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This Article is From Feb 11, 2015

बाबा की कलम से : दिल्ली ने 'आप' को दिया 'आपराधिक बहुमत'

Manoranjan Bharti, Vivek Rastogi
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  • Updated:
    फ़रवरी 11, 2015 19:38 pm IST
    • Published On फ़रवरी 11, 2015 19:34 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 11, 2015 19:38 pm IST

दिल्ली के दंगल का नतीजा इतना जोरदार है कि इसकी गूंज काफी दिनों तक रहेगी। बीजेपी को पार्टी के अंदर संवार, ऊंचे स्तर पर आत्मचिंतन और बहस की जरूरत है। हमारा देश अब उस तरह की राजनीति से ऊब चुका है, जो केवल झूठे वादों पर चलती रही है। आम जनता ने पहले कांग्रेस को नकारा और दिल्ली की जनता ने नसीब वाले को। मफलर वाले झाड़ू उठाए घूमते एक आदमी ने ठसक की राजनीति को जमीन पर ला दिया।

लगता है, दिल्ली की जनता ने काफी गुस्से में अपना मत दिया है। आम आदमी पार्टी की जीत के अंतर को देखिए, कहीं भी किसी विधानसभा चुनाव में जीत का अंतर इतना नहीं होता। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को देखिए, हर क्षेत्र के लोग राजनीति से जुड़े हैं और अब सब पार्टियों को यही करना पड़ेगा। युवाओं से जुड़ना पड़ेगा।

यह भी देखने की बात है कि लोगों ने जिस प्रधानमंत्री को हाथोंहाथ लिया था, अब दिल्ली की जनता का उससे मोह भंग कैसे हो गया। क्या इसमें उन वादों का भी हाथ है, जिन पर पहल होती नहीं दिखी। जो दिखा है वह स्वच्छ भारत अभियान है, बेटी बचाओ की पहल है, जन-धन योजना है, लेकिन इसके साथ लोगों ने प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं, विदेशी मेहमानों की भारत यात्राओं - खासकर ओबामा की - और पहली बार प्रधानमंत्री के पहनावों पर भी चर्चाएं की हैं।

यहीं से जनता में जो चर्चा चली, वह बीजेपी पर भारी पड़ गई। इस चुनाव का असर आपको आने वाले बजट पर भी दिखेगा, और मोदी सरकार की रणनीतियों पर भी, मगर ऐसा नहीं है कि इस चुनाव में केवल बीजेपी के लिए ही सीख है। यहां आम आदमी पार्टी के लिए भी बहुत कुछ है। एक तो दिल्ली की जनता ने ऐतिहासिक बहुमत ही नहीं, 'आपराधिक बहुमत' एक पार्टी को दे दिया है। लोकतंत्र में विपक्ष न होने पर शासन के निरंकुश होने की संभावना बनी रहती है।

बीजेपी के जीतकर आए विधायकों ने कहा, विरोध तो दूर की बात है, हम अगले छह महीने तक जुबान खोलने की हालत में भी नहीं हैं। सोचिए, दिल्ली विधानसभा में 70 में से 67 लोग एक तरफ बैठे हों और तीन एक तरफ, क्या हालत होगी। ऐसे में मीडिया और दिल्ली की जनता को ही विपक्ष की भूमिका निभानी होगी। वादे बहुत हैं और बहुत बड़े-बड़े हैं और उससे भी बड़ी है लोगों की उम्मीदें। अगर केजरीवाल लोगों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे तो आम आदमी पार्टी की उस उम्मीद पर भी पानी फिर सकता है, जिसमें वह अन्य राज्यों में विस्तार करना चाहती है, मगर इसका अहसास आम आदमी पार्टी के नेताओं को भी है।

कुमार विश्वास ने कहा कि जहां पानी के लिए पाइपलाइन नहीं बिछी है, वहां बाल्टी से विधायक पानी लेकर थोड़े ही जाएगा, वहां पर वक्त लगेगा। लोग पूछ रहे हैं कि फ्री वाई-फाई कब तक और कितनी देर तक मिलेगा। सिक्योरिटी कैमरे कब तक लगेंगे। सवाल बहुत हैं, और जनता भी जल्दी में रहती है। यदि कुछ होते हुए नहीं दिखा तो आम आदमी केवल एक मौके का इंतजार करेगा आम आदमी से बदला लेने का।

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