कर्नाटक में जारी है दिग्गजों की जंग - येदियुरप्पा बनाम शाह

सोमवार को 77-वर्षीय मुख्यमंत्री की पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व, यानी अमित शाह ने बी.एस. येदियुरप्पा को ज़ोरदार झटका देते हुए वे तीनों नाम खारिज कर दिए, जिनकी सिफारिश 19 जून को होने वाले चुनाव के ज़रिये राज्यसभा में भेजे जाने के लिए उन्होंने की थी.

कर्नाटक में जारी है दिग्गजों की जंग - येदियुरप्पा बनाम शाह

जब उन्होंने अपने नाम की वर्तनी बदली, और अंग्रेज़ी में लिखे जाने वाले नाम में 'd' के स्थान पर 'i' का इस्तेमाल करना शुरू किया, बी.एस. येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए. वर्तनी बदलने से जागी किस्मत ने वह कर दिखाया, जो संभवतः फेंग शुई नहीं कर पाया.

सोमवार को 77-वर्षीय मुख्यमंत्री की पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व, यानी अमित शाह ने बी.एस. येदियुरप्पा को ज़ोरदार झटका देते हुए वे तीनों नाम खारिज कर दिए, जिनकी सिफारिश 19 जून को होने वाले चुनाव के ज़रिये राज्यसभा में भेजे जाने के लिए उन्होंने की थी. इसके बजाय अमित शाह ने सार्वजनिक रूप से तीन कतई अलग नाम घोषित कर दिए.

बी.एस. येदियुरप्पा ने होटैलियर प्रकाश शेट्टी को चुना था, जो मौजूदा समय में भी राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन उनका कार्यकाल खत्म होने जा रहा है, और उनके भाई भी येदियुरप्पा मंत्रिमंडल के सदस्य हैं. शाह के चुने हुए नामों में पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा भी शामिल हैं, जिनका समर्थन कांग्रेस भी कर रही है. (गौरतलब है कि येदियुरप्पा ने ही पिछले साल देवेगौड़ा के पुत्र एच.डी. कुमारस्वामी की सरकार गिराई थी, जो कांग्रेस के समर्थन से सत्तासीन थी...)

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राज्यसभा उम्मीदवारों के नामांकन के दौरान मौजूद रहे मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (बीच में).
 

BJP के अपने दो प्रत्याशी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पूर्व कार्यकर्ता हैं, और उन्हें बी.एल. संतोष का करीबी माना जाता है, जो संगठन महासचिव (RSS और BJP के बीच की कड़ी) भी हैं, और कर्नाटक में येदियुरप्पा से जारी शक्तिसंघर्ष में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं.

बी.एस. येदियुरप्पा के कैम्प के लोगों का कहना है कि प्रत्याशियों को लेकर BJP का फैसला बिल्कुल 'कांग्रेस सरीखी हाईकमान संस्कृति' जैसा है, जिसकी वह नियमित रूप से मुखाल्फत करते हैं, और कहते हैं कि पार्टी को उनकी कैडर-आधारित नीतियों और संचालन पद्धति का पालन करना चाहिए.

शाह और येदियुरप्पा के ताल्लुकात बहुत अच्छे कभी नहीं रहे, और BJP के पास इस बात के ढेरों साक्ष्य मौजूद हैं कि येदियुरप्पा की पकड़ राज्य में कितनी मज़बूत है - लोकसभा चुनाव में उन्होंने 28 में से 25 सीटें जीती थीं, और दिसंबर में हुए उपचुनाव में भी 15 में से 12 सीटों पर उन्हीं के प्रत्याशी विजयी हुए थे.

पिछले वर्ष चौथी बार मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभालने वाले येदियुरप्पा को तभी से बी.एल. संतोष की महत्वाकांक्षाओं का ध्यान रखना पड़ रहा है, जो RSS की ओर से BJP में प्रतिनियुक्ति पर हैं. वर्ष 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव, जिनमें कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (JDS) ने BJP को पटखनी दी थी, से कुछ ही महीने पहले बी.एस. येदियुरप्पा ने सार्वजनिक रूप से बी.एल. संतोष पर आंतरिक विद्रोह का आरोप लगाया था. उस समय लोकप्रिय OBC नेता के.एस. ईश्वरप्पा ने बी.एस. येदियुरप्पा के खिलाफ बगावत कर दी थी और अपना मोर्चा खड़ा कर दिया था. हालांकि अब वह पार्टी में लौट चुके हैं, और मौजूदा येदियुरप्पा सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.

