लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव को बहस के लिए लोकसभा अध्यक्ष ने मंजूर कर लिया है. इसका मतलब है कि 10 दिनों के अंदर अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी और वोटिंग भी. सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने लोकसभा अध्यक्ष से कहा कि सरकार इसके लिए तैयार है. दरअसल सरकार की रणनीति ये है कि हमेशा के लिए इस हथियार को खत्म कर दिया जाए जिसकी धमकी विपक्ष दो बार से दे रहा है. यदि आंकडों को देखें तो लोकसभा में अभी कुल 535 सदस्य हैं. यानि इसका आधे 268 सदस्य चाहिए बहुमत साबित करने के लिए. इसमें लोकसभा अध्यक्ष शामिल नहीं हैं.  मगर 2 मनोनित सदस्य शामिल हैं जो वोट डाल सकते हैं. वहीं 9 जगह खाली हैं. यदि आंकडों को देखें तो बीजेपी के पास अकेले 273 सदस्य हैं और एनडीए के आंकडों को देखें तो वह 358 होती है. यानी सरकार के पास पर्याप्त संख्या है. वहीं विपक्ष के पास 168 के आसपास सदस्य हैं. अब सबसे बड़ी वजह क्या है जो विपक्ष साबित करना चाहता है, जबकि उसे पता है कि उनकी हार निश्चित है. अगले दस दिनों के भीतर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार की भी पूरी तैयारी है. 
सरकार सबसे पहले तीन तलाक के बिल को पास कराना चाहेगी. सरकार के लिए यह एजेंडे में सबसे ऊपर है, क्योंकि सरकार चाहती है कि इस बिल को पास कराने के बाद आने वाले लोकसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाया जाए और इसी बहाने बीजेपी की नजर महिला मुस्लिम वोट बैंक पर भी है. जब से सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कानून बनाने की बात कही है तब से मुस्लिम महिलाओं में काफी आस भी बढ़ी है. सरकार इस पर कानून बना कर उनकी उम्मीदें बरकरार रखना चाहती हैं. क्योंकि यदि आप तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट में चले मुकदमे को भी देखें तो अधिकतर याचिकाकर्त्ता मुस्लिम महिलाएं ही रही हैं. अब जब दस दिनों के भीतर अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी. तब तक विपक्ष के पास संसद की कार्यवाही को रोकने का कोई कारण नहीं होगा.
विपक्ष को लगता है कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान वह उन मुद्दों को संसद में उठा पाएगा जिसकी अमूमन अनुमति नहीं मिलती है. जैसे लिंचिंग या भीड़ के द्वारा की जाने वाली हिंसा का मामला, क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है.  जिस पर संसद में चर्चा नहीं होती है नियमों के तहत. साथ ही विपक्ष को लगता है कि 2019 से पहले एकजुटता साबित करने का इससे अच्छा मौका फिर नहीं मिल सकता है. क्योंकि अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि विपक्ष एकजुट कैसे होगा और होगा भी या नहीं. अविश्वास प्रस्ताव के बहाने पूरा विपक्ष सरकार के खिलाफ एकजुट हो कर वोट करेगा और इसका सांकेतिक महत्व  काफी मायने रखेगा. विपक्ष को लगता है कि अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग के बाद विपक्षी एकता की मुहिम तेज होगी और 2019 की राजनीति की दिशा तय करेगी. कुछ ऐसे ही जैसे सोनिया गांधी से संसद में अविश्वास प्रस्ताव के मुद्दे पर विपक्ष की संख्या के बारे में पूछा गया तो उन्होने पत्रकारों से पलट कर पूछा कि कौन कहता है कि हमारे पास संख्या नहीं है. शायद विपक्ष को लगता है कि अविश्वास प्रस्ताव के बहाने विपक्ष में एक नया विश्वास पैदा होगा. जिसकी विपक्ष को जरूरत है. 
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...
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                            This Article is From Jul 18, 2018
अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार और विपक्ष दोनों फायदे में
                                                                                                                                                                                                                        
                                                                मनोरंजन भारती
                                                            
                                                                                                                                                           
                                                
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                                                                            Published On जुलाई 18, 2018 14:32 pm IST
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