बीजेपी ने तमिलनाडु में अपने गठबंधन की घोषणा कर दी है. एक ही दिन में महाराष्ट्र के बाद तमिलनाडु दूसरा राज्य है जहां बीजेपी ने गठबंधन बनाने में देरी नहीं की है. वहां बीजेपी और शिवसेना में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ में लड़ने पर सहमति बन चुकी है.
तमिलनाडु में लोकसभा की कुल 39 सीटों में से एआईएडीएमके 27 सीटों पर लड़ेगी जबकि पीएमके 7 और बीजेपी 5 सीटों पर लड़ेगी. तमिलनाडु में यह गठबंधन इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि एआईएडीएमके ने अपनी 10 मौजूदा सीटें गठबंधन के लिए छोड़ दी हैं. यानि उनके मौजूदा 10 सांसदों का टिकट इस घोषणा के साथ ही कट चुका है. बाकी सीटों पर नए चेहरे आएंगे, वो अलग से होगा.
एआईएडीएमके और बीजेपी गठबंधन की उम्मीद लोगों को पहले से ही थी. इसके संकेत उस समय से ही मिल रहे थे जब इस लोकसभा की शुरुआत में थंबी दुरई को उपाध्यक्ष बनाया गया था. मगर दिसंबर 2016 में जयललिता के निधन के बाद जो उठापटक एआईएडीएमके में मची और पार्टी पर कब्जे को लेकर जो लड़ाई मची उससे गठबंधन किससे होगा, इस पर एक सवालिया निशान लग गया था. एआईएडीएमके का पार्टी सिंबल को लेकर झगड़ा दिल्ली के चुनाव आयोग तक आया मगर जब यह तय हो गया कि मुख्यमंत्री पलानीसामी और पूर्व मुख्यमंत्री पन्नीरसेलवम को ही एआईडाएमके का दो पत्ती वाला निशान मिलेगा तब जाकर दिल्ली की पार्टियों ने राहत की सांस ली.
बीजेपी ने तमिलनाडु में जिस तरह से गठबंधन किया है वह बीजेपी के दक्षिण भारत में विस्तार के प्लान की तरफ इशारा करता है. यह भी माना जा रहा है कि पीएमके के आने से यह गठबंधन मजबूत हुआ है और अच्छी टक्कर देने की हालत में है. दूसरी ओर देखा जाए तो दक्षिण के पांच राज्यों तमिलनाडु,केरल, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की कुल 129 लोक सभा सीटों में से बीजेपी के पास केवल 20 सीटें ही हैं. इसमें भी 17 सीटें केवल कर्नाटक से हैं और बची तमिलनाडु,केरल, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की 99 सीटों में से बीजेपी के पास केवल 3 सीटें हैं.
माना जा रहा है कि बीजेपी केरल में इस बार खाता खोल सकती है, मगर कर्नाटक, जहां बीजेपी को 2014 में 17 सीटें मिली थीं, में इस बार उसे मशक्कत करनी पड़ सकती है क्योंकि कर्नाटक विधानसभा में आए नतीजों के बाद यदि कांग्रेस और जेडी-एस के वोट प्रतिशत को जोड़ दिया जाए तो यह 56 फीसदी तक पहुंचता है. मगर सबसे बड़ा सवाल है कि लोकसभा चुनाव तक यह गठबंधन बना रहता है या नहीं. यानि दक्षिण में बीजेपी को काफी जोर लगाना पड़ेगा, नए साथी ढूंढने होंगे तभी जाकर बात बनेगी.
अब बात करते हैं फिर से तमिलनाडु की...सबको इंतजार है कि कांग्रेस इस गठबंधन के जवाब में क्या दांव खेलेगी. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस-एआईएडीएमके का गठबंधन एक तरह से पक्का है और केवल सीटों के बंटवारे की घोषणा होना बाकी है. यह इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि डीएमके नेता स्टालिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की बात कहने वाले सबसे पहले नेता थे. फिर विपक्ष की जितनी भी बैठकें और रैलियां हुईं उसमें भी स्टालिन ने बढ़ चढ़कर भाग लिया. तमिलनाडु में डीएमके 20 सीटों पर लड़ेगी और कांग्रेस 10 पर. कुछ सीटें छोटी पार्टियों के लिए रखी गई हैं.
सन 2009 में तमिलनाडु में डीएमके को 18 और कांग्रेस को 8 सीटें मिली थीं जबकि वीसीके को एक सीट मिली थी. देखते हैं कांग्रेस और डीएमके गठबंधन की घोषणा कब होती है, मगर यह तो तय है कि सुदूर दक्षिण में भी लोकसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...)
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