संतोष अपने ट्वीट के लिए अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में भी रहे हैं, जिनमें से एक में तो उन्होंने अमेरिकी चुनाव में दखल देने की धमकी भी दी थी (हालांकि अब वह ट्वीट डिलीट किया जा चुका है), क्योंकि बर्नी सैंडर्स ने दिल्ली में हुई मुस्लिम-विरोधी हिंसा को लेकर ट्वीट किया था. वर्ष 2019 में वह लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों को लेकर भी येदियुरप्पा से भिड़ गए थे. अमित शाह से मिली मदद के चलते वह राउंड संतोष जीत गए थे. दरअसल, संतोष बंगलौर (दक्षिण) संसदीय क्षेत्र से तेजस्वी सूर्या (यह भी अपने अब डिलीट किए जा चुके लिंगभेदी ट्वीट को लेकर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोर चुके हैं) को टिकट दिलवाना चाहते थे, और येदियुरप्पा पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अनंत कुमार की पत्नी तेजस्विनी कुमार के लिए टिकट मांग रहे थे. लेकिन संतोष की ही चली.

और जुलाई, 2019 से ही, जब वह मौजूदा शक्तिशाली पद पर नियुक्त किए गए थे, चर्चा ज़ोरों पर है कि वह एक दिन राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में येदियुरप्पा का स्थान ले लेंगे. येदियुरप्पा के करीबी एक नेता ने कहा, "(प्रधानमंत्री नरेंद्र) मोदी और (गृहमंत्री अमित) शाह किसी भी ताकतवर क्षेत्रीय नेता को पसंद नहीं करते हैं... येदियुरप्पा ने कर्नाटक में BJP को अकेले ही खड़ा किया है, और कभी भगवा ध्वज लेकर खड़े रहने वाले वह अकेले नेता था... वह अपने सम्मान के लिए किसी लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे... अगर शाह और संतोष समझ रहे हैं कि उन्हें वॉकओवर मिल जाएगा, तो उन्हें बहुत हैरानी होने वाली है..."

येदियुरप्पा की समस्या यह है कि वह अब 77 वर्ष के हो चुके हैं - और BJP ने 75 वर्ष की आयु में रिटायरमेंट के अपने नियम से उन्हें छूट दी है, जो पार्टी द्वारा आमतौर पर कम से कम उन नेताओं पर तो ज़रूर लागू किया जाता है, जो अपनी बात कहने की हिम्मत रखते हैं.

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा. (फाइल फोटो)
 

भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले को लेकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का दवाब डालने पर वर्ष 2011 में कुछ वक्त के लिए बी.एस. येदियुरप्पा ने पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया था, लेकिन वह पिछले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी में लौट आए थे. बहरहाल केंद्रीय BJP नेताओं से उनके रिश्ते हमेशा खटास-भरे ही रहे हैं.

अब, वह नाराज़ हैं, क्योंकि उनका मानना है कि जिस वक्त वह राज्य में कोरोनावायरस से लड़ने में वयस्त हैं, पार्टी उनकी जड़ें खोदने की कोशिश कर रही है. उनके मंत्रिमंडल में भी हर वक्त शिकायतें करते रहने वाले सदस्य हैं, जो उनके पक्ष में और उनके खिलाफ गुटों में बंटे हुए हैं.

मोदी और शाह के करीबी संतोष हैं, और दोनों केंद्रीय नेता दक्षिण भारत में पार्टी के कब्ज़े वाले एकमात्र राज्य में ऐसा मुख्यमंत्री चाहेंगे, जो उनका वफादार हो.

BJP के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "महामारी राजनीति करने का सही वक्त नहीं है, लेकिन शाह उन नेताओं के प्रति कतई निर्मम हैं, जिन्हें वह पार्टी में पसंद नहीं करते, और उद्धव ठाकरे जैसे नेताओं के प्रति भी..." महाराष्ट्र में भी ठाकरे-नीत गठबंधन सरकार को गिराने के लिए ऑपरेशन लोटस अब तक जारी है.

येदियुरप्पा के करीबी सूत्रों ने उम्र या किसी भी अन्य कारण से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की संभावना से इंकार किया है. उधर, संतोष संभवतः राज्य के शीर्ष पद पर अपनी तरक्की को लेकर बेसब्र हो रहे हैं. यह दो दिग्गजों की जंग है - येदियुरप्पा बनाम शाह.


स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...

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