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This Article is From Dec 22, 2015

महावीर रावत का ब्लॉग : 34 साल में मैक्कलम का संन्यास, 37 साल में नेहरा की वापसी!

Mahavir Rawat
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 13:23 pm IST
    • Published On दिसंबर 22, 2015 10:51 am IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 13:23 pm IST
टी-20 विश्व कप में कुछ ही महीने बचे हैं। भारत में वो हर खिलाड़ी कोशिश कर रहा हैं जो कर सकता है। चयनकर्ता भी किसी को निराश किए बिना उस हर खिलाड़ी को मौका दे रहे हैं, जिन्हें दिया जा सकता है। फिर चाहे टी-20 के खिलाड़ी को वनडे में फिट किया जा रहा हो या वनडे के खिलाडी को टी-20 में सेट किया जा रहा हो। इन सब के बीच खबर आई की न्यूज़ीलैंड के कप्तान ने फरवरी में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया। सब हैरान रह गए क्योंकि न तो फॉर्म और न ही फिटनेस के मामले में ब्रैंडन मैक्कलम के बारे में कभी कोई शिकायत आई।

वो इस साल अपनी टीम को वनडे विश्व कप के फाइनल में पहुंचा चुके थे और टेस्ट मैचों में उनकी टीम बेहतरीन प्रदर्शन कर रही थी। फिर ऐसा क्या हुआ कि मैक्कलम ने अचानक संन्यास ले लिए। पर यहीं सवाल ये भी उठता है कि संन्यास लेने के लिए कुछ होना ज़रूरी क्यों है? संन्यास लेना किसी भी खिलाड़ी का निजी फैसला होता है और किसी और को शायद इसके बारे में कहना का कोई हक नहीं। मगर सवाल तो उठते ही हैं। अब ज़रा कुछ ही दिन पहले ऑस्ट्रेलियाई दौरे के लिए चुनी गई टीम इंडिया पर डालते हैं।

युवराज सिंह -  34 साल
हरभजन सिंह- 36 साल
आशीष नेहरा- 37 साल


ये वो खिलाड़ी हैं, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया में टी-20 के लिए टीम में चुना गया है। ये खिलाड़ी खुद में तो अभी भी काफी क्रिकेट बाकी मानते हैं। चयनकर्ताओं की सूई भी घूम-फिर कर इन्हीं खिलाड़ियों पर आके टिकती है। चयन की न तो हमारे पास कोई पॉलिसी है और न ही कोई समझ। क्रिकेट से प्यार कहिए ये गुमनामी में खो जाने का डर, जब तक भारतीय खिलाड़ी पूरी तरह ना उम्मीद नहीं हो जाते, वो क्रिकेट को अलविदा नहीं करते।

आंकडों से प्यार
भारतीय खिलाड़ी का रिटायरमेंट तब और मुश्किल हो जाता है जब कोई खास आंकड़ा उनके सामने होता है। चाहे 100 टेस्ट मैच हों, चाहे शतकों का शतक हो, चाहे 434 विकटों का रिकॉर्ड हो। ये खिलाड़ी ऐसे इन आंकड़ों के पीछे लगे रहते हैं जैसे कि इन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू ही इन आंकड़ों को हासिल करने के लिए किया था।

पहले से चली आ रही रीत
सुनील गावस्कर और राहुल दविड़ को छोड़ दें, तो भारतीय क्रिकेट में ऐसी कोई मिसाल नहीं मिलती जिन्होंने रिटायरमेंट के मामले में सही मिसाल पेश की हो। चाहे महान खिलाड़ी कपिल देव हों या फिर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर। हर कोई आंकड़ों के प्यार में कुछ ऐसा फसा कि सीरीज़ गर सीरीज अपने प्रदर्शन से ज्यादा अपने औदे के दम पर खेलते रहे। वहीं, विदेशी खिलाड़ियो ने हमेशा अपने दिल की सुनी और क्रिकेट को अलविदा तब कहा जब उन्हें लगा कि अब वो अपना 100 फीसदी टीम को नहीं दे सकते। एडम गिलक्रिस्ट से एक मैच के दौरान वीवीएस लक्ष्मण का कैच छूट गया।

उन्होंने वहीं सोच लिया कि अब बस हो गया। ऐसा ही कुछ मैथ्यू हेडन ने भी किया और अब ब्रैंडन मैक्कलम ने संन्यास का ऐलान कर सबको चौंका दिया। भारतीय क्रिकेट में भी अब किसी ऐसे सितारे की जरूरत है जो लोगों को सीखा सके कि आखिर सही में संन्यास कब लेना चाहिए।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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