का प्रलोभन देकर खरीदने का प्रयास कर रही है। बीजेपी ने इनकार कर दिया था। अरविंद केजरीवाल ने विधायकों से कहा कि पार्टी को बदनाम करने के लिए उनका स्टिंग हो सकता है, लेकिन खुद केजरीवाल का ही हो गया है, यह नहीं बताया।
3 जुलाई को आम आदमी पार्टी राष्ट्रपति से मिलकर ताज़ा चुनाव की मांग करती है। 4 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका संवैधानिक पीठ को भेज दी। अरविंद ने विधानसभा भंग कर चुनाव करने की मांग की थी। 19 जुलाई के इंडियन एक्सप्रेस की खबर में कांग्रेस के विधायक आसिफ खान और हसन अहमद ने माना कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी से सरकार बनाने को लेकर बात कर रही थी। कुछ कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि अगर खरीद-फरोख्त के आरोप नहीं लगाती तो बातचीत हो गई थी। 21 जुलाई को अरविंद केजरीवाल उप-राज्यपाल से मिलते हैं और हार्स-ट्रेडिंग रोकने के लिए जल्दी चुनाव की बात करते हैं।
ऑडियो सीडी को समझने के लिए अखबारों के पुराने कतरनों को सामने रखना चाहिए ताकि पोलिटिकल री-अलाइनमेंट के आशीष खेतानीय सिद्धांत पर ठीक से चर्चा हो सके। उस वक्त कांग्रेस सार्वजनिक रूप से चुनाव की बात कर रही थी, लेकिन उसके विधायकों ने कहा पार्टी आप से मिलकर सरकार बना रही है। उस वक्त आम आदमी पार्टी चुनाव की बात कर रही थी और भीतर भीतर कांग्रेस के विधायकों से संपर्क कर रही थी। बीजेपी भी सरकार बनाने का दावा कर ही रही थी। अब यह तो मुख्यमंत्री अरविंद पर ही निर्भर करता है कि वे ध्यान मुद्रा से बाहर आकर कैसे जवाब देते हैं। कांग्रेस से बातचीत पार्टी के स्तर पर हो रही थी या विधायकों से व्यक्तिगत स्तर पर। दोनों में अंतर है। पोलिटिकल री-अलाइनमेंट पार्टी के स्तर पर होता है या व्यक्तिगत विधायक को फोड़ कर होता है। अगर होता है तो जोड़ तोड़ किसे कहेंगे। कथित ऑडियो सीडी में कथित तौर पर अरविंद राजेश गर्ग को कह रहे हैं कि मैं बताऊं आपको, आप इन 6 को अलग करवाने का ही शुरू करवाओ। 6 लोग अलग करके, अपनी पार्टी बनाके हमें बाहर से समर्थन कर दें। इस सीडी में अरविंद तीन मुसलमानों की बात कर रहे हैं। कई पार्टी के नेता और हम पत्रकार जानकार भी अपने लेखों में मुस्लिम नेताओं के बारे में ऐसा कहते हैं। लेकिन इमाम बुखारी की अपील को सार्वजनिक रूप से ठुकरा कर बहादुर बनने निकली पार्टी के नेता बंद कमरे में अगर किसी विधायक के मुसलमान होने पर उम्मीद पालें तो इसे क्या कहेंगे।
प्राइम टाइम में बात करेंगे। इस बीच बीमा बिल पास हो गया है। इस बीच बहुत कुछ हो गया है लेकिन इसी बीच यह सवाल सबको परेशान कर रहा है जिसे नया समझा था वो कहीं पुराने जैसा तो नहीं है।
This Article is From Mar 12, 2015
प्राइम टाइम इंट्रो : एक नए टेप से 'आप' में मचा हड़कंप
Ravish Kumar
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Updated:मार्च 12, 2015 21:15 pm IST
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Published On मार्च 12, 2015 21:11 pm IST
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Last Updated On मार्च 12, 2015 21:15 pm IST
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