जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव खत्म हो गए, और नतीजा वही आया, जिसका सबको अंदेशा था, यानि, त्रिशंकु विधानसभा... किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं... पीडीपी और बीजेपी ने पिछले चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। जहां पीडीपी सबसे ज़्यादा सीट जीतने वाली पार्टी बनी, बीजेपी को सबसे ज़्यादा वोट मिले... लेकिन दोनों का प्रदर्शन इतना अच्छा भी नहीं रहा कि अपने दम पर सरकार बना सकें।
बीजेपी को 25 सीटें मिली हैं और उसे सरकार बनाने के लिए 19 और सीटों की दरकार है। 24 दिसंबर को दिल्ली में हुई पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में बीजेपी ने दावा किया की उसे 31 विधायकों का समर्थन हासिल है, परन्तु सरकार बनाने के लिए अब भी 13 विधायक कम हैं, जिसके लिए उसे पीडीपी या नेशनल कॉन्फ्रेंस में से किसी एक का समर्थन लेना ज़रूरी हो जाता है।
अब अगर बीजेपी को पीडीपी से समर्थन मिल जाता है तो संख्या 59 तक हो जाती है, जो सरकार बनाने के लिए ज़रूरत से ज़्यादा बड़ा नंबर है, परंतु पीडीपी के समर्थन का बीजेपी को कोई फायदा नहीं होगा। पीडीपी अपने पास छह साल तक सीएम का पद रखना चाहती है, जबकि बीजेपी चाहती है कि अगर छह नहीं तो कम से कम तीन साल के लिए तो उसका मुख्यमंत्री बने, जो हिन्दू हो। पीडीपी को सबसे ज़्यादा सीटें कश्मीर से मिली हैं, जहां 97 फीसदी मुस्लिम रहते हैं। पीडीपी यह भलीभांति जानती है कि कश्मीर में बीजेपी-विरोधी लहर है, इसलिए उसने बीजेपी के आगे ऐसी शर्त रखी है।
बीजेपी को अगर अपना मुख्यमंत्री बनाना है तो उसके लिए सबसे आदर्श पार्टी उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ही होगी, जिनके पास 15 विधायक हैं, और इसी के चलते उमर अब्दुल्ला अभी मोलभाव करने की स्थिति में भी नहीं हैं, लेकिन हां, अगर बीजेपी की सरकार को नेशनल कॉन्फ्रेंस समर्थन देती है तो उसे फायदा ज़रूर मिल सकता है। जम्मू कश्मीर की विधानसभा के साथ-साथ उसे केंद्र के मंत्रिमंडल में भी जगह मिल सकती है।
वैसे तो उमर अब्दुल्ला चुनाव से पहले ही बैकफुट पर चले गए थे, और अब भी वह भले ही बीजेपी से कोई डील होने से इनकार कर रहे हों, लेकिन वह यह जानते हैं कि राज्य की राजनीति में बने रहने और जनता का विश्वास दोबारा हासिल करने के लिए सत्ता में बने रहना बहुत ज़रूरी है।
उधर, जैसे हरियाणा में सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद के लिए किसी जाट नेता को चुनने की बजाय मनोहर लाल खट्टर को चुना, जो पंजाबी हैं। हरियाणा में 18 साल बाद कोई गैर-जाट मुख्यमंत्री बना है और हरियाणा में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है। इस बीच, अब झारखंड के लिए भी बीजेपी ने राज्य के पहले गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में रघुबर दास के नाम पर मुहर लगाई है। सो, बीजेपी की इसी नीति के तहत लगता है कि जम्मू-कश्मीर में भी बीजेपी किसी हिन्दू को मुख्यमंत्री बनाना पसंद करेगी।
वैसे, एक बात और है... अगर बीजेपी को कश्मीर में भी कुछ सीटें मिल जातीं तो बीजेपी की इच्छा होती या नहीं होता, उसे दोनों क्षेत्रों - जम्मू और कश्मीर - में संतुलन बनाए रखने के लिए किसी मुस्लिम नेता का नाम सोचना ही पड़ता, लेकिन अब जब पार्टी ने सभी सीटें सिर्फ जम्मू से ही जीती हैं तो बीजेपी किसी मुस्लिम नाम पर सहमति बनाकर जम्मू के वोटरों का गुस्सा मोल लेना नहीं चाहेगी। बीजेपी में मुख्यमंत्री पद की रेस में डॉ जितेंद्र सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा है, वैसे एक अन्य नेता डॉ निर्मल सिंह भी रेस में शामिल हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह उधमपुर से बीजेपी सांसद हैं और पीएमओे में राज्यमंत्री हैं। 58-वर्षीय जितेंद्र को मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी माना जाता है। उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को हराया था। सूत्रों की मानें तो ज्यादातर विधायक भी जितेंद्र सिंह को ही मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। अगर उनके नाम पर सहमति बन जाती है और बीजेपी की सरकार बनती है तो वह जम्मू-कश्मीर के अगले सीएम होंगे। यह वही जितेंद्र सिंह हैं, जिन्होंने मोदी सरकार बनने के दूसरे दिन ही अनुच्छेद 370 पर बयान देकर घाटी की राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी, हालांकि बाद में वह अपने बयान से पलट गए थे।
उधर, डॉ निर्मल सिंह बिल्लावर विधानसभा क्षेत्र से चुने गए हैं। वह पार्टी प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं, और उल्लेखनीय है कि बिल्लावर सीट बीजेपी ने 37 साल बाद जीती है, लेकिन पेंच यह है कि उनके नाम पर सभी विधायक सहमत नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के कम से कम छह विधायक निर्मल सिंह को विधायक दल का नेता बनाए जाने के खिलाफ हैं। अब पार्टी विधायकों ने इस बात का फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर छोड़ दिया है कि वह किसे विधायक दल का नेता चुनते हैं।
अगर इतिहास पर नज़र डालें तो जम्मू-कश्मीर के पहले 'प्रधानमंत्री' मेहरचंद महाजन थे, जो हिन्दू थे। अगर आने वाले दिनों में बीजेपी अपनी रणनीति में कामयाब हो जाती है तो वे दिन दूर नहीं, जब घाटी को पहला हिन्दू मुख्यमंत्री भी देखने को मिलेगा। बीजेपी ज़रूर चाहेगी कि वह घाटी में इतिहास बनाए और प्रधानमंत्री मोदी को नए साल का ऐतिहासिक तोहफा दे...
This Article is From Dec 26, 2014
मनीष शर्मा की नज़र से : क्या घाटी को मिलेगा पहला हिन्दू मुख्यमंत्री...?
Manish Sharma, Vivek Rastogi
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Updated:दिसंबर 26, 2014 16:48 pm IST
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Published On दिसंबर 26, 2014 16:44 pm IST
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Last Updated On दिसंबर 26, 2014 16:48 pm IST
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