जो लोग पांच से सात करोड़ रोज़गार पैदा करने का दावा कर रहे थे वे छह लाख प्रति माह नौकरियां पैदा करने पर जश्न मना रहे हैं. IIM B के अध्ययन का हवाला देकर ट्विटर पर डांस कर रहे हैं. जबकि इस स्टडी के पैमाने पर महेश व्यास पहले भी सवाल उठा चुके हैं. इतना ही है तो सरकार में जो हैं वे नौकरियों के पता चलने का सिस्टम बना दें. दूसरे की स्टडी उठाकर मंत्री और प्रवक्ता लोग ट्विट करना बंद करें.
पांच करोड़ रोज़गार मतलब महीने में चालीस लाख से अधिक रोज़गार. सात करोड़ के हिसाब से तो और भी ज़्यादा हो जाता है. सरकार ने इस झूठ का दावा किया और डरपोक मीडिया ने छाप दिया. वैसे मुद्रा लोन के नाम पर किए जा रहे इस झूठे दावे को भी एक्सपोज़ किया जा चुका है. आप ख़ुद भी गूगल सर्च कर सकते हैं. अपना चालीस लाख प्रतिमाह रोज़गार पैदा करने का झूठ भूल कर अब ये छह लाख प्रति माह रोज़गार पैदा करने के झूठ का ट्विटर पर जश्न मना रहे हैं.
आपको थोड़ा भी गणित आता हो तो इस खेल पर पांव पटकने लग जाएंगे. जिस IIM B के अध्ययन पर लोग नाच रहे हैं उसके हिसाब से भी संगठित क्षेत्र में छह लाख प्रति माह रोज़गार पैदा होने का आंकड़ा मिलता है. वह भी बहुत कम है. यह इसलिए दिख रहा है क्योंकि EPFO में मौजूदा कर्मचारियों को रजिस्टर्ड कराया गया है. सरकार की नीति है कि पहले दो-तीन साल तक कंपनियों का हिस्सा वह जमा करेगी. इससे डेटा में दिख रहा है कि पहली नौकरी पाने वालों की संख्या बढ़ी है जबकि वे पहले से ही काम कर रहे हैं. ट्वीटर पर नौटंकी करने के बजाए मंत्री अपने अपने विभाग का आकंड़ा क्यों नहीं ट्वीट कर देते हैं कि इतनी वेकैंसी निकाली और इतनों को ज्वाइनिंग करा दी.
हर कोई झूठ पर डांस कर रहा है और हमारा युवा भी, जिसके दिमाग में विचारधारा के नाम पर कचरा भरा जा रहा है, डांस कर रहा है. जब नौजवान कार्मिक मंत्री से ट्वीटर पर ज्वाइनिंग के बारे में पूछते हैं तो उन्हें ब्लाक कर दिया जाता है. आप सिम्पल सवाल करो. पूछो कि मंत्री जी अपने विभाग का आंकड़ा ट्विट कीजिए न. दूसरे की स्टडी पर जश्न मनाना बंद कीजिए. सभी सरकारों के चयन आयोग नौजवानों को उल्लू बना रहे हैं. जिन्हें मीडिया हिन्दू-मुस्लिम टॉपिक दिखाकर दिन में भी जगाए रखता है.
हर जगह नौकरियां निकालकर कई वर्षों तक भर्ती की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा रही है. यह हमारी राजनीति का एक सफल फार्मूला बन गया है. बेरोज़गार को रोज़गार मत दो, रोज़गार का सपना दो. तुम युवाओं को उल्लू बनाओ, युवा उल्लू बनेंगे. भारत के युवाओं की अगर यही क्वालिटी है तो फिर आप राजनीति में जाइए, इनके दिमाग़ में ज़हर भरिए, नौकरी का झूठा सपना दिखाइए और झूठे आंकड़ों पर डांस कीजिए. जो बेरोज़गार है, वह भी ताली बजाएगा. हद है, क्या किसी को इन युवाओं के सपनों से मोह नहीं है? क्या वे मान कर चल रहे हैं कि ये युवा झूठे सपनों से बाहर आएंगे ही नहीं?
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This Article is From Jan 21, 2018
किसी को युवाओं के सपनों से मोह नहीं, रोजगार के आंकड़ों का जश्न झूठ और फ्रॉड
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:जनवरी 21, 2018 01:46 am IST
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Published On जनवरी 21, 2018 01:46 am IST
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Last Updated On जनवरी 21, 2018 01:46 am IST
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