पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब एक बार फिर यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि कांग्रेस तेरा क्या होगा... यानी राहुल गांधी अब आगे क्या करेंगे...? पहले बात पंजाब की करते हैं, जब राहुल गांधी ने कैप्टन को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था, तो कहा गया कि क्या मास्टरस्ट्रोक मारा है राहुल गांधी ने, मगर आज हालात ये हैं कि चन्नी अपनी दोनों सीट गंवा चुके हैं... कांग्रेस को 59 सीटों का नुकसान हुआ है... नवजोत सिंह सिद्धू, जो हमेशा प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ अपनी तस्वीरें ट्वीट करते थे, भी हार चुके हैं... सिद्धू कांग्रेस के लिए भस्मासुर साबित हुए... एक ऐसा नेता, जिसे अपनी जुबान पर काबू नहीं रहता, और जो बोलता पहले है, सोचता बाद में है, ने कांग्रेस की लुटिया डुबो दी... सिद्धू और चन्नी का झगड़ा उस दिन पंजाब की जनता के सामने आ गया था, जब प्रियंका गांधी वाड्रा के सामने सिद्धू ने चुनावी सभा में भाषण देने से मना कर दिया... चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उनके सभी कामों की आलोचना करना सिद्धू का पसंदीदा काम बन गया था... आलोचना भी ढके-छिपे तरीके से नहीं, बल्कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में... पंजाब में ढेरों लोग कैप्टन की उस बात को सच मानने लगे थे, जब उन्होंने कहा था कि सिद्धू मानसिक रूप से अनस्टेबल हैं... सिद्धू ने थाली में सजाकर सत्ता आम आदमी पार्टी को तोहफे में दी है... जब मैं पंजाब से रिपोर्टिंग कर लौटा था, तब ही लोगों को बता दिया था कि पंजाब का चुनाव आने वाले दिनों में इस बात के लिए याद रखा जाएगा कि कांग्रेस कैसे जीता हुआ चुनाव आपसी लड़ाई में हारती है...
उत्तराखंड की बात करते हैं. एक ऐसा राज्य, जहां BJP को तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े... एक पूर्व मुख्यमंत्री ने तो चुनाव लड़ने तक से मना कर दिया... मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक खुद का चुनाव हार गए, मगर फिर भी BJP जीती... कमाल है, यहां भी कांग्रेस ने खुद को हरवाया है... हरीश रावत और प्रीतम सिंह का झगड़ा इतना बढ़ गया था कि कांग्रेस का एक गुट दूसरे को हरवाने में अपनी सारी ताकत लगाता रहा और जनता यह सब देखती रही... उन्हें पता था कि ये अभी इतना लड़ रहे हैं, तो इन्हें जिताने से क्या फायदा.
गोवा की बात भी बता देता हूं. मतगणना के तीन दिन पहले गोवा से लौटा 10 दिन रहने के बाद... जहां भी लोगों से पूछा, कौन जीत रहा है, लोगों का फैसला साफ था BJP... इसके दो कारण हैं - एक, गोवा में सड़कों और बाकी कामों के इतने प्रोजेक्ट चल रहे हैं कि लोगों को लग रहा था कि यदि कांग्रेस को जिताया, तो ये सारे काम बंद हो जाएंगे. यदि आप लगातार गोवा जाते रहे हैं, तो आपको अंदाज़ा होगा ही कि गोवा महानगर की शक्ल ले रहा है. हर जगह फ्लाईओवर बन रहे हैं... रोड चौड़े हो रहे हैं और लोगों को लगता है कि जितनी सुविधा बढ़ेगी, वहां पर्यटन का उतना विकास होगा... दो, गोवा विधानसभा में 25,000 तक ही वोटर होते हैं और चुनाव में जिसके पास पैसे की थैली जितनी बड़ी होती है, पलड़ा उन्हीं का भारी रहता है...
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं था... प्रियंका गांधी ने खूब मेहनत की और कांग्रेस को इस बात से संतोष करना चाहिए कि सभी सीटों पर चुनाव लड़कर पार्टी ने हर जगह संगठन का बीज तो बो ही दिया है... अब यह बीज कब पनपेगा और कब उसमें फल लगेगा, यह माली के धैर्य पर निर्भर करता है... यदि प्रियंका गांधी ने हिम्मत नहीं हारी और डटी रहीं, तो भविष्य किसने देखा है.
यानी कांग्रेस को एक बार बैठकर सोचना होगा कि राहुल गांधी ही कांग्रेस का भविष्य हैं या किसी और को आगे लाना चाहिए... अब कांग्रेस के पास केवल दो राज्य बचे हैं राजस्थान और छत्तीसगढ... क्या कांग्रेस को प्रियंका गांधी को आधिकारिक रूप से अध्यक्ष बना देना चाहिए... क्या सचिन पायलट को बड़ी जिम्मेवारी देनी चाहिए... एक थिंकटैंक बनाने की ज़रूरत है, जिसमें अलग क्षेत्रों के लोग हों, जो अब भी कांग्रेस से सहानुभूति रखते हैं... और यह सब करने में कांग्रेस को देर नहीं लगानी चाहिए, वरना यदि वह अब भी नहीं संभली, तो वह वक्त दूर नहीं, जब कांग्रेसमुक्त भारत होने में देर नहीं होगी.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...
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