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This Article is From Mar 03, 2015

निधि का नोट : 'आप' में हंगामा है क्यों बरपा?

Nidhi Kulpati
  • Blogs,
  • Updated:
    मार्च 03, 2015 15:28 pm IST
    • Published On मार्च 03, 2015 15:23 pm IST
    • Last Updated On मार्च 03, 2015 15:28 pm IST

अरविंद केजरीवाल को अपने स्वास्थ को दुरुस्त करने के लिए छुट्टी लेनी पड़ रही है। 4 तारीख की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद वह 10 दिन के लिए बेंगलुरु में नैचुरोपैथी के इलाज के लिए चले जाएंगे। उनकी शुगर संभल नहीं रही है और शायद नहीं संभल पा रहे कुछ पुराने दोस्त भी।

वे दोस्त जो 2012 से पहले अरविंद केजरीवाल से ज्यादा पहचान रखते थे। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण और प्रोफेसर योगेन्द्र यादव, जिन्होंने अपनी योग्यता और मु्‌ददों पर गहरी जानकारी से आम आदमी पार्टी को एक गंभीरता दी। अरविन्द केजरीवाल के मुखतलिफ राजनीति की सोच पर साथ चल मुहर लगाई।

मीडिया में हम चिठ्ठियों के लीक होने पर बवाल, दरार, टूट जैसे शब्दों को लिख पल-पल के बदलाव जानने के लिए विचलित हो जाते हों, लेकिन राजनीति की रणनीति में पासे फेंके जा चुके हैं।

कुछ उसी तरह जिस तरह से अण्णा ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को एक रूप दिया। अरविन्द को अनशन की राह दिखाई और देश दुनिया की नजरों में एक मजबूत पहचाई दिलाई। आन्दोलन से आम आदमी पार्टी निकल कर आई और अलग हो लिए अण्णा। मीडिया में तब भी हड़कम्प मचा था। आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला था, लेकिन सब पीछे छूट गया।

अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में दूसरी बार सत्ता सम्भाल ली है। लोकसभा चुनावों में पार्टी को देशभर में फैलाने की जल्दबाजी की गलती को नहीं दोहराना चाहते। शायद विचारों के संघर्ष में झुकाव बदल रहा हो। यह वही आम आदमी पार्टी है, जो हमेशा से कहती आई है कि हमारी कोई विचारधारा नहीं है। फिलहाल हमें भी केजरीवाल की तरह 10 दिन तक शांत हो चिन्तनमनन करना चाहिए। 5 साल केजरीवाल!

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