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This Article is From Oct 25, 2018

सीबीआई में संकट, चलने लगी धरपकड़...अब अदालत का ही आसरा

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 25, 2018 19:36 pm IST
    • Published On अक्टूबर 25, 2018 19:36 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 25, 2018 19:36 pm IST
सीबीआई के दो बड़े अफसरों के झगड़े में बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ. दिल्ली पुलिस ने कथित तौर पर आलोक वर्मा के घर के बाहर से चार इंटेलिजेंस ब्यूरो के लोगों को पकड़ लिया. हालांकि उन्हें बाद में छोड़ दिया गया. मगर उनको यह कहकर पकड़ा गया कि वे आलोक वर्मा की जासूसी कर रहे थे.

आपको याद दिला दूं अपने देश में इसी तरह जासूसी की बात कहकर राजीव गांधी ने चंद्रशेखर सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. तब राजीव गांधी के घर के बाहर दिल्ली पुलिस के दो सिपाही घूमते हुए पाए गए थे. कहने का मतलब यह है कि सीबीआई के इस संकट में लोग एक-दूसरे की धरपकड़ करने में लगे हुए हैं.

इस पूरे मामले में दो अहम किरदार हैं राकेश अस्थाना और मोईन कुरेशी. इनके बारे में कुछ अहम चीज बताता हूं. अस्थाना का नाम पहली बार तब आया था जब गुजरात की दवा कंपनी स्टरलिंग वॉयोटेक पर छापेमारी की गई थी.  इस दौरान एक कागजात में अस्थाना का नाम सामने आया था. इस कंपनी के मालिक नितिन संदेसरा और चेतन संदेसरा आंध्रा बैंक से 5000 करोड़ से अधिक का लोन लेकर विदेश फरार हो गए. कहा जाता है कि संदेसरा भारत से भागकर नाईजीरिया चला गया. इस कंपनी पर अस्थाना की बेटी की शादी में पैसा खर्च करने का आरोप है. माना जाता है कि महंगे होटल, गाड़ियों और खानपान के लिए खर्च करने का भी आरोप है. इसी आधार पर तब आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना को सीबीआई में स्पेशल डॉयरेक्टर बनाने से मना कर दिया था. मगर अस्थाना की पहुंच देखिए कि सीवीसी यानि मुख्य सतर्कता आयुक्त ने सीबीआई निदेशक की सिफारिश को दरकिनार करते हुए अस्थाना को  पदोन्नति दे दी. वहीं से सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर अस्थाना के बीच तलवारें खिंच गईं.

यही नहीं राकेश अस्थाना ने सीबीआई में अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग के लिए अपनी एक अलग से लिस्ट भी तैयार कर रखी थी. जो कि जाहिर है सीबीआई के मुखिया होने के नाते आलोक वर्मा को यह अच्छा नहीं लगा क्योंकि उनको लगा कि जो नाम अस्थाना दे रहे हैं उनमें से कई दागी अफसर हैं. फिर सीबीआई चीफ वर्मा ने सीवीसी को लिखा कि राकेश अस्थाना  किसी भी मीटिंग में सीबीआई का प्रतिनिधित्व नहीं करेंगे और अब जो हुआ वह जग जाहिर है. मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है और सरकार ने साफ किया है कि भले ही नागेश्वर राव को अंतरिम सीबीआई प्रमुख बनाया गया है मगर सुप्रीम कोर्ट में वर्मा और अस्थाना ही होंगे.

थोड़ी सी चर्चा उस शख्स की जिसने तीन-तीन सीबीआई निदेशकों को भ्रष्ट बना दिया या कहें सरेआम घूस खिलाई. मीट का व्यापारी जो 70 लाख की हेराफेरी छिपाने के लिए दो करोड़ तक की घूस दे देता है, वह भी सीधे बड़े अफसरों को...अब सब जगजाहिर हो चुका है. मामला सुप्रीम कोर्ट में है सबकी आस्था उसी में बची है और सबको उम्मीद है कि अदालत जो कहेगी वही सही होगा, इसी में सबकी भलाई है. शायद इससे सीबीआई में सबका एक बार भरोसा जग जाए.


मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...
 
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