आदित्य रश्मि उद्धव ठाकरे, उम्र 29 साल, महाराष्ट्र के कैबिनेट में आज शामिल किए गए. उनके पिता मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पार्टी के मामलों में भी उनके तब से बॉस हैं जब से उन्होंने शिवसेना प्रमुख की जिम्मेदारी संभाली है.
जूनियर ठाकरे के 'ट्रिपल-बैरल सरनेम' से सेना की राजनीति और रश्मि ठाकरे के प्रभाव के बारे में पूरी बातें सामने आती हैं, जो कि परिवार में मुख्य राजनीतिक रणनीतिकार हैं और जिन्होंने अपने बड़े बेटे के पेशेवर विकल्पों को आकार देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है.
ठाकरे ने दिलचस्प पारिवारिक राजनीति के प्रदर्शन से आगे बढ़ते हुए मुंबई में अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. अजित पवार ने डिप्टी चीफ मिनिस्टर की शपथ ली और उन्हें गृह विभाग का प्रभार मिला. एनसीपी के बॉस शरद पवार के भतीजे अजित ने पिछले महीने दो दिन की देवेंद्र फड़णवीस सरकार में समान पद के लिए शपथ ली थी. अजित ने पवार के पक्ष में वापसी की और शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस ने भारत के सबसे अमीर राज्य की कमान संभाल ली.
एनसीपी के अजित पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली (फाइल फोटो).
राजनीतिक विरासत संभालने वाले कई अन्य नेताओं को ठाकरे मंत्रिमंडल में स्थान मिला. दिवंगत गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे को कैबिनेट में शामिल किया गया. पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण की भी वापसी हुई, जिन्हें सन 2010 में आदर्श बिल्डिंग में फ्लैटों के आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते पद छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था. चव्हाण का पुनर्वास दमदार पोर्टफोलियो के साथ हुआ, उन्हें लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) विभाग दिया गया है. पवार के वीटो से सुनिश्चित होने के करण कांग्रेस के अन्य चव्हाण, पृथ्वीराज को मंत्री नहीं बनाया गया.
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण.
59 साल के उद्धव ठाकरे एक उत्कृष्ट पारिवारिक व्यक्ति हैं और उनकी प्रमुख सहायक और सलाहकार हमेशा उनकी पत्नी रही हैं. रश्मि तब लाइफ इंश्योरेंस कार्पोरशन ऑफ इंडिया (एलआईसी) में एजेंट थीं जब वे उद्धव से उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के जरिए मिली थीं. उन दोनों ने 1988 में शादी की और उनके दो बेटे हैं. ठाकरे परिवार में मातृवंशियों की परंपरा है. उद्धव ठाकरे ने मुझे पहले एक साक्षात्कार में बताया था कि उनकी मां मीना ताई सभी सैनिकों के लिए पूजनीय थीं और उनके पिता बाल ठाकरे की वे सलाहकार भी थीं.
मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में अपने परिवार के साथ उद्धव ठाकरे.
रश्मि का कहना है कि जो लोग उन्हें अच्छी तरह जानते हैं, उन्हें पता है कि उन्होंने अपने बेटों को महिलाओं का सम्मान करने की परवरिश दी है. और आदित्य ने सार्वजनिक रूप से अपने नाम के साथ उनका नाम जोड़कर (विश्वास मत के दौरान) आम जन के सामने अपनी मां की भूमिका स्वीकार की. आदित्य को मंत्रिमंडल में शामिल करना यह सुनिश्चित करना है कि वह अपनी मां के बड़े सपने, महाराष्ट्र सरकार का मुख्यमंत्री, को पूरा करने के लिए अनुभव प्राप्त करे. जूनियर ठाकरे ने सेना की उपद्रवी छवि को शहरी भावना वाली छवि में बदलने की कोशिश की है. आरे फारेस्ट मुद्दा (बुनियादी ढांचे के लिए पेड़ों को काटने से बचाने के लिए लॉबिंग), उनके हस्ताक्षर अभियान के रूप में जारी रहेगा. उनसे मुंबई में कई पर्यावरणीय परियोजनाओं और विशाल सफाई अभियान की भी अपेक्षा की जा सकती है.
29 वर्षीय आदित्य ठाकरे महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल में शामिल किए किए गए हैं (फाइल फोटो).
वे अब सरकार का एक हिस्सा हैं. वह विपक्ष के लिए उचित खेल का हिस्सा होंगे और उनके प्रशासनिक कौशल को करीब से देखा जाएगा. साथ ही सिर्फ अपने परिवार के नाम की ताकत पर ही नहीं बल्कि सीखने की उनकी इच्छा को भी देखा जाएगा.
पिछले सप्ताह उद्धव ठाकरे पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर जब दो सैनिकों ने कथित रूप से
एक व्यक्ति पर हमला किया तो आदित्य ने हिंसा का विरोध करते हुए कहा कि, "लोगों को जीतो, ट्रोल वैसे भी हार जाते हैं."
सेना ने इससे पहले जूनियर को एक दूत के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास भेजा था. वे रश्मि द्वारा चुनी गईं दो पैठनी साड़ियों के साथ उनको 28 नवंबर को उनके पिता के शपथ ग्रहण समारोह के लिए औपचारिक निमंत्रण देने के साथ गए थे.
दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ आदित्य ठाकरे.
अजित पवार के उप-मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करने से यह मान्यता खारिज हो गई है कि वे एक 'ट्रोजन हॉर्स' थे जिन्हें देवेंद्र फडणवीस को सरकार बनाने की कोशिश करने के लिए बीजेपी के मैदान में उतारा गया. यह एक गलतफहमी थी जो बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के लिए काफी निराशाजनक रही. संपूर्ण सत्य यही है कि शरद पवार के साथ बहुत कुछ किया जाना संभव नहीं है, यह सभी जान गए. लेकिन स्पष्ट रूप से विद्रोह और फिर 'सोप ओपेरा' शैली में वापसी ने अजित पवार को नुकसान नहीं पहुंचाया है.
पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के पुत्र अमित देशमुख ने भी मंत्री पद की शपथ ली. वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार सत्ता के लिए जूझ रहे राजनीतिक परिवारों के एक विशाल राजवंश के केंद्र की तरह दिखती है.
विलासराव देशमुख के पुत्र अमित देशमुख ने मंत्री पद की शपथ ली.
एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मुझसे कहा कि "पवार और कांग्रेस दोनों ही महाराष्ट्र में बीजेपी को सत्ता से दूर रखने की अहमियत से अवगत हैं. अभी तक, ठाकरे सरकार ने यह ध्यान नहीं रखा है कि बीजेपी शोषण कर सकती है. अब, पूरी सरकार के साथ, हमें न्यूनतम साझा कार्यक्रम में किए गए अपने वादों को प्रदर्शित करने की आवश्यकता है."
इस बीच बीजेपी सरकार में शामिल परिवारों को गिना रही है. जो भी है, यह एक शांत नया साल होगा.
स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...
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