शरद शर्मा की खरी-खरी : 'आप' के अंदर का खेल

आम आदमी पार्टी में अच्छे दिनों की एक तस्वीर

शरद शर्मा, मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा के एक गांव से विशेष:

  वैसे तो मैं छुट्टी लेकर मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के एक गांव में प्रकृति की गोद में बैठकर योग कर रहा हूं। लेकिन दिल्ली में राजनीति की खबरें मेरे फोन के जरिए मेरे पीछे साए की तरह लगी हैं, अपने साए को कैसे छोड़ दूं? इसलिए समय निकालकर कुछ लिख रहा हूं।

अरविंद केजरीवाल के दिल्ली आते ही आम आदमी पार्टी के भीतर का घटनाक्रम तेजी से बदलता नज़र आया। पहले प्रशांत भूषण मीडिया के कैमरे पर बोले कि मैं अरविंद से मिलकर विवाद खत्म करना चाहता हूं, फिर उसी रात तीन घंटे पार्टी के चार अहम नेता योगेंद्र यादव के घर मिलने गए। खूब प्रचारित किया गया कि बातचीत सकारात्मक रही है और योगेंद्र यादव के बाद प्रशांत भूषण के घर जाकर भी ये नेता उनसे बात करेंगे।

ऐसा संदेश जा रहा है कि मामला सुलझ रहा है और दोनों गुट इसके लिए कोशिश करने में लगे हुए हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। आपको बिना घुमाए फिराए बता देता हूं कि खेल क्या है और क्यों हो रहा है। इसके लिए एक-एक घटना को ज़रा फिर समझें।

1. प्रशांत भूषण ने समय मांगा- प्रशांत भूषण ने अरविंद केजरीवाल से मिलने का समय मांगा। लेकिन इससे पहले कि अरविंद केजरीवाल जवाब देते प्रशांत भूषण ने ये बात मीडिया पर सार्वजनिक रूप से कह डाली। सवाल ये है कि ये बात उनको मीडिया पर कहने की किया जरूरत थी? केजरीवाल कैंप ने भी इसको प्रशांत की दबाव में लाने वाली चाल के तौर पर देखा। क्योंकि अगर अरविंद मना कर देते तो बुराई उनके माथे पर आती और संदेश ये गया होता कि प्रशांत तो मामला सुलझाना चाहते हैं, लेकिन अरविंद अपनी जिद्द पर अड़े हुए हैं।

2. योगेंद्र यादव से आप नेताओं की देर रात मुलाकात- प्रशांत भूषण के दांव के जवाब में संजय सिंह, कुमार विश्वास, आशुतोष और आशीष खेतान देर रात तीन घंटे योगेंद्र यादव से मिलकर आए। कमाल की बात है कि मीडिया से इसको छिपाना तो दूर बल्कि इसको खूब प्रचारित किया गया। इससे केजरीवाल कैंप ने संदेश दिया कि देखो हम तो कितने आतुर हैं मामला सुलझाने को? मेरी समझ के अनुसार ऐसी देर रात होने वाली मुलाकातें गुपचुप होती हैं, जिनकी जिनकी जानकारी सूत्र भी तब देते हैं जब मामला फाइनल हो जाता है, लेकिन यहां तो सब खुल्लम-खुल्ला रहा।

3. खेतान ने समय मांगा, प्रशांत का इनकार- विवाद सुलझाने की 'कोशिश' के तहत केजरीवाल कैंप के चार नेताओं (कुमार विश्वास, संजय सिंह, आशुतोष और आशीष खेतान) की तरफ से आशीष खेतान ने प्रशांत भूषण से मिलने का समय मांगा, लेकिन प्रशांत भूषण ने मिलने से इनकार कर दिया। अगर प्रशांत वाकई मामला सुलझाना चाहते हैं तो आखिर क्यों मना कर किया मिलने से? हो सकता है आशीष खेतान प्रशांत के सामने बहुत जूनियर नेता हैं और हाल ही में उन्होंने पूरे भूषण परिवार पर टिप्पणी की थी, जिसके लिए उन्होंने बाद में माफी मांगी थी. ...तो जब ऐसा था तो क्या बाकी के वरिष्ठ नेताओं में से कोई समय नहीं मांग सकता था? या फिर ऐसा जानबूझकर किया गया?

4. प्रशांत का मैसेज, अरविंद का जवाब- प्रशांत भूषण ने अरविंद केजरीवाल को मैसेज भेजकर ही असल में मिलने का समय मांगा था (इसको ही प्रशांत भूषण ने सार्वजनिक किया) जिसके जवाब में अरविंद कहा कि 'हम जल्द मिलेंगे।' सवाल है कि आखिर अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण से जल्द ही मिलकर मामले को निपटा क्यों नहीं दे रहे? शायद पुरानी दोस्ती पर जब राजनीति की धूल पड़ जाती है तो यही होता है।

तो कुल मिलाकर मेरे हिसाब से जो कुछ दिख रहा है वो एक कोशिश है पार्टी के वॉलंटियर्स और आम जनता में बस ये संदेश देने की, कि हम मामला सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।

मेरे हिसाब से योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को 28 मार्च की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर कर दिया जाएगा। दोनों ही गुट परिषद के सदस्यों की लामबंदी में लगे हुए हैं, जिससे बहुमत अपने पास रखकर अपनी बात मनवाई जा सके। ये वैसे अभी का हाल है राजनीति में अगले पल की कोई गारंटी नहीं हो सकती है। माहौल कल को बदल जाए या कोई ऐसा फॉर्मुला निकल आए जिससे केजरीवाल कैंप की बात भी रह जाए और योगेंद्र-प्रशांत भी मान जांए।

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आज के लिए मैं बस इतना कहता हूं 'आप' दूसरों को रीजनीति सिखाने आए थे, लेकिन अपनों को ही सिखाने में लग गए।'