पश्चिम बंगाल में हाल के सालों में सामने आए दुष्कर्म के तीन बड़े मामलों ने सिर्फ कानून व्यवस्था पर ही नहीं, बल्कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की राजनीतिक संरचना पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.इन मामलों में शामिल कई आरोपियों के सीधे तौर पर या छात्र राजनीति के जरिए टीएमसी से जुड़े होने का मामला सामने आ रहा है.
लॉ स्टूडेंट गैंगरेप केस (2025): कॉलेज की दीवारों के भीतर शिकार बनी छात्रा
जून 2025 में एक प्रतिष्ठित लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया, जिसने राज्यभर में आक्रोश की लहर दौड़ा दी. पीड़िता ने आरोप लगाया कि कॉलेज के सीनियर छात्र मोनोजित मिश्रा ने पहले उसे अपने झांसे में लिया और फिर सुनियोजित तरीके से दोस्तों प्रमित मुखोपाध्याय और जैब अहमद के साथ मिलकर उसके साथ दुष्कर्म किया.
इतना ही नहीं, इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई, जिसका इस्तेमाल पीड़िता को ब्लैकमेल करने के लिए किया गया.
जांच में सामने आया कि मोनोजित और प्रमित का जुड़ाव तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) से रहा है, जो टीएमसी की छात्र इकाई है. कॉलेज में टीएमसीपी के बैनर तले आयोजित कार्यक्रमों में उनकी सक्रिय मौजूदगी के वीडियो भी सामने आए, हालांकि टीएमसी ने अभी तक इस राजनीतिक जुड़ाव पर कोई ठोस बयान नहीं दिया है.

लॉ कॉलेज रेप केस के आरोपियों को ले जाती पुलिस.
आरजी कर मेडिकल कॉलेज रेप केस: स्वयंसेवक की वर्दी में छिपा बलात्कारी
इस मामले का आरोपी संजय रॉय, एक सिविक वॉलंटियर के रूप में 2019 में कोलकाता पुलिस से जुड़ा था. लेकिन उसने 'सही कनेक्शनों' का उपयोग कर खुद को पुलिस वेलफेयर सेल में ट्रांसफर करवाया और आरजी कर अस्पताल में लगातार पोस्टिंग पाई.
जांच में सामने आया कि रॉय लंबे समय से अस्पताल परिसर में ही रह रहा था. महिला वार्डों तक उसकी बेरोकटोक पहुंच थी. यहीं एक महिला से बलात्कार का आरोप उस पर लगा, जिसने न सिर्फ पुलिस की विफलता को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखाया कि किस तरह एक व्यक्ति राजनीतिक और प्रशासनिक छत्रछाया में लंबे समय तक अपराध करता रहा.
संदेशखाली यौन उत्पीड़न और जमीन कब्जा कांड: सत्ता की आड़ में सुनियोजित शोषण
पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली क्षेत्र में सामने आया यह मामला सत्ता और अपराध के गठजोड़ का सबसे वीभत्स उदाहरण बनकर उभरा. यहां गांव की कई महिलाओं ने खुलकर सामने आकर आरोप लगाया कि वर्षों से उन्हें शारीरिक शोषण और जमीन हथियाने के काले धंधे का सामना करना पड़ रहा था.

संदेशखाली में टीएमसी नेता शाहजहां शेख के खिलाफ प्रदर्शन करती महिलाएं.
इस नेटवर्क का संचालन करने वाले तीन मुख्य आरोपी शाजाहान शेख, शिबाप्रसाद हाज़रा और उत्तम सरदार तृणमूल कांग्रेस से जुड़े रहे हैं. शाजाहान को स्थानीय टीएमसी नेता और सत्ता का प्रभावशाली चेहरा" माना जाता था.वहीं शिबाप्रसाद पंचायत पद पर रहा, जबकि उत्तम सरदार को टीएमसी कार्यकर्ता के रूप में जाना जाता था.
पीड़ित महिलाओं के मुताबिक अगर वे विरोध करतीं तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती और उनके परिवारों पर केस दर्ज करा दिए जाते. यह मामला राष्ट्रीय सुर्खियों में तब आया जब एक पीड़िता ने आत्महत्या कर ली, जिसके बाद राज्य सरकार पर दबाव बढ़ा.
कैसे बुलंद होता है बलात्कारियों का हौंसला
सवाल यह नहीं है कि आरोपी कौन हैं, सवाल यह है कि सत्ता उनके पीछे क्यों खड़ी है ? टीएमसी ने इन मामलों हमेशा यही कहा है कि क़ानून अपना काम करेगा लेकिन सवाल इसलिए उठते हैं कि क़ानून ख़ुद जब इन आरोपियों के हाथ में कठपुतली बनकर घूम रहा हो तो फिर काम कौन करेगा?

लॉ कॉलेज रेप केस के खिलाफ कोलकाता में प्रदर्शन करते लोग.
मगर एक के बाद एक सामने आते मामलों से यह साफ है कि सत्ता से जुड़ाव, चाहे सीधा हो या परोक्ष, अपराधियों के हौसले बुलंद करता रहा.
दरअसल हर बार चुनाव में ममता बनर्जी की ऐतिहासिक जीत बंगाल में हर व्यक्ति को तृणमूल कांग्रेस से जुड़ा रखने के लिए काफी है क्योंकि अगर आप सत्ता से दूर हुए यह सत्ता के विरोध में खड़े हुए तो फिर सिर्फ़ राजनीति के दलदल में ही नहीं फँसेंगे बल्कि सामान्य ज़िंदगी भी जीना मुश्किल हो सकता है.
अस्वीकरण: इस लेख में दिए गए विचार लेखक के निजी हैं, उनसे एनडीटीवी का सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.
